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माली समाज का सामूहिक विवाह सम्मेलन, 12 जोड़े बंधे परिणय सूत्र में - samuhik vivah

आखातीज के अबूझ सावे पर प्रदेश में शादियों की धूम रही. आखातीज यानी अक्षय तृतीया का दिन शुभ कार्यों के लिए बहुत ही अच्छा दिन माना जाता है. अक्षय तृतीया के दिन दान पुण्य जैसे कार्य करना भी बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन सोने-चांदी सहित नए वस्त्र और कई घरेलू सामानों की खरीदारी करना शुभ मानते हैं.

माली समाज के 12 जोड़ें परिणय सूत्र में बंधे

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Published : May 7, 2019, 10:58 PM IST

जयपुर.आखा तीज के अबूझ सावे पर जयपुर के आमेर में माली समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन हुआ. आमेर की पीली की तलाई में आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलन में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ संकल्प के साथ माली समाज के 12 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे. साथ ही एक तुलसी के जोड़े का भी विवाह किया गया. इस मौके पर माली समाज के कई गणमान्य लोगों ने सम्मेलन में पहुंचकर वर-वधू को आशीर्वाद भी दिया. आमेर विधायक सतीश पूनिया सामूहिक विवाह सम्मेलन में शामिल हुए. उन्होंने नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया. समाज के कई लोगों ने सामूहिक विवाह सम्मेलन में अपनी सेवाएं दी. लोगों ने विवाह सम्मेलन में आने वाले लोगों के लिए पानी, शिकंजी, सहित भोजन प्रसादी की भी व्यवस्था की. सामूहिक विवाह सम्मेलन में समाज की ओर से सभी नवविवाहित जोड़ों को उपहार भी भेंट किए गए.

माली समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन

आचार्य राम महाराज ने विधि विधान के साथ मंत्रोच्चार कर सभी जोड़ों का विवाह संपन्न करवाया. माली विकास समिति की ओर से विवाह सम्मेलन का आयोजन किया गया. समिति के अध्यक्ष हनुमान सहाय सैनी ने बताया कि शादी विवाह में होने वाले फिजूल खर्चों पर लगाम लगाने के लिए इस तरह के सामूहिक विवाह सम्मेलन होने चाहिए. ऐसे सामूहिक विवाह सम्मेलन में एक गरीब व्यक्ति के बच्चों का भी बड़े धूमधाम से बिना मोटे खर्चे के ही विवाह हो जाता हैं.


अखिल भारतीय राजपूत महासभा का प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन

जयपुर. अक्षय तृतीया के अबूझ मुहूर्त पर गुलाबी शहर जयपुर में सामूहिक विवाह समारोह की धूम रही. राजधानी में विभिन्न समाजों की ओर से सामूहिक विवाह समारोह संपन्न हुए. मुरलीपुरा स्थित गुलाब पैराडाइज में अखिल भारतीय राजपूत महासभा का प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित हुआ. इस समारोह के दौरान समाज के 6 जोड़ें परिणय सूत्र में बंधे समारोह के दौरान जोड़ों के हिंदू रीति रिवाज के विवाह संपन्न करवाया गया. फेरों के बाद वर वधु को कन्या भ्रूण हत्या नहीं करने का संकल्प दिलवाया गया. इस दौरान महासभा की ओर से विवाहित जोड़ों को उपहार स्वरूप घरेलू सामान सहित सोने और चांदी के कुछ आभूषण प्रदान किए गए.

इसका उद्देश्य शादियों में होने वाली फिजूल शुल्क के साथ-साथ दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को खत्म करना है. गुजरात के बीडी राव चैरिटेबल ट्रस्ट की मुख्य ट्रस्टी अलका राव ने बतौर अतिथि कहा कि सास और बहू में प्रेम रहे तो कोई भी परिवार नहीं टूट सकता. सास बहू को बेटी की तरह प्यार दे और बहू सास को मां की तरह सम्मान दे. रिश्तो में आपसी समझ हो तो कभी तलाक की नौबत नहीं आ सकती. उन्होंने विधवा पेंशन और विधवा विवाह का भी आह्वान किया. हाड़ोती राव राजपूत महासभा के अध्यक्ष महेश आमेरा ने कहा कि समाज के वरिष्ठ लोगों को ऐसे आयोजन को प्रोत्साहित करना चाहिए.

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