जयपुर.प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की सेहत सुधारने के लिए मिड डे मील (Milk distribution in Mid day meal) के साथ प्रत्येक विद्यार्थी को एक गिलास दूध उपलब्ध कराने की घोषणा की थी. ये योजना एक जुलाई से शुरू होने की घोषणा की गई थी, लेकिन लाखों छात्र अभी स्कूल में दूध मिलने का इंतजार ही कर रहे हैं. हालांकि अब नवंबर (Milk distribution in schools from November) में ही योजना को शुरू करने का दावा किया जा रहा है. हालांकि पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार में भी बच्चों को विद्यार्थियों को दूध उपलब्ध कराने की योजना आई थी. उस वक्त डेयरी का दूध इस्तेमाल किया गया था और अब पाउडर का दूध पिलाया जाएगा.
छात्रों को कुपोषण से बचाने और बेहतर स्वास्थ्य के उद्देश्य से पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की ओर से 2 जुलाई 2018 को अन्नपूर्णा दूध योजना की शुरुआत की गई थी. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जोबनेर के सरकारी स्कूल से इस योजना का आगाज किया था. इसके तहत कक्षा 1 से 8वीं तक के बच्चों को एक गिलास दूध का वितरण मिड डे मिल के दौरान किया जाता था, लेकिन कोरोना के प्रकोप से पहले ही सरकार की ओर से इस योजना को बंद करते हुए पौष्टिक सीजनेबल फल, गुड़ और चने की शुरुआत की गई. कोरोना का प्रकोप हुआ तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर छात्रों के लिए दूध वितरण योजना (milk distribution scheme in schools) की शुरुआत करने का फैसला लिया.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साल 2022-23 की बजट घोषणा में मिड डे मिल योजना के तहत कक्षा 1 से 8वीं तक के विद्यार्थियों को सप्ताह में दो दिन डिब्बे का गर्म दूध उपलब्ध करवाने के लिए 476.44 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय प्रावधान किया. इसको मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंजूरी दी. दूध वितरण योजना के तहत कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को 15 ग्राम दूध के पाउडर को 150 मिलीलीटर गर्म पानी में मिला कर दिया जाएगा. इसके साथ ही कक्षा 6 से 8वीं तक के बच्चों को 20 ग्राम दूध के पाउडर को 200 मिलीलीटर गर्म पानी में मिला कर दिया जायेगा.