शहर वासियों ने उठाया पतंगबाजी और आतिशबाजी का लुत्फ जयपुर. सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही मकर संक्रांति का उल्लास दूसरे दिन रविवार को भी नजर आया. राजधानी जयपुर में सुबह से ही पतंगबाजी के साथ दान-पुण्य का दौर शुरू हुआ. मंदिरों में देवदर्शन के साथ महिलाओं ने सुहागिनों और गरीबों में 14 वस्तुएं कलपना शुरू किया. लोग गायों को चारा और गुड़ खिलाते भी नजर आए.
जयपुर के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में ठाकुर जी को तिल के व्यंजनों का भोग लगाया गया. वहीं, पतंगों की झांकी सजाई गई. शाम ढलने के साथ ही इस बात से आतिशबाजी और विश लैंप उड़ाने का दौर शुरू हुआ. गौरतलब है कि माघ कृष्ण सप्तमी पर 14 जनवरी को रात 8 बजकर 45 मिनट पर सूर्य ने धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश किया. इसलिए मकर संक्रांति का दान-पुण्य आज सूर्योदय के साथ शुरू हुआ. लोग देवदर्शन को पहुंचे.
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जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में ठाकुर जी का पंचामृत अभिषेक किया गया. इसके बाद ठाकुर जी को गुलाबी रंग की जामा पोशाक धारण करवाई गई. वहीं, भगवान को तिल के लड्डुओं और फीणी का भोग लगाया गया. इस मौके पर ठाकुरजी के पतंगों की झांकी सजाई गई, जिसमें ठाकुरजी के हाथ में सोने की पतंग और राधा रानी के हाथ में चांदी की चरखी नजर आई.
वहीं, गोशालाओं में गायों को हरा चारा और गुड़ खिलाने के लिए भी लोगों में होड़ सी मची. रविवार को चित्रा नक्षत्र और सुकर्मा योग के साथ मकर राशि में त्रिग्रही योग भी रहा. मकर संक्रांति सुख-समृद्धि लेकर आई. जबकि दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक दान-पुण्य का श्रेष्ठ मुहूर्त रहा. महिलाएं कलपने के 14-14 वस्तुएं दान करती दिखीं.