जयपुर. हिंदुस्तान के हर नागरिक को सोशल सिक्योरिटी मिलनी चाहिए. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पार्लियामेंट में राइट टू सोशल सिक्योरिटी बिल लाना चाहिए. ये कहना है प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत का. गहलोत शनिवार को एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्लेटिनम जुबली सेलिब्रेशन में पहुंचे थे. यहां उन्होंने कॉलेज के एलुमिनाइज को सम्मानित किया. साथ ही राइट टू हेल्थ का विरोध कर रहे प्राइवेट मेडिकल संस्थानों पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें समझना चाहिए कि चिकित्सा बिजनेस नहीं बल्कि सेवा है.
इतिहास बना चुका है संस्थानः इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि वो एसएमएस मेडिकल कॉलेज के माहौल से प्रभावित हैं. ये एक संस्थान है जो इतिहास बना चुका है. इस मेडिकल कॉलेज ने 75 वर्ष का सफर तय किया है. यदि 75 साल के बाद ही ये प्रतिष्ठित नहीं होता तो यहां मौजूद डॉक्टर्स को भी अच्छा नहीं लगता. उन्होंने कहा कि एसएमएस और आरयूएचएस ने कोविड-19 के दौरान देश के अंदर अलग पहचान बनी. कोविड-19 की पहली लहर भी बहुत डरावनी थी, लेकिन राज्य में मेडिकल फैकल्टी के साथ सभी कर्मचारी को 50 लाख देने की घोषणा की गई. इसमें किसी तरह की राजनीति नहीं की गई. एक तरफ डॉक्टर्स ने कोई कमी नहीं रखी, वहीं राज्य सरकार ने ये ध्यान रखा कि कोई भूखा ना सोए.
WHO ने भी की थी तारीफःउन्होंने कहा कि आईटी के माध्यम से गांव तक जुड़े हुए हैं, इसका फायदा भी मिला. करीब 500 वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की. जिनमें से 250 कोविड-19 से रिलेटेड थी. उस दौरान भीलवाड़ा मॉडल बना. जिसकी WHO ने भी तारीफ की. विश्व में खतरनाक माहौल था, इटली जैसे देशों में तो बुजुर्गों की केयर नहीं की गई. यहां अपने संस्कार है, यहां युवाओं के साथ-साथ बुजुर्गों का भी ध्यान रखा गया. सीएम ने बताया कि राजस्थान में सरकार बनते ही एकेडमिक ब्लॉक के इसी हॉल में निरोगी राजस्थान के रूप में एक नई शुरुआत की गई थी. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय निशुल्क दवा योजना की शुरुआत की थी. जिसकी देशभर में तारीफ हुई और इस बार चिरंजीवी योजना शुरू की है. इसमें पहले 10 लाख और अब 25 लाख का प्रावधान किया गया है. इस योजना के तहत राजस्थान से बाहर इलाज लेने पर भी पैकेज का लाभ मिलेगा. धीरे-धीरे ये योजना सभी राज्यों को अपनानी होगी.
शिक्षा व स्वास्थ बिजनेस नहीं सेवा हैः अशोक गहलोत ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर के लोग राइट टू हेल्थ का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने एसएमएस मेडिकल कॉलेज के सीनियर डॉक्टर्स से निजी अस्पताल वालों से समझाइश की बात बताते हुए कहा कि शिक्षा और स्वास्थ इनकम का सोर्स नहीं, ये बिजनेस नहीं बल्कि सेवा है. प्राइवेट अस्पताल वाले कमाने के कई रास्ते ढूंढ लेते हैं. बावजूद इसके राइट टू हेल्थ बिल का विरोध किया जा रहा है. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की अपनी अपील दोहराते हुए कहा कि पार्लियामेंट में राइट टू सोशल सिक्योरिटी का कानून बनाया जाए.इस दौरान उन्होंने फारूक अब्दुल्ला के कार्यक्रम में नहीं पहुंचने का भी जिक्र किया. साथ ही देश के अन्य जिलों में मेडिकल कॉलेज शुरू करने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वो ऐसी किसी भी बात पर नहीं जाना चाहते हैं, जिससे कांग्रेस और बीजेपी की बात हो. इस दौरान सीएम ने राष्ट्रीय स्तर पर जिस भी तरह के रिसोर्स (फैसिलिटी, इन्फ्राट्रक्चर, इक्विपमेंट) हैं वो राजस्थान में भी होने की बात कहते हुए इसके लिए किसी तरह के धन की कमी नहीं आने की बात कही. साथ ही विधायकों को दिए गए अपने वादे का जिक्र करते हुए कहा कि विधायकों को कह रखा है कि वो मांगते-मांगते थक जाएंगे, मैं देता देता नहीं थकूंगा. यही बात SMS के डॉक्टर्स के लिए भी लागू है. इस दौरान जब सीएम गहलोत से राइट टू हेल्थ बिल को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी विधानसभा सत्र चल रहा है.