महाठग्स ऑफ मेवाड़, कारनामे जानकर पुलिस भी हैरान जयपुर. राजस्थान का मेवाड़ अब साइबर ठगी का नया अड्डा बनता जा रहा है. यहां छोटे-छोटे गांवों में साइबर ठगी के गिरोह पनप रहे हैं, जो प्रदेशभर में लोगों को अपना शिकार बनाकर अब तक अरबों-खरबों रुपये की महाठगी कर चुके हैं. लेहरू लाल तेली सातवीं पास है, लेकिन साइबर ठगी करने वाले नौजवानों का मुखिया बनकर गिरोह चलाता है. उसकी गैंग में बीए सेकंड ईयर में पढ़ने वाला युवारज मीणा, छठी पास किशनलाल प्रजापत और छठी में तीन बार फेल गोवर्धन लाल है. इनके लिए फर्जी कंपनी रजिस्टर्ड करवाना चुटकी का काम है. फर्जी ऑफिस खोलकर बैंकों में करंट अकाउंट खुलवाना भी इनके बाएं हाथ का खेल है. इसके बाद शुरू होता है लोगों को फंसकर ठगने का खेल.
दरअसल, जयपुर की एक महिला मनोविज्ञानी से 43 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आने के बाद एसओजी के साइबर थाने की टीम ने जांच शुरू की. साइबर ठगी के इस काले कारनामे की परत दर परत खुली तो सच्चाई सामने आने लगी. इस गैंग के बैंक खातों के ट्रांजेक्शन्स देखकर एक बार तो जांच करने वाले एसओजी के अधिकारी भी हैरत में पड़ गए. एसओजी ने भीलवाड़ा के बेई निवासी युवराज मीणा, चित्तौड़गढ़ के आकोला निवासी लेहरू लाल तेली और चित्तौड़गढ़ के संगेसरा निवासी किशनलाल प्रजापत और गोवर्धन रैगर को गिरफ्तार कर पूछताछ की. इस पूछताछ में एक-एक परत सामने आने लगी.
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पहले वाट्सएप पर बातचीत, टेलीग्राम पर शेयर करते लिंकः एसओजी के साइबर थाने की पुलिस निरीक्षक सज्जन कंवर का कहना है कि शातिर बदमाश पहले अपने शिकार को वाट्सएप पर मैसेज कर वीडियो लाइक करने पर मोटी कमाई का झांसा देते हैं. जब वह काम करने के लिए तैयार हो जाता है तो एक लिंक के माध्यम से टेलीग्राम अकाउंट पर ले जाते हैं, जहां वीडियो शेयर कर लाइक करने को कहा जाता है. शुरुआत में वे वीडियो लाइक करने पर थोड़े-बहुत रुपये भी देते हैं. बाद में गलत वीडियो लाइक करने का बहाना बनाकर पेनल्टी लगाई जाती है. हालांकि, ये पीड़ित को फिर झांसे में रखते हैं कि पेनल्टी की यह राशि उन्हें वापस मिल जाएगी, लेकिन देते नहीं हैं. पेनल्टी की राशि की शुरुआत ही 5 लाख रुपये से होती है.
महाराष्ट्र-पश्चिम बंगाल में बैंक खाते, मेवाड़ से करते हैं ऑपरेटः एसओजी ने जांच शुरू की तो सामने आया कि जिन बैंक खातों में ठगी की रकम जमा करवाई जा रही है, वे महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के हैं, जो फर्जी कंपनियों के नाम पर खुलवाए गए थे. इन कंपनियों के फर्जी ऑफिस भी बताए गए थे. उन अकाउंट्स से लिंक मोबाइल नंबर की जांच की तो पता चला कि ये सभी मोबाइल राजस्थान के भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और राजसमंद में एक्टिव हैं. एसओजी ने फिलहाल चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनके पास कई मोबाइल सिम मिली हैं, जिनकी मदद से ये फर्जी बैंक खातों को अपने गांव से ही ऑपरेट करते थे. इनसे पूछताछ और तकनीकी विश्लेषण के आधार पर करीब 20 शातिर बदमाश और गिरफ्तार होने की संभावना है.
साइबर ठगी और ऑनलाइन गेमिंग का गठजोड़ः एसओजी की जांच में सामने आया है कि एक तरफ ये शातिर बदमाश लोगों से साइबर ठगी करते हैं तो दूसरी तरफ युवाओं को ऑनलाइन गेम की लत लगाते हैं. जिन खातों में साइबर ठगी की राशि जमा करवाते हैं. उन खातों से ऑनलाइन गेम खेलने वाले युवाओं में से जो जीतता है, उन्हें भुगतान किया जाता है. जबकि ऑनलाइन गेम खेलने वाले जो रकम लगाते हैं. वो रकम ये बदमाश किसी और बैंक खाते में जमा करवाते हैं. जिन खातों की एसओजी ने जांच की है, उनमें से 9 बैंक खातों में पिछले कुछ दिनों में 22 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन किया गया. इनसे पूछताछ में सामने आया है कि इन चार जिलों में ऑनलाइन गेम के नाम पर अरबों-खरबों रुपये का खेल चल रहा है.
कम से कम ठगी ही पांच से दस लाख कीःएसओजी की जांच में अब तक जो तथ्य सामने आए हैं. वे बताते हैं कि यह बहुत बड़ा गिरोह है और अरबों-खरबों रुपये फर्जी बैंक खातों में जमा करवा चुके हैं. इनके मोबाइल में कई स्क्रीनशॉट्स भी मिले हैं. जिससे पता चलता है कि ये पांच-दस हजार रुपये की ठगी नहीं करते हैं, बल्कि सीधे पांच लाख रुपये से शुरुआत करते हैं और कई स्क्रीन शॉट्स तो 50 लाख एक करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन के भी मिले हैं. फिलहाल, एसओजी के अधिकारी इस पूरे मामले की कड़ियां जोड़ने में लगे हुए हैं.
महिला मनोविज्ञानी से 43 लाख की ठगी के बाद खुला मामलाः जयपुर की रहने वाली एक मनोविज्ञानी डॉ. अंकिता सिंह ने 4 अप्रैल को एसओजी के साइबर थाने में मामला दर्ज करवाया था. इसमें उन्होंने बताया था कि उनके वाट्सएप पर एक शख्स ने खुद को अपूर्वा ग्लोबल एडवरटाइजिंग कंपनी का कर्मचारी बताते हुए मैसेज किया. उसने बताया कि घर बैठे काम करते हुए यू ट्यूब पर वीडियो लाइक कर हर दिन 2500 रुपये कमाए जा सकते हैं. उसने एक वीडियो लाइक करने पर 50 रुपये देने की बात कही. इसके बाद कुछ वीडियो लाइक करने पर 8-10 हजार रुपये उसके खाते में जमा भी करवाए. लेकिन बाद में गलत वीडियो लाइक करने का हवाला देते हुए पेनल्टी जमा करवाने की बात कही और यह भरोसा दिलाया कि पेनल्टी की राशि बाद में एडजस्ट कर दी जाएगी. शुरुआत में उसने पांच लाख रुपये बतौर पेनल्टी लिए. बाद में पेनल्टी के नाम पर अलग-अलग बार में 11 खातों में 43 लाख रुपये जमा करवाकर उसके साथ ठगी की वारदात की.
बढ़ रहा है मेवाड़ गैंग के शातिर बदमाशों का आतंक :
- कोलकाता पुलिस के स्पेशल कमिश्नर हरिकिशोर कुसुमाकर ने पिछले महीने कोलकाता में हुए एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पश्चिम बंगाल में मेवाड़ गैंग द्वारा अंजाम दी जा रही साइबर ठगी की वारदातों पर चिंता जताई थी. उन्होंने मेवाड़ गैंग के साइबर क्रिमिनल्स की तुलना नाइजीरिया के साइबर क्रिमिनल्स से की थी.
- मध्यप्रदेश के नीमच में पुलिस ने फर्जी रजिस्ट्री के आधार पर फर्जी एग्रीमेंट कर लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगाने की वारदात का खुलासा पिछले दिनों किया था. इसमें राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के बदमाशों के शामिल होने की भी जानकारी सामने आई है.
- चित्तौड़गढ़ में इस साल हुए बहुचर्चित विनोद सालवी हत्याकांड के पीछे भी ठगी की रकम हड़पने की मंशा थी. दरअसल, विनोद एप के माध्यम से लोन दिलाने का काम करता था. उसके परिचित भावेश ने उसे लोन दिलाने के लिए चार हजार रुपये दिए, लेकिन उसे लोन नहीं मिला. इसी दौरान भावेश को पता चला कि विनोद ने करीब 28 लाख रुपये की ठगी की थी. जिसके दस लाख रुपये उसके खाते में जमा है. यह रुपये हड़पने के लिए उसने विनोद की अपने साथियों के साथ मिलकर हत्या कर दी थी.
कई थानों से आए कॉल, दूसरे पीड़ित भी कर रहे संपर्कः महिला मनोविज्ञानी से 43 लाख रुपये की ठगी का खुलासा होने के बाद कई थानों से इस तरह के मामलों को लेकर जानकारी मिल रही है. उनमें भी यू-ट्यूब पर वीडियो लाइक कर ठगी की वारदात को अंजाम देने की बात सामने आ रही है. इसके अलावा कई लोगों ने व्यक्तिगत रूप से भी कॉल कर इस तरह की वारदात उनके साथ भी होने की जानकारी दी है. इन सभी मामलों की जानकारी जुटाई जा रही है. यह बड़ा गिरोह है और अभी कई शातिर बदमाश गिरफ्तार होने बाकि हैं.