जयपुर जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक जयपुर. जयपुर जिला परिषद के सभागार में गुरुवार को साधारण सभा की बैठक हुई. भाजपा की भजनलाल सरकार बनने के बाद जिला परिषद की इस पहली साधारण की बैठक का जिला प्रमुख रमादेवी चोपड़ा की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें जनप्रतिनिधियों ने कर्मचारियों की कार्यशैली को लेकर रोष जताया. खासकर बिजली विभाग के कर्मचारियों की कार्यशैली को लेकर नाराजगी जताई गई.
जयपुर जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक में जिला प्रमुख रमादेवी चोपड़ा के अलावा जिला परिषद सीईओ शिल्पा सिंह, चौमूं से कांग्रेस विधायक शिखा मील, आमेर से कांग्रेस विधायक प्रशांत शर्मा, शाहपुरा से कांग्रेस विधायक मनीष यादव और चाकसू से भाजपा विधायक राम अवतार बैरवा मौजूद रहे. जिला परिषद के सदस्यों और विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्र की पानी, बिजली, सड़क आदि से संबंधित समस्याओं को बताया और मौके पर मौजूद विभाग के अधिकारियों से उनके समाधान की मांग की. जिला परिषद के सदस्यों और विधायकों ने अपने क्षेत्र में बिजली संबंधित शिकायतों के प्रति ज्यादा नाराजगी जताई.
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उन्होंने कहा कि बिजली विभाग के कर्मचारी समय पर समस्याओं का समाधान नहीं कर रहे हैं. सबसे ज्यादा पीड़ित किसान हो रहे हैं जिनको न तो समय पर बिजली उपलब्ध हो रही है और ना ही वे काश्त कर पा रहे हैं. विधायकों ने मांग की कि जहां-जहां रात में बिजली दी जा रही है, वहां दिन में बिजली दी जाए ताकि किसान सर्दी से बच सकें. शाहपुरा से कांग्रेस विधायक मनीष यादव ने बिजली विभाग के कर्मचारियों को अपना व्यवहार सुधारने की हिदायत दी. उन्होंने कहा जब भी किसान बिजली विभाग के दफ्तर में जाता है तो उसके साथ सही व्यवहार नहीं किया जाता और न ही उसकी समस्या का समाधान किया जाता है.
जिला परिषद सदस्य विजय मीणा ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि बिजली विभाग ने कम मजदूरी पर कुछ लोगों को लगा रखा है. जिनकी उम्र भी काफी कम है. उन्हें किसी तरह का अनुभव नहीं होता है. जब कोई जनहानि होती है, तो आम जनता जनप्रतिनिधि के खिलाफ नाराजगी जताती है. उन्होंने संबंधित अधिकारी से कहा कि कम उम्र के लड़कों को कम मजदूरी पर बिजली विभाग में नहीं लगाया जाए. एक्सईएन ने कहा कि जांच में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है, इस पर विजय मीणा ने रोष जताते हुए कहा कि यदि कोई ऐसा लड़का मुझे मिल गया, तो मैं बांध कर उसे जिला परिषद में ले आऊंगा. विधायक मनीष यादव ने कहा कि डिमांड नोटिस जारी होने के बाद भी लोगों को बिजली कनेक्शन नहीं दिया जा रहा है.
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साधारण सभा की बैठक के दौरान सीईओ शिल्पा सिंह ने कहा कि सभी जिला परिषद सदस्य अपनी समस्याएं एक कागज पर लिखकर दे दें. इस बात का जिला परिषद सदस्य रामकेश मीणा ने विरोध किया. उन्होंने कहा कि बैठक का मिनट टू मिनट नोट किया जा रहा है, तो इस तरह से कागज पर समस्या लिखकर देने का कोई औचित्य नहीं है. सदन में इस तरह की परिपाटी को शुरू नहीं की जाए. जिला परिषद सदस्यों और विधायकों ने अधिकारियों को बिजली के अलावा पानी, सड़क आदि की समस्याओं से भी अवगत कराया.
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जिला प्रमुख रमादेवी चौपड़ा ने कहा कि पानी, बिजली, सड़क, जल जीवन मिशन, स्कूलों के ऊपर से गुजर रहे बिजली लाइनों की शिफ्टिंग का काम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन में कितना घोटाला हुआ. आम जनता तक पानी नहीं पहुंच पाया. अब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है और हम लोग केंद्र सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने की कोशिश करेंगे. पिछली कांग्रेस सरकार में काफी भ्रष्टाचार हुआ और काम के दस्तावेज समय पर नहीं पहुंच पाए. इससे आम जनता का काम रुका रहा. दस्तावेजों की कमी के कारण हमारा पैसा भी लैप्स हुआ. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने पिछले 5 सालों में अपनी योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया, लेकिन आम जनता के लिए कुछ नहीं किया. जो काम पिछली कांग्रेस सरकार में नहीं हुआ, वही काम आगे हो, इसके लिए ही यह साधारण सभा की बैठक बुलाई गई है.
कांग्रेस के उप जिला प्रमुख मोहन डागर ने जिला परिषद की कार्यशैली को लेकर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार बनने के बाद आम जनता के कोई काम नहीं हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि काम के मामले में उदासीनता साफ नजर आ रही है. जो काम पहले से चालू थे, उनको भी बंद कर दिया है. गांवों में 10-10 दिन से डीपी नहीं बदली जा रही है. जेडीए की सेक्टर सड़कों और नरेगा का काम भी रोक दिया गया है. डागर ने कहा कि भाजपा सरकार बनने के बाद ग्रामीण क्षेत्र के विकास का पहिया रुक गया है. आपको बता दें कि जयपुर जिला परिषद में भाजपा का बोर्ड बना हुआ है और यहां जिला प्रमुख कांग्रेस के मोहन डागर हैं.
महिलाओं ने किया हंगामा:श्री अन्नपूर्णा रसोई योजना का मानदेय बिलों का भुगतान दिलवाने के लिए महिला कर्मचारियों ने साधारण समाज की बैठक में हंगामा किया. इस दौरान उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि पिछले 5 महीने से उनका मानदेय नहीं मिल रहा है. इसके लिए जिला कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम कई बार ज्ञापन भी दे चुके हैं. महिलाओं ने कहा कि मानदेय नहीं मिलने से उनको घरचलाने में परेशानी हो रही है. साथ ही बच्चों की स्कूल की फीस भी जमा नहीं करा पा रहे हैं.