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इस उम्र में साइकिल चलाने से दूसरों को मिलेगी प्रेरणा: आलोक क्लेर

नई दिल्ली से सेना की दक्षिण-पश्चिम कमांड की कमान संभालने लेफ्टिनेंट जनरल आलोक क्लेर शनिवार रात को साइकिल चलाकर जयपुर पहुंचे. उन्होंने 270 किमी की यात्रा की. उनके साइकिल से आने की खबर सेना में चर्चा का विषय बन गई. वहीं उनका कहना है कि दूसरों को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए.

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Published : Sep 1, 2019, 1:45 PM IST

जयपुर.जब मैं इस उम्र में साइकिल चला सकता हूं तो दूसरों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए. यह कहना है लेफ्टिनेंट जनरल आलोक क्लेर का. लेफ्टिनेंट जनरल आलोक क्लेर दिल्ली से जयपुर 270 किलोमीटर की यात्रा साइकिल से करके जयपुर पहुंचे. क्लेर सेना की दक्षिण-पश्चिम कमांड की कमान संभालने के लिए जयपुर आए हैं.

लेफ्टिनेंट जनरल आलोक क्लेर साइकिल से जयपुर पहुंचे

वह शनिवार रात को नई दिल्ली से सेना की दक्षिण- पश्चिम कमांड की कमान संभालने के लिए साइकिल से रवाना हुए थे. लेफ्टिनेंट वर्तमान में सेना के सैन्य प्रशिक्षण निदेशालय के प्रमुख हैं. आलोक क्लेर साइकिल को एक बहुत अच्छी कसरत मानते हैं. साथ ही साइकिल चलाने से उन्हें बेहद लगाव है. लेफ्टिनेंट ने बताया कि वह कई सालों से साइकिलिंग कर रहे हैं. शुरू में वें 20-30 किलोमीटर शौकिया तौर पर साइकिलिंग करते थे. दोस्तों के साथ साइकिलिंग करने के बाद उन्हें पता लगा कि 100 किलोमीटर तक भी साइकिलिंग कर सकते हैं.

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लेफ्टिनेंट जनरल आलोक क्लेर 14 घंटे की साइकिलिंग करते हुए जयपुर पहुंचे हैं. उनके साइकिल से दिल्ली से जयपुर आने की भारतीय सेना में चर्चा भी है. जयपुर आने के लिए कमांडो होने के नाते उनके पास भी विमान या गाड़ी से जाने की सुविधा थी. लेकिन उन्होंने साइकिल से जयपुर आने का निर्णय किया क्योंकि वे फिटनेस को लेकर जागरूक हैं. क्लेर को जून 1982 में 16 आर्मड रेजीमेंट में कमीशन दिया गया था. उन्होंने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है. वें मेयो कॉलेज अजमेर में भी क्रॉस कंट्री कैप्टन भी रह चुके हैं. कलेर को स्काई ड्राइविंग, पहाड़ पर चढ़ने और स्कूबा डाइविंग का भी शौक है. साथ ही उनकी वाइल्ड लाइफ में भी काफी रुचि है.

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लेफ्टिनेंट जनरल आलोक सिंह कलेर ने कहा कि साइकिलिंग एक ऐसी कसरत है जो इंसान पचास-साठ साल की उम्र में भी आसानी से कर सकता है. यह बहुत अच्छी कसरत है. उन्होंने कहा कि जब मैं इस उम्र में साइकिल चला सकता हूं तो दक्षिण पश्चिम कमांड और दूसरे लोगों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए. लेफ्टिनेंट ने बताया कि उनके साथ उनका लड़का और कुछ उनके स्टाफ के लोग भी उनके साथ साइकिलिंग करके जयपुर आए हैं. उनका बेटा सौ किलोमीटर साइकिल पहले चला चुका है. लेकिन 270 किलोमीटर साइकिल चलाकर जयपुर पहली बार आया है और यह उसके लिए एक अच्छा अचीवमेंट है.

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