जयपुर. जयपुर के मालवीय नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्र हाल ही में नई दिल्ली में सोसाइटी ऑफ आटोमोटिव इंजीनियर यानी ASAE नॉर्थ इंडिया सेक्शन के कार्यक्रम में बतौर प्रतियोगी शामिल हुए. यहां देशभर के 45 इंजीनियरिंग कॉलेजेस से आए स्टूडेंट्स के बीच एक प्रतियोगिता रखी गई. इस प्रतियोगिता में ड्राइवरलेस कारों को लेकर सुझाव मांगे गए (idea of autonomous Car appreciated at ASAE). MNIT जयपुर के छात्रों ने इस प्रतियोगिता में अपने सुझावों से सबका दिल जीत लिया, उन्होंने भारतीय सड़कों की दशा के बीच सबसे ज्यादा सुझाव दिए और प्रतियोगिता में पहला पुरस्कार हासिल किया.
एमएनआईटी की स्पार्क विट टीम ने सबसे ज्यादा सुझाव देकर पहले पुरस्कार के रुप में ₹14 हजार रुपये हासिल किए ,वहीं तीसरा पुरस्कार भी राष्ट्रीय मालवीय प्रौद्योगिकी केंद्र जयपुर के नाम रहा, जिसमें इनामी राशि के रूप में ₹35 हजार रुपए दिए गए और एक अन्य टीम ने भी ₹15 हजार रुपए जीते. आपको बता दें कि इस कंपटीशन में देश भर के 45 से अधिक कॉलेजों से इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स ने शिरकत की थी.
ड्राइवर लेस कार फाॅर्मूला: भारत में सड़क परिवहन की स्थिति के लिहाज से स्थितियां अगर देखी जाए, तो ड्राइवरलेस कार के लिए फिलहाल मुफीद नहीं है. ऐसे में सड़कों पर वाइट मार्किंग के जरिए कारों को डायरेक्शन दिया जाता है लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में ज्यादातर सड़कों पर वक्त के साथ सफेद पट्टी धुंधली पड़ जाती है. इसे ड्राइवरलेस गाड़ियां सेंसर नहीं कर पाती. जयपुर एमएनआईटी की टीम ने अपने सुझाव में कहा कि साॅल्यूशन मार्किंग पर निर्भर न करके डायरेक्शन पर होना चाहिए ,ताकि लेफ्ट और राइट डायरेक्शन में गाड़ी अपने सॉफ्टवेयर का अनुसरण करें.
जयपुर एमएनआईटी (Jaipur MNIT Students) किस टीम का दूसरा सुझाव था कि तेज रफ्तार वाली गाड़ियों में अंतर के हिसाब से ड्राइवरलेस कारों में ब्रेक लगाए जाते हैं ,परंतु भारतीय परिस्थितियों में यह इमरजेंसी ब्रेक के रूप में ही बार-बार उपयोग में होगा. लिहाजा सॉफ्टवेयर को बहुत ज्यादा एफिशिएंसी के साथ काम करना होगा. ताकि गड्ढे आने ,पशु आने या फिर गलत दिशा से गाड़ी आने की परिस्थिति में ड्राइवरलेस गाड़ी का सेंसर वक्त पर गति नियंत्रण के साथ गाड़ी को कंट्रोल कर सके.