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Protest against Right to Health Bill : राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में आज बंद, जानिए कौन सी सेवाओं पर सरकार सख्त

राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में जारी चिकित्सक आंदोलन को देखते हुए गहलोत सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में व्यवस्थाएं सुचारू रखने के लिए JR के नए पद स्वीकृत किए है. सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए 1000 जूनियर रेजिडेंट के पद स्वीकृत किए गए है.

Protest against Right to Health Bill
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Published : Mar 29, 2023, 9:38 AM IST

Updated : Mar 29, 2023, 1:50 PM IST

जयपुर. प्रदेश में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के विधानसभा में पारित होने के बाद जारी चिकित्सक हड़ताल के बीच मरीजों पर आज का दिन भारी पड़ सकता है. बुधवार को मेडिकल टीचर्स ने 24 घंटों के कार्य बहिष्कार का ऐलान किया हुआ है. प्रदेश भर में इस तरह सेवारत चिकित्सक भी सामूहिक अवकाश पर रहेंगे. इसके पहले राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में जारी चिकित्सक आंदोलन को देखते हुए सरकार ने एक अहम फैसला लिया है.

सरकार ने मंगलवार को जूनियर रेजिडेंट के नए पदों को मंजूरी दी. इसके साथ ही प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए 1000 नए पद स्वीकृत कर लिए गए हैं. अगले 6 महीने के लिए जूनियर रेजिडेंट 7 पदों को स्वीकृति दी गई है. चिकित्सा विभाग के निर्देश के बाद मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को वॉक इन इंटरव्यू के निर्देश दिए गए हैं. फिलहाल सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में व्यवस्थाएं सुचारू रखने के लिए जूनियर रेजिडेंट के यह नए पद मंजूर किए हैं.

शिक्षा शिक्षा सचिव टी रविकांत ने वित्त विभाग से इसकी मंजूरी ली है. अब राजधानी जयपुर में अकेले सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज को ही करीब 450 जूनियर रेजिडेंट मिल जाएंगे. इसके अलावा अन्य मेडिकल कॉलेज के लिए भी अगले 6 महीने काम करने के हिसाब से जूनियर रेजिडेंट की नियुक्ति की जाएगी. गौरतलब है कि प्रदेश में बीते 24 घंटे के दौरान कोरोना के 20 पॉजिटिव मामले सामने आए हैं. वहीं, अब तक एक्टिव मामलों की संख्या 185 पहुंच चुकी है.

पढ़ें :Protest against Right to Health Bill : डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार से चरमराई प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल की व्यवस्था

सरकार ने भी की तैयारी : जयपुर में मंगलवार को डॉक्टर्स की ओर से 29 मार्च को महा बंद का आह्वान किया था. जिसके तहत निजी अस्पतालों के साथ-साथ सरकारी चिकित्सक भी समर्थन में नजर आए. उधर शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज से एक आदेश जारी किया गया. इस आदेश के तहत बंद का समर्थन करने वाले सरकारी चिकित्सकों पर कार्रवाई की बात कही गई है. इस आदेश में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को निर्देश दिया गया है कि किसी भी हाल में डॉक्टर्स की छुट्टी को मंजूर नहीं किया जाए. आदेश में यह लिखा गया है कि वर्तमान में प्राइवेट हॉस्पिटल बंद होने की वजह से मरीज परेशान हो रहे हैं. वहीं, सरकारी अस्पतालों में भी सेवाएं सेवाओं पर असर देखने को मिला है. लिहाजा सभी मेडिकल कॉलेज को निर्देश जारी किए गए है.

  1. मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल रोजना की हाजिरी में चिकित्सा शिक्षक की मौजूदगी.
  2. रेजिडेंट और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ नर्सिंग स्टाफ की उपस्थित सुबह 9:30 बजे तक विभाग को भी जाएगी.
  3. स्टाफ की छुट्टी को प्रिंसिपल या अस्पताल के अधीक्षक की ओर से ही मंजूर किया जाएगा.
  4. स्टाफ की छुट्टी की तत्काल सूचना विभाग को भेजी जाएगी.
  5. बिना मंजूरी के छुट्टी लेने वाले कार्मिकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
  6. अगर कोई रेजिडेंट डॉक्टर अपनी सेवाओं में दोषी माना जाता है तो उसका तत्काल प्रभाव से रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा.
  7. अस्पताल की सेवा से जुड़े प्रदेश सरकार के कार्मिकों के कार्य बहिष्कार करने पर नियमानुसार कार्रवाई शुरू की जाएगी.
  8. मेडिकल कॉलेज से जुड़ी ओपीडी, आईपीडी के साथ ही इमरजेंसी सेवाएं सुचारू हो.
  9. महिलाओं की डिलीवरी से जुड़ी सेवाओं का भी बिना किसी बाधा के संचालन हो.

हम बातचीत से तोड़ेंगे डेडलॉक- प्रताप सिंह : प्रदेश में RTH के विरोध में जारी डॉक्टर्स के आंदोलन को लेकर जहां एक और चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने अपना रुख साफ कर दिया और किसी भी सूरत में बिल को वापस नहीं लेने की बात कही है. हालांकि, मीणा ने कहा कि सरकार ने बातचीत के रास्ते खुले रखे हुए हैं. वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार कह रहे हैं कि चिकित्सक अपने कर्तव्य का ध्यान रखें, सरकार उनके हितों पर कहीं भी खतरा नहीं आने देगी. अगर बिल को लेकर कहीं कोई गलतफहमी है, तो बातचीत की जा सकती है. इस बीच सोशल मीडिया पर राइट टू हेल्थ बिल के पुराने और नए ड्राफ्ट को लेकर भी चर्चाएं जोरों पर हैं.

पढ़ें :मंत्री खाचरियावास का बड़ा बयान, कहा- सरकार को 4 कदम पीछे लेने पड़े तो ले, मुख्यमंत्री बात करें तो सुलझ जाएगा मुद्दा

इस बीच सोमवार को मीडिया से बातचीत में प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी कहा था कि डेडलॉक को खत्म किया जाना जरूरी है. यह इतना बड़ा इशू नहीं है, क्योंकि जनता के हितों को ध्यान में रखकर ही यह विधेयक विधानसभा में पारित किया है. अगर डॉक्टर और सरकार के बीच में कहीं कोई गलतफहमी है, तो फिर इस डेडलॉक को तोड़ने के लिए मैं स्वयं मुख्यमंत्री से बात करूंगा.

Last Updated : Mar 29, 2023, 1:50 PM IST

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