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कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत फिर से हो सकता है लागू...लेकिन पायलट बने रहेंगे प्रदेशाध्यक्ष

लोकसभा चुनाव में हारने के बाद अब संगठन में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत को लागू करने की मांग जोर-शोर से उठने लगी है.पार्टी ने 3 दर्जन से ज्यादा नेता सत्ता और संगठन के पदों पर बैठे हैं. लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार के चलते प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को छोड़ बाकियों को पदों से हटाया जाएगा.

कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत फिर से हो सकता है लागू

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Published : Jun 4, 2019, 12:25 PM IST

जयपुर.लोकसभा चुनाव में आए खराब नतीजों के बाद एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी के भीतर एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत को लागू करने की मांग ने जोर पकड़ लिया है. हालांकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के चलते सचिन पायलट को पद से नहीं हटाने के दो कारण हैं. पहला कोई खराब संदेश नहीं जाए और दूसरा सचिन पायलट के कद का कोई नेता इस समय नहीं है. इसलिए प्रदेश अध्यक्ष पद पर तो सचिन पायलट बने रहेंगे.

लेकिन उनकी टीम में शामिल ऐसे पदाधिकारियों को हटाया जा सकता है जो संगठन के साथ साथ सत्ता में भी शामिल है. दरअसल यह मांग लोकसभा चुनाव के हारने के बाद तो उठी है. लेकिन यह बात विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद से उठने लगी थी. जब राष्ट्रीय संगठन महामंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री का पद संभालते ही संगठन के पद से इस्तीफा दे दिया था. वहीं एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत को लोकसभा चुनाव को देखते हुए उस समय टाल दिया गया था. पार्टी में करीब 3 दर्जन नेता ऐसे हैं जो दोनों पदों पर बने हुए हैं. बताया जा रहा है कि अब लोकसभा चुनाव क्योंकि संपन्न हो चुके हैं और उनका परिणाम भी कांग्रेस के हक में नहीं गया है. ऐसे में अब कांग्रेस में फेरबदल होना तय है और पूरी प्रदेश कार्यकारिणी में जो पदाधिकारी सत्ता और संगठन दोनों की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. उनसे संगठन की जिम्मेदारी वापस लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बेहतर काम करने वाले नेताओं को यहां पर नियुक्त किया जाएगा.

कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत फिर से हो सकता है लागू

9 उपाध्यक्ष सत्ता के भी भागीदार
कांग्रेस पार्टी के छह उपाध्यक्ष ऐसे हैं जो गहलोत सरकार में मंत्री हैं. इनमें 5 कैबिनेट और 1 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार है. इनमें विश्वेंद्र सिंह, मास्टर भंवरलाल मेघवाल, रघु शर्मा, प्रमोद जैन भाया और उदयलाल आंजना शामिल है. जबकि गोविंद सिंह डोटासरा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार है. वहीं प्रदेश कांग्रेस के तीन उपाध्यक्ष विधायक बन गए हैं. इनमें खिलाड़ी लाल बैरवा अशोक बैरवा और महेंद्र जीत सिंह मालवीय शामिल है.

दो महामंत्री में से एक विधायक और एक बन गए सरकार में मंत्री
सत्ता और संगठन दोनों में पदों वाले नेताओं में दो महामंत्री भी शामिल हैं. इनमें कांग्रेस के महामंत्री मुरारी लाल मीणा दौसा से विधायक बन गए हैं. तो वहीं महेंद्र चौधरी सरकारी उप मुख्य सचेतक हैं.

9 सचिव ऐसे जिनमें से आठ विधायक और एक मंत्री
इस लिस्ट में राजस्थान कांग्रेस के 9 सचिव भी शामिल है. इनमें से 8 सचिव विधायक हैं, तो एक मंत्री. सचिवों की बात करें तो प्रदेश कांग्रेस की सचिव जाहिदा खान, प्रशांत बैरवा, दानिश अबरार, अमीन कागज़ी, रोहित बोहरा, चेतन डूडी, कृष्णा पूनिया और इंद्राज गुर्जर विधायक बन गए हैं. तो वहीं प्रदेश कांग्रेस में सचिव अर्जुन बामणिया भी सरकार में राज्य मंत्री बनाए गए हैं.

तीन जिलाध्यक्ष भी मंत्री बने
राजस्थान कांग्रेस में पार्टी के तीन जिलाध्यक्ष ऐसे हैं जो गहलोत सरकार में मंत्री बन गए हैं. इनमें जयपुर शहर कांग्रेस के अध्यक्ष प्रताप सिंह खाचरियावास सरकार में परिवहन मंत्री है. जयपुर देहात के जिला अध्यक्ष राजेंद्र सिंह यादव गहलोत मंत्रिमंडल का हिस्सा है. इसके अलावा अलवर देहात के जिलाध्यक्ष टीकाराम जूली भी सरकार में मंत्री हैं. वही झुंझुनू के जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह विधायक बन गए हैं.

तीन अग्रिम संगठनों के पदाधिकारी भी दोहरी जिम्मेदारी में
कांग्रेस के अग्रिम संगठनों की बात करें तो महिला कांग्रेस की राजस्थान अध्यक्ष रेहाना रियाज प्रदेश कांग्रेस में महामंत्री पद पर है, ऐसे में इनके पास एक पद रहेगा. तो वहीं यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चांदना गहलोत सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार हैं. इसके अलावा कांग्रेस सेवा दल के राजस्थान अध्यक्ष राकेश पारीक भी अब विधायक बन चुके हैं.

राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट भी अध्यक्ष होने के साथ ही प्रदेश में उपमुख्यमंत्री पद पर भी हैं. ऐसे में उनके पास भी दो पद हैं और कहा जा रहा था कि लोकसभा चुनाव के बाद सचिन पायलट खुद ही अपना पद छोड़ देंगे. लेकिन लोकसभा चुनाव के आए निराशाजनक नतीजों के बाद सचिन पायलट को अपने निर्णय पर दोबारा सोचना पड़ा है, और अब वह कांग्रेस संगठन को दोबारा निराशा से निकालने के लिए अध्यक्ष बने रहेंगे. क्योंकि सचिन पायलट ने बीते विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हुई हार के बाद कांग्रेस संगठन को दोबारा खड़ा किया. ऐसे में पायलट के अलावा कोई और दूसरा विकल्प राजस्थान कांग्रेस के संगठन को चलाने के लिए कांग्रेस के पास नहीं है.

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