गहलोत सरकार के एक्शन पर सवाल जयपुर.13 मई, 2008 को जयपुर में सिलसिलेवार बम धमाकों में 71 लोगों की मौत के आरोपियों के हाईकोर्ट से बरी होने के बाद राजस्थान की सियासत गरमाने लगी है. इस मामले में शुक्रवार देर शाम बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक उच्च स्तरीय बैठक की और आरोपियों के खिलाफ पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया. इस मामले में एएजी राजेंद्र यादव पर भी सरकार ने एक्शन लिया और उन्हें हटा दिया गया.
एटीएस की जांच को लेकर डीजीपी को पत्र लिखाःअतिरिक्त महाधिवक्ता यादव पर कमजोर पैरवी करने का आरोप लगाया गया था और इसी के तहत उनकी सेवाएं समाप्त की गईं. सरकार ने तय किया है कि विशेष अनुमति याचिका यानी SPL सर्वोच्च अदालत में दायर की जाएगी. इस अर्जी में राजस्थान सरकार हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देगी. पूरी प्रक्रिया के बीच अहम सवाल यह है कि जहां एक तरफ राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच एजेंसी ATS की ओर से की गई जांच में खामियों को बड़ी वजह मानते हुए डीजीपी को एक पत्र लिखा था. वहीं दूसरी ओर सरकार ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को कमजोर पैरवी का दोषी माना है.
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AAG ने कुछ भी कहने के इंकार कियाः हाईकोर्ट की राय से उलट सरकार के इस एक्शन को लेकर जब पड़ताल की गई, तो ईटीवी भारत के हाथ साल 2022 में एडवोकेट जनरल की ओर से जारी किया गया एक पत्र भी आया. इस पत्र में दिए गए निर्देशों के मुताबिक 2022 के आदेश के बाद अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेंद्र यादव कोर्ट में जयपुर और जांच एजेंसियों से जुड़े मामले का क्षेत्र अधिकार नहीं रखते थे. यह पत्र 23 फरवरी, 2022 को जारी किया गया था. इस पूरे प्रकरण में ईटीवी भारत ने जब अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेंद्र यादव से उनका पक्ष जानना चाहा, तो उन्होंने किसी भी प्रकार की टिप्पणी से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि यह सरकार का फैसला है और वह इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहते हैं.
भाजपा ने उठाए गंभीर सवालःजयपुर धमाके के आरोपियों के कोर्ट से बरी हो जाने के मामले में भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट करते हुए कहा कि राजस्थान के इतिहास की सबसे बड़ी घटना में कई निर्दोष लोगों ने जान गवां दी थी. कई परिवारों की खुशियां गम में बदल गई थी. ऐसे में फांसी की सजा से चार आरोपियों का बरी हो जाना गंभीर मामला है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस मामले में अतिरिक्त महाधिवक्ता का ही दोष दिखाई दिया. जबकि इस मामले में एडवोकेट जनरल, निदेशक अभियोजन और गृह विभाग के साथ ही गृह सचिव के दोष नजर नहीं आए. राठौड़ ने आरोप लगाया कि AAG की सेवाएं समाप्त करके उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार इस मामले में अपनी लापरवाही को छिपा नहीं सकती है.
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गजेंद्र शेखावत का तंज, इस केस में छोटा है निंदा शब्दः केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी राजस्थान सरकार से पूछा है कि एक अतिरिक्त महाधिवक्ता की सेवाएं समाप्त करने से क्या होगा? शेखावत ने सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही को लेकर सवाल किया और कहा कि सरकार, प्रशासन और मंत्री सभी आपके हैं, तो फिर जवाबदेही भी आपकी ही बनती है. जब इंसाफ दिलाना था तब आप सोए रहे और अब सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर आप बचना चाहते हैं. शेखावत ने तंज कसते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ट्विटर पर अपना वक्तव्य टैग किया. उन्होंने कहा कि इस मामले में निंदा शब्द भी छोटा है. फिलहाल प्रदेश भाजपा इस पूरे मसले को लेकर आक्रमक रुख अख्तियार किए हुए है. शनिवार को जयपुर में एक बड़े प्रदर्शन के बाद भाजपा की नीति है कि प्रदेश में जिला स्तर पर भी सरकार के इस मामले में रुख को लेकर आवाज उठाई जाएगी.
आरोपियों के छूटने से गरमाई सियासत
जमात-ए-इस्लामी हिंद ने की यह मांगः इससे पहले मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत कर चुका है. जिस फैसले में कोर्ट ने जयपुर धमाके में आरोपियों को जांच में प्रमाणित तथ्य नहीं होने की वजह से बरी करने का फैसला लिया था. जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद निजामुद्दीन ने इस मामले में प्रदेश सरकार से झूठे आरोपों में फंसाने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की थी. मोहम्मद निजामुद्दीन ने कहा था कि इतने साल जिन युवाओं को जेल में डालकर रखा गया, उन्हें सरकार मुआवजा भी दे. निजामुद्दीन ने कहा कि सरकार को इस मामले को रिइन्वेस्टिगेट करके दोषियों को तत्काल पकड़ने की कार्यवाही करनी चाहिए. सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दिए जाने पर उन्होंने कहा कि सर्वोच्च अदालत भी दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी, क्योंकि इस मामले में असल मुजरिम आज भी गिरफ्त से दूर है.
प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शनः जयपुर बम धमाकों के गुनहगारों को सख्त सजा दिलाने में नाकाम रही राज्य सरकार को खिलाफ शनिवार को जनसमस्या निवारण मंच ने जयपुर में अपना विरोध मुखर किया. मंच के प्रमुख सूरज सोनी के नेतृत्व मे भारी आक्रोश व्यक्त करते हुए कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया गया. साथ ही इस बारे में राज्यपाल के नाम कलेक्टर (एडीएम अबुबक्र) को ज्ञापन सौंपा गया. जनसंख्या निवारण मंच ने मांग रखी है कि जल्द राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील कर गुनहगारों को फांसी दिलाने की ठोस पैरवी करे. जिस एजेंसी और अभियोजन की लापरवाही से हाईकोर्ट में दरिंदों को राहत मिली, उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करे.