जयपुर.लोकसभा चुनाव में आए खराब नतीजों के बाद एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी के भीतर एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत को लागू करने की मांग ने जोर पकड़ लिया है. हालांकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के चलते सचिन पायलट को पद से नहीं हटाने के दो कारण हैं. पहला कोई खराब संदेश नहीं जाए और दूसरा सचिन पायलट के कद का कोई नेता इस समय नहीं है. इसलिए प्रदेश अध्यक्ष पद पर तो सचिन पायलट बने रहेंगे.
लेकिन उनकी टीम में शामिल ऐसे पदाधिकारियों को हटाया जा सकता है जो संगठन के साथ साथ सत्ता में भी शामिल है. दरअसल यह मांग लोकसभा चुनाव के हारने के बाद तो उठी है. लेकिन यह बात विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद से उठने लगी थी. जब राष्ट्रीय संगठन महामंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री का पद संभालते ही संगठन के पद से इस्तीफा दे दिया था. वहीं एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत को लोकसभा चुनाव को देखते हुए उस समय टाल दिया गया था. पार्टी में करीब 3 दर्जन नेता ऐसे हैं जो दोनों पदों पर बने हुए हैं. बताया जा रहा है कि अब लोकसभा चुनाव क्योंकि संपन्न हो चुके हैं और उनका परिणाम भी कांग्रेस के हक में नहीं गया है. ऐसे में अब कांग्रेस में फेरबदल होना तय है और पूरी प्रदेश कार्यकारिणी में जो पदाधिकारी सत्ता और संगठन दोनों की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. उनसे संगठन की जिम्मेदारी वापस लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बेहतर काम करने वाले नेताओं को यहां पर नियुक्त किया जाएगा.
9 उपाध्यक्ष सत्ता के भी भागीदार
कांग्रेस पार्टी के छह उपाध्यक्ष ऐसे हैं जो गहलोत सरकार में मंत्री हैं. इनमें 5 कैबिनेट और 1 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार है. इनमें विश्वेंद्र सिंह, मास्टर भंवरलाल मेघवाल, रघु शर्मा, प्रमोद जैन भाया और उदयलाल आंजना शामिल है. जबकि गोविंद सिंह डोटासरा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार है. वहीं प्रदेश कांग्रेस के तीन उपाध्यक्ष विधायक बन गए हैं. इनमें खिलाड़ी लाल बैरवा अशोक बैरवा और महेंद्र जीत सिंह मालवीय शामिल है.
दो महामंत्री में से एक विधायक और एक बन गए सरकार में मंत्री
सत्ता और संगठन दोनों में पदों वाले नेताओं में दो महामंत्री भी शामिल हैं. इनमें कांग्रेस के महामंत्री मुरारी लाल मीणा दौसा से विधायक बन गए हैं. तो वहीं महेंद्र चौधरी सरकारी उप मुख्य सचेतक हैं.