जयपुर. प्रदेश में कांग्रेस की गहलोत सरकार हमेशा से आम जनता की आवाज सुनने वाली सरकार अपने आपको बताते रही है. कांग्रेस ने सत्ता में आने के साथ ही कहा कि वह आम जनता की पीड़ा सुनने वाली सरकार है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने मंत्रियों को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी थी. लेकिन सीएम गहलोत के निर्देश के बाद भी सोलह मंत्री ऐसे हैं जिन्होंने अपने प्रभारी जिले का न ही दौरा किया और ना ही वहां की स्थानीय समस्याओं को कभी सुना है.
बता दें कि पिछले दिनों प्रदेश में अच्छे मानसून की वजह से कई जिलों में बाढ़ के हालात बन गये. मौसम विभाग की तरफ से अभी भी कई जिलों में अलर्ट जारी किया हुआ है. वहीं कानून-व्यवस्था को लेकर प्रदेश के कई जिलों से वारदातें सामने आ रही हैं. इन सब को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 22 अगस्त को सभी मंत्रियों को प्रभारी सचिवों के साथ जिलों का दौरा करने के निर्देश दिए. फिर भी 23 में से 16 मंत्रियों ने सीएम गहलोत के आदेशों को नहीं मानते हुए एक भी दौरा नहीं किया है. योजनाओं की मॉनिटरिंग आमजन और कार्यकर्ताओं की सुनवाई के लिए प्रभारी मंत्री बनाए गए. सभी को किसी न किसी जिले का प्रभार दिया गया. लेकिन अधिकांश मंत्री प्रभार वाले जिलों में जा ही नहीं पाए.
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ऐसे में मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रशासनिक सुधार विभाग ने 22 अगस्त को सभी मंत्रियों को अगस्त महीने में प्रभारी सचिवों के साथ दौरा करने के निर्देश जारी किए. इसके बाद भी हालात नहीं सुधरे. वहीं अगस्त बीत गया है और अधिकांश मंत्री उनके प्रभार वाले जिलों में नहीं पहुंचे हैं. इनमें से आठ कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्री हैं. हालांकि इनमें से आठ ऐसे मंत्री हैं जो आदेश से पहले ही अगस्त में प्रभार जिलों का दौरा कर चुके हैं जबकि इसको लेकर सीएम गहलोत के अलावा डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी निकाय चुनाव को देखते हुए सभी मंत्रियों को जिलों में दौरे के दौरान कांग्रेस कार्यालय में जाने के लिए दे दिए थे. उन्होंने कहा था कि अधिकांश मंत्री सर्किट हाउस में बैठकर चुनिंदा नेताओं से मिलकर आ रहे हैं. ऐसे में कार्यकर्ताओं में मंत्रियों के प्रति नाराजगी भी देखने को मिल रही है.