खाचरिावास का बड़ा बयान... जयपुर. राजस्थान में 28 फरवरी से पुलवामा शहीदों की तीनों वीरांगनाएं अपनी मांगों को लेकर भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ अपने लिए सरकार से न्याय मांग रही हैं. इन वीरांगनाओं ने अपना नया ठिकाना पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के आवास को बना रखा है. लेकिन गुरुवार को एक बार फिर जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर अपनी मजबूरी जताते हुए कह दिया कि कैसे इस मामले में शहीद के बच्चों की जगह शहीदों के दूसरे परिजनों को नौकरी दे सकते हैं, अगर वह ऐसा करेंगे तो शहीदों के उन बच्चों का क्या होगा.
जैसे ही मुख्यमंत्री का ट्वीट सामने आया, वीरांगनाएं फिर से सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ मुख्यमंत्री आवास के लिए कुच करने लगीं. हालांकि, पुलिस ने उन्हें रोक दिया, लेकिन इस मामले में मध्यस्थ बनाए गए मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने अपने आपको इस मामले से किनारे कर लिया है. खाचरियावास ने गुरुवार को जयपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि देवर को नौकरी देने के लिए हम तैयार हो गए थे, लेकिन उसके बाद मुख्यमंत्री का ट्वीट आ गया और मुख्यमंत्री के ट्वीट आने के बाद किसी मंत्री के पास बोलने को कुछ रह नहीं जाता.
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मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि अब यह मामला मुख्यमंत्री के पास है. हम तो उसी दिन इस मामले को खत्म कर रहे थे. ऐसे में अब हमारे पास बोलने को कुछ बचा नहीं है. प्रताप सिंह ने कहा कि अब हम मंत्री के नाते ज्यादा से ज्यादा मुख्यमंत्री से इस बात की रिक्वेस्ट कर सकते हैं कि वीरांगना के मामले को सुलझाएं. खाचरियावास ने कहा कि मुख्यमंत्री के कहने पर ही हम दो दिन पहले वीरांगनाओं से वार्ता करने पहुंचे थे, लेकिन उसके बाद जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर दिया तो हमारे पास कुछ नहीं बचा. वैसे भी मुख्यमंत्री हम मंत्रियों से पूछ कर तो ट्वीट करते नहीं हैं.
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आपको बता दें कि दो दिन पहले इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कहने पर तीनों वीरांगनाओं से बात करने मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और मंत्री शकुंतला रावत पहुंची थीं. उन्होंने वीरांगनाओं की मांगों को मानने के लिए हां भी कर दिया था. लेकिन जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ट्वीट कर साफ कर दिया कि वीरांगना के देवर को नौकरी देने में कानूनी अड़चन है तो अब मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने इस मामले में मध्यस्थता करने से हाथ खींच लिए हैं.