जयपुर. विवाहिताएं करवा चौथ का व्रत अपने पति का सही सलामती और दीर्घायु के लिए करती हैं, लेकिन जयुपर के रेनवाल कस्बे की एक विवाहिता ने अपना पतिव्रता धर्म निभाते हुए व्रत करके पति की सेवा और देखभाल की. परिणाम ये है कि उसके पति के स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार भी आ रहा है.
पत्नी की सेवा और विश्वास के चलते ठीक हो रहा है बीमार पति सतीश कुमावत रेनवाल के पियावाली ढ़ाणी के रहने वाले हैं. सतीश की उम्र 44 साल है. एक साल पहले करवा चौथ के ही दिन पेड़ से गिरने से सतीश की रीड़ की हडडी में फ्रेक्चर हो गया था. जिसके बाद से ही सतीश का पूरे शरीर ने काम करना बंद कर दिया था. परिजनों ने उसे तत्काल जयपुर के अच्छे हॉस्पिटल में भर्ती कराया, लेकिन कई दिनों के बाद भी उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ.
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इतना ही नहीं इसके बाद सतीश को जयपुर के कई और हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. इलाज में लााखों रूपए खर्च किए, लेकिन मरीज की हालात ने कोई सुधार नहीं हुआ और उसके हाथ-पैर ने काम करना बंद कर दिया. और तो और अब उसके शरीर में भी कोई हरकत नहीं होती थी. गहरी चोट की वजह से गरदन ने भी काम करना बंद कर दिया. 24 घंटे ऑक्सीजन के सहारे रहना पड़ता था.
करीब तीन महीने हॉस्पिटल में रहने के बाद डॉक्टरों ने भी अपने हाथ पीछे ले लिए, लेकिन सतीश की पत्नी ने हिम्मत नहीं हारी. उसकी हिम्मत को बढ़ाया सतीश के भाई गोपाल, हरीश और राजेन्द्र ने.परिजन सतीश को रेनवाल घर पर ले आए. जहां पूरे कमरे को आईसीयू बना दिया गया. आक्सीजन सक्सन मशीन, निम्यूलाईज मशीन, मानीटर, आक्सीजन सिलेंडर रखे गए. प्रतिदिन चिकित्सक की घर पर डयूटी लगा दी गई. सतीश ठेकेदारी का काम करते थे, उनके दो बच्चें भी हैं.
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24 घंटे पत्नी लगी रही सेवा में-
सतीश को घर लाने के बाद पत्नी शशिकला 24 घंटे पति की सेवा में लगी रहती थी. शुरूआत में फेंफडों में कफ जमा होने के कारण प्रत्येक 10-15 मिनट से मशीन से कफ निकालना पड़ता था. राईस पाईप से खाना दिया जाता था. दैनिक क्रियाएं करवानी पड़ती थी. शरीर पर इंफेक्सन नहीं हो, इसलिए कमरे को दिन में दो बार फिनायल से साफ करते थे. लगातार बैड पर लेटे रहने से पीठ पर बड़ा बेडसोल घाव हो गया था. जिस पर रोजाना ड्रेसिंग करनी पड़ती थी, लेकिन पत्नी और सतीश के भाईयों ने कभी हिम्मत नहीं हारी. दिन-रात मरीज की देखभाल में लगे रहे.
रंग लाई पत्नी की मेहनत, आने लगा सुधार-
लगातार देखभाल और ईलाज के बाद सतीश की हालत में काफी सुधार हुआ है. अब वो आराम से बातचीत करते हैं. ऑक्सीजन मशीन हट चुकी है. शरीर में हलचल होने लगी है. राईस पाईप भी निकाल दी गई है. हाथों में भी मूवमेंट होने लगा है. हांलाकि अभी सतीश खड़े होने लायक नहीं है, लेकिन लगातार सुधार से पत्नि शशिकला और भाईयों को पूरा भरोसा है कि एक दिन सतीश बिल्कुल ठीक हो जाएंगे.
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साहस और विश्वास के चलते छीन लाई पति को मौत को मुंह से
शशिकला का कहना है कि मुझे शुरू से ही भरोसा था कि उसके पति एक दिन बिल्कुल ठीक हो जाएंगे. उनके रखे गए करवा चौथ के व्रत उनके पति को कुछ नहीं होने देगें. इसके साथ ही शशि ने कहा कि अब उनमें आ रहे सुधार से उनका विश्वास यकीन में बदल रहा है. पति सतीश भी भाईयों और पत्नी की सेवा से अभिभूत है. उनका कहना है कि आज वो इनकी बदोलत ही ठीक हो रहा हूं.
नारी में तो वो शक्ति होती है जो एक बार कुछ ठान ले तो उसे पूरा करके ही दिखाती है. एक सावित्रि थी जो अपने सुहाग के लिए यमराज से भी लड़ गई थी. तो वहीं शशिकला भी आज के जमाने की सावित्री से कम नहीं हैं जो अपने पति को ठीक करने के लिए जी जान से लगी हुई हैं. साथ ही करवा चौथ का व्रत रखकर अपने पति को ठीक करने का प्रयास कर रही है. जिसमें उन्हें धीरे-धीरे सफलता भी मिल रही है.