चिकित्सक संगठनों ने सुधार के दिए सुझाव जयपुर. राइट टू हेल्थ बिल को लेकर बुधवार को चिकित्सा विभाग के अधिकारियों और विभिन्न चिकित्सक संगठनों के बीच बैठक आयोजित की गई. इस दौरान चिकित्सक संगठनों ने बिल में सुधार को लेकर कुछ सुझाव सरकार को दिए. साथ ही चिकित्सक संगठनों ने यह भी कहा कि यदि राइट टू हेल्थ बिल में सुधार नहीं हुआ तो प्रदेश भर के प्राइवेट अस्पताल से जुड़े चिकित्सक सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे.
बैठक के बाद चिकित्सा सचिव डॉक्टर पृथ्वी ने कहा कि राइट टू हेल्थ बिल को लेकर विभिन्न चिकित्सक संगठनों के साथ बैठक हुई. क्योंकि प्रदेश में आमजन को चिकित्सा सेवा देने में चिकित्सकों की भूमिका सबसे अहम रहती है. बैठक के दौरान विभिन्न चिकित्सक संगठनों ने सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं और अब इन सुझावों पर चर्चा की जाएगी. डॉक्टर पृथ्वी ने कहा कि चिकित्सकों की ओर से जो सुझाव दिए गए हैं, उन्हें जरूर इस बिल में शामिल किया जाएगा. वहीं, स्टेट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. राहुल कट्टा ने बताया कि राइट टू हेल्थ बिल जब सरकार की ओर से लाया गया तो इसमें कुछ खामियां थी. शुरू से ही हम इस बिल में खामियां दूर करने की बात कह रहे हैं और आज हुई बैठक के दौरान भी हमने हमारे सुझाव सरकार को दिए हैं.
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उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि जो भी विसंगतियां है उसे सरकार दूर करें. अगर ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में तमाम डॉक्टर इस बिल को लेकर अपना विरोध दर्ज कराएंगे और यह विरोध आंदोलन में भी बदल सकता है. चिकित्सकों का कहना है कि राइट टू हेल्थ बिल नहीं बल्कि राइट टू किल बिल है. ऐसा लगता है कि इस बिल के माध्यम से सरकार प्रदेश में प्राइवेट अस्पतालों को बंद करना चाह रही है. इसलिए हमारी ओर से 49 पन्नों का एक संशोधित प्रारूप सरकार को सौंपा गया है. चिकित्सक संगठनों का कहना है कि राइट टू हेल्थ बिल राजस्थान में ही नहीं, बल्कि उड़ीसा, गुजरात, दिल्ली और तेलंगाना में भी लाया गया है.
लेकिन राजस्थान में जो बिल सरकार फेस करने जा रही है, इसमें कई खामियां हैं. जैसे इस बिल में इमरजेंसी ट्रीटमेंट को परिभाषित नहीं किया गया है. मरीज को दिए जाने वाला फ्री ट्रीटमेंट का पुनर्भरण कौन करेगा, इस बारे में भी बिल में कोई जानकारी नहीं है. इसलिए इन चिकित्सक संगठनों ने साफ तौर पर कहा है कि यदि हमारी ओर से दिए गए सुझाव अमल में नहीं लाए गए, तो आंदोलन के अलावा अन्य कोई रास्ता चिकित्सक संगठनों के पास नहीं बचेगा. फिलहाल, यह बिल प्रवर समिति को भेजा गया है, ताकि इसमें सुधार किया जा सकें.