जयपुर.मीणा-मीना विवाद के स्थाई समाधान समेत पांच मांगों को लेकर मीणा समाज के विधायक और मंत्रियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( CM Ashok Gehlot ) से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा. सीएम गहलोत ने इसे गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का आश्वासन दिया. मीणा समाज का कहना है कि सविधान में एससी-एसटी आरक्षण जनसंख्या के हिसाब से दिया गया है. जब आरक्षण मिला तब एससी की जनसंख्या 16 फीसदी और एसटी की जनसंख्या 12 फीसदी थी, जो अब बढ़कर 18 और एसटी की 14 फीसदी हो गई है. इस हिसाब से आरक्षण अनुपात भी बढ़ाया जाए.
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कांग्रेस सरकार के पिछले कार्यकाल में कोटा में यूनिवर्सिटी की घोषणा की थी, जिसके जमीन भी अलॉट हो गई थी. सत्ता बदलने के साथ ही भाजपा सरकार ने इसे निरस्त कर दिया. मीणा समाज की मांग है कि इसकी प्रक्रिया फिर शुरू हो. एसी-एसटी के कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर भी रोटर बनाने की मांग है, जिसमें काफी विसंगतियां है. साथ ही पंचायती राज विभाग ने वर्ष 2013 में भर्तियां निकाली थी, अब तक वो भी पूरी नहीं हुई है.
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पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्र सरकार को पत्र लिख कर कहा था कि संघ लोक सेवा आयोग की ओर से कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय में कंपनी प्रॉसिक्यूटर के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया है, इसमें मीना जाति वाले अभ्यर्थियों को अनुसूचित जनजाति मानकर आरक्षण का लाभ के लिए योग्य माना गया है. जबकि मीणा सरनेम वाले अभ्यर्थियों को योग्य नहीं माना गया है., राजस्थान में मीना और मीणा दोनों सरनेम वाले लोगों को अनुसूचित जन जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाते रहे.
इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय में भी कई रिट याचिकाएं डाली गई, जिस पर मुख्य सचिव राजस्थान सरकार ने शपथपत्र देकर स्पष्ट किया गया. सीएम ने कहा कि राजस्थान में इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं है राज्य सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण जारी कर मीणा और मीना एक ही मान कर विवाद खत्म करने के लिए फिर से केंद्र सरकार को पत्र लिखेगी. इस दौरान परसादी लाल मीणा, मुरारी लाल मीणा, हरीश मीणा, लक्ष्मण मीणा, क्रांति मीणा, जौहरी मीणा, गोपाल मीणा, इंद्रा मीणा, पीआर मीणा, लाखन मीणा शामिल थे.