राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

Special: महाराजा रामसिंह ने शुरू की थी जयपुर में पतंगबाजी, रियासत काल से है क्रेज

जयपुर की पतंगबाजी रोमांच से भरी है (kite flying in jaipur). रोमांच जिसके चर्चे सात समंदर पार तक है. यानी देश ही नहीं विदेश से भी सैलानी आसमान में लहराती बलखाती पतंगों को निहारने यहां पधारते हैं. खासतौर पर मकर संक्रान्ति पर पतंगबाजी को देखने गुलाबी नगरी में पावणों का अच्छा खासा जमावड़ा लगता है. रोचक और ऐतिहासिक है पतंगों की लम्बी यात्रा!

Kite flying craze in Jaipur
जयपुर में पतंगबाजी का हर कोई दीवाना

By

Published : Jan 8, 2023, 12:32 PM IST

जयपुर में पतंगबाजी का हर कोई दीवाना

जयपुर. मकर संक्रांति से पहले गुलाबी नगरी के प्रमुख पतंग बाजार किशनपोल, चांदपोल और हांडीपुरा भी रंग बिरंगी पतंगों और बरेली की खास डोर के साथ सज गए हैं. राजधानी में वो काटा...वो काट का शोर सुनाई देने लगा है. इन सबके बीच राजनेताओं और कार्टून कैरेक्टर के पतंगों की विशेष डिमांड है. जयपुर में पंतगबाजी का अपना एक अलग ही इतिहास और गौरव रहा है. शहरवासियों में पतंगबाजी का आज भी (kite flying in jaipur) क्रेज है. आपके लिए ईटीवी भारत लाया है गुलाबी नगरी में पतंगबाजी पर स्पेशल रिपोर्ट...

जयपुर में रियासत काल से है पतंगबाजी का क्रेज: मकर सक्रांति दान पुण्य का पर्व है, लेकिन राजधानी में पतंगबाजी का बहुत क्रेज है. ये कोई नया नहीं है, बल्कि जयपुर की रियासत (स्टेट पीरियड) से जुड़ा हुआ है. जयपुर में लखनऊ की तुक्कल से पतंगबाजी की शुरुआत हुई थी. इतिहासकार जितेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि 1835 से 1888 तक जयपुर के महाराजा रहे सवाई रामसिंह द्वितीय ने लखनऊ में पतंगे उड़ती देखीं, उनके मन में आया की ऐसी पतंगे जयपुर शहर में क्यों न उड़ें. इसी सोच के साथ वे लखनऊ से कुछ पतंगसाजों को जयपुर ले आए और यहां पतंगबाजी की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि खुद महाराजा रामसिंह मोटी डोर के साथ सिटी पैलेस की छत से तुक्कल नामक पतंग उड़ाते थे. उस दौर में कोई और पतंग उड़ा नहीं करती थी, तो अमूमन जो पतंग तेज हवा से टूट जाया करती थी, उसे पकड़ने के लिए भी घुड़सवार तैनात रहते थे. अगर कोई शहरवासी इस पतंग को पकड़ कर महाराजा के सामने लाता था, तो उसे पतंग के साथ चांदी के 10 रुपए का इनाम दिया जाता था.

राहुल गांधी के नए लुक की पतंग तैयार

पतंगबाजों में उत्साह ज्यादा, दुकानों पर बिक्री कम: मकर सक्रांति पर जयपुर में पतंगबाजी का खुमार लोगों के सिर चढ़कर बोलता है. स्टूडेंट अपनी पढ़ाई और व्यापारी अपनी दुकान छोड़कर छत पर पेंच लड़ाते दिखते हैं. ऐसे में पतंगबाजों ने शहर के प्रमुख किशनपोल बाजार चांदपोल बाजार और हांडीपुरा का रुख किया. जयपुर में पतंगबाजी को लेकर लोगों में उत्साह है, लेकिन पिछले साल की तुलना में इस बार बिक्री कम हो रही है. बाजारों में 4 रुपए से लेकर 20 रुपए तक सामान्य और कार्टून कैरेक्टर्स की पतंगें और 400 रुपए तक की राजनेताओं की बड़ी पतंग उपलब्ध है. एक कोड़ी में 20 पतंगें होती हैं. ऐसे में व्यापारियों ने कोड़ी के भाव 80 से 400 रुपये तक के हिसाब से पतंगों के पैकेट भी तैयार किया है. पतंग उड़ाने के लिए 100 से लेकर 2000 रुपए तक का मांझा बाजार में बिक रहा है, जबकि बरेली की खास पतंगें और मांझा लेकर यूपी से चलकर जयपुर में कई व्यापारियों ने अपनी दुकानें सजाई हैं, लेकिन पिछली बार की तुलना में पतंगें और मांझा दोनों महंगी है.

चाइनीज मांझे पर रोक

पढ़ें:राजस्थानः मस्ती की पाठशाला में आखर ज्ञान से रोशन हो रहे नौनिहाल, पतंग से दे रहे ये संदेश

मोदी, शाह के साथ राहुल गांधी भी!: जयपुर के पतंग कारोबारी अब्दुल गफूर अंसारी पिछले 37 साल से राजनेताओं और फिल्मी सितारों की पतंगे बना रहे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में अब्दुल गफूर ने बताया कि ने इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ इस बार भारत जोड़ो यात्रा के दौरान नए अंदाज में नजर आ रहे राहुल गांधी की पतंग तैयार की है. साथ ही इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे, सचिन पायलट के साथ राजस्थान के कई राजनेताओं को पतंगों पर उकेरा है. यूक्रेन और रूस के ज्वलंत मुद्दे के चलते पुतिन और जेलेंस्की की पतंगें भी तैयार की है. इसके अलावा अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, असदुद्दीन ओवैसी और राजधानी की मेयर और कुछ पार्षदों की भी पतंगें बनाई हैं.

चाइनीज मांझे से तौबा: मकर सक्रांति को देखते हुए प्रशासन ने चाइनीस मांझा बेचने वाले व्यापारियों के दुकान और मकान पर बुलडोजर चलाए जाने की चेतावनी दी है. ऐसे में पतंग बाजारों में व्यापारियों ने चाइनीस मांझे से तौबा कर ली है. वो खुद भी चाइनीज मांझे का इस्तेमाल नहीं करने की अपील कर रहे हैं. व्यापारियों की माने तो उनके पास सादा और मांझा डोर उपलब्ध है. अच्छे पतंगबाज भी इसी डोर को इस्तेमाल करते हैं. उनका कहना है कि प्रशासन ने चाइनीस मांझे को बैन किया है, ऐसे में इससे पूरी तरह दूरी बनाई है. ये शरीर के लिए भी हानिकारक है.

पढ़ें:आठ फीट की पतंग के जरिए रेप की घटनाएं रोकने का संदेश

स्लोगन वाली पतंगें: बच्चों की पसंद को देखते हुए कार्टून कैरेक्टर की पतंगें भी दुकानों पर हैं. डोरेमोन, अवेंजर्स, मोटू-पतलू समेत कई कार्टून प्रिंट की पतंगों की बच्चों में डिमांड रहती है ऐसे में अलग-अलग साइज में दुकानों पर पतंग मौजूद है. इसके साथ ही तिरंगे और देशभक्ति के स्लोगन वाली पतंगे भी लोग खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं.

पतंगबाजी देखने गुलाबी नगरी आते हैं सैलानी

पतंगों के साथ जुड़ी गंगा-जमुनी तहजीब: जयपुर की पतंगबाजी गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल भी बनी हुई है. महाराजा रामसिंह जिन पतंगसाजों को लखनऊ से साथ लेकर आए थे, वे सभी मुस्लिम समाज के थे. धीरे-धीरे जयपुर में उनका एक मोहल्ला बन गया. मकर सक्रांति भले ही हिंदुओं का पर्व है, लेकिन पतंग डोर का रोजगार मुस्लिम समाज का है. हालांकि, शुरू में आगरा, रामपुर और लखनऊ से जयपुर में डोर आया करती थी. धीरे-धीरे जयपुर में ही डोर बनाने का काम भी शुरू हो गया.

पढ़ें:Special : मस्ती की पाठशाला में आखर ज्ञान से रोशन हो रहे नौनिहाल, पतंग से दे रहे ये संदेश

2 दिन मनाई जाएगी मकर सक्रांति: इस बार 14 और 15 जनवरी 2 दिन मकर सक्रांति मनाई जाएगी. ऐसे में 2 दिन शहर का आसमान रंग बिरंगी पतंगों से सतरंगी होगा. खास बात ये है कि 14 तारीख को शनिवार और 15 तारीख को रविवार पड़ रहा है. ऐसे में वीकेंड के चलते शहरवासियों के लिए पतंगबाजी के समय भी रहेगा. भले ही अभी पतंग बाजार में ग्राहकी कम हो, लेकिन उम्मीद है कि जयपुर में जो पतंगबाजी का माहौल रहता है एक बार फिर देखने को मिलेगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details