गया/जयपुर.मोक्ष की नगरी गया में उत्तर दिशा की ओर लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है प्रेतशीला. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है यह प्रेतों का पर्वत है. इस पहाड़ को यम देवता के रहने की जगह माना जाता है. प्रेतशिला पहाड़ के ऊपर एक छोटा सा यम का मंदिर है. उस मंदिर के परिसर में तीर्थ यात्री चावल और आटे का पिंडदान करते हैं. यहां पर पिंडदान करने से मृत आत्मा यम की यातना से मुक्त हो जाते हैं.
प्रेतशिला पहाड़ी के ऊपर मंदिर तथा उसके पीछे का भाग जहां तीर्थयात्री पिंडदान करते हैं. इसका निर्माण कोलकाता के किसी धर्मनुरागी व्यवसायी ने1974 में करावाया था. इस पहाड़ के नीचे तीन कुंड हैं, जिन्हें सीताकुंड, निगरा कुंड और सुख कुंड कहा जाता है. इसके अतिरिक्त भगवान यम के मंदिर के नीचे समतल में एक चौथा कुंड है, जिसे रामकुंड कहा जाता है.
कथा है कि अपने वनवास के दिनों में भगवान राम ने इस कुंड में स्नान किया था. इस स्थान पर भी पूर्वजों का पिंडदान किया जाता है. यहां कुल मिलाकर पांच वेदियां है. प्रेतशिला, रामशिला, रामकुंड, ब्रह्मकुंड और कागबलि. ये संपूर्ण बेदिया पंच वेदी के नाम से प्रतिष्ठित हैं. गया श्राद्ध के निमित्त आने वाले तीर्थयात्री श्राद्ध क्रम में दूसरे दिन पंच वेदी पर पिंडदान करते हैं.
पढ़ें- कंडेल सत्याग्रह में शामिल होने छत्तीसगढ़ आए थे गांधी, अधिकारियों ने डर से आदेश वापस ले लिया था
ऐसे करें दूसरे दिन पिंड का दान...