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कॉलेज में दाखिले की जंग, सीटों के मुकाबले ज्यादा हैं प्रवेशार्थी, क्या प्रवेश परीक्षा से बनेगी बात?

राजस्थान में भी इस बार बारहवीं का रिजल्ट छात्रों के लिए खुशियों से भरपूर रहा. विद्यार्थियों को अंक भी बढ़िया मिले हैं. अब इस अच्छे परिणाम के बावजूद बच्चे, अभिभावक और शिक्षा जगत से जुड़े लोग फिक्रमंद हैं. वजह है कॉलेज में एडमिशन. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RAJASTHAN BOARD OF SECONDARY EDUCATION) ने 12 वीं के जो नतीजे जारी किए उसमें जयपुर में 1,03,625 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से पास हुए हैं. यहां राजस्थान विश्वविद्यालय के चार संघटक कॉलेजों में महज 7 हजार ही सीटें हैं. यह गुणा भाग ही लोगों की चिंता का सबब बन गया है.

Now its admission war
अब दाखिले की जंग

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Published : Aug 4, 2021, 10:21 AM IST

Updated : Aug 4, 2021, 10:33 AM IST

जयपुर।कोरोना संकट के बीच 12वीं का परिणाम जारी हुआ है. इसके बाद की प्रक्रिया को लेकर अब जोर आजमाइश का दौर शुरू हो गया है. जयपुर की बात करें तो छात्र, अभिभावक और शिक्षाविद् असमंजस में हैं. इसकी वजह है कि कॉलेजों में सीट के मुकाबले अभ्यर्थियों की बड़ी संख्या. राजधानी में कुल 1,03,625 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से पास हुए हैं वहीं राजस्थान विवि (Rajasthan VishwaVidyalaya) के संघटक कॉलेजों में सीटों की संख्या है 7 हजार. तो ऐसे में सीटों को लेकर मारामारी लाजिमी है. वैसे शिक्षाविद् अब प्रवेश परीक्षा को इसका बेहतर विकल्प मान रहें हैं.

कॉलेज में एंट्रेंस का विकल्प हो सकता है सही

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राजस्थान विश्वविद्यालय की संघटक कॉलेजों (Constituents Colleges) में जहां आमतौर पर कटऑफ ज्यादा रहती है. वहीं, इस बार इसके और ज्यादा रहने के आसार हैं. दरअसल, कोरोना संकट के चलते इस बार पिछली कक्षाओं के अंक और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों का परिणाम जारी किया गया. ऐसे में बड़ी संख्या में विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से पास हुए.

आंकड़े बताते हैं कि जयपुर में 1,03,625 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से पास हुए हैं. इनमें बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के 95 फीसदी से अधिक अंक आए हैं. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि पिछले सालों के मुकाबले इस साल कटऑफ ज्यादा ही रहेगा.

दूसरी बात यह है कि आमतौर पर कई विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं और मेडिकल व एंट्रेंस परीक्षाओं की तैयारी के चलते 12वीं के आंतरिक मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं. ऐसे विद्यार्थियों के इस बार कम अंक आए हैं. इस तरह के विद्यार्थियों के लिए प्रवेश का विकल्प सीमित होगा.

सो, अब स्नातक कक्षाओं में प्रवेश परीक्षा के माध्यम से एडमिशन की व्यवस्था लागू करने की मांग जोर पकड़ रही है. शिक्षाविद भी की वकालत कर रहे हैं। शिक्षाविदों का कहना है कि ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा और दसवीं व बाहरवीं कक्षा के अंकों के आधार पर प्रवेश की व्यवस्था लागू किया जा सकता है. शिक्षा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इस साल जयपुर में विज्ञान संकाय में 35,517 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से पास हुए हैं. जबकि कॉमर्स में 8,459 और आर्ट्स में 59,649 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से पास हुए हैं.

अब बात सीट और कटऑफ की करें तो राजस्थान विश्वविद्यालय के संघटक कॉमर्स कॉलेज (Constituents Colleges In Commerce Stream) में बीकॉम पास कोर्स की 1080 सीट्स हैं. जहां पिछले साल जनरल कैटेगरी (General Category) में कट ऑफ 92.80 फीसदी, ओबीसी (Other Backward Class) में 83.80 फीसदी, एससी (Scheduled Cast) में 75.80 फीसदी, एसटी (Scheduled Tribes) में 66.40 फीसदी, एसबीसी (SBC) में 65.40 फीसदी और ईडब्ल्यूएस (EWS) में 73.20 फीसदी कटऑफ रही थी.

इसी तरह राजस्थान कॉलेज में बीए पास कोर्स की 960 सीट के लिए पिछले साल सामान्य वर्ग की कटऑफ 93.60 फीसदी थी. जबकि ओबीसी में 91.20 फीसदी, एससी में 88.80 फीसदी, एसटी में 89.40 फीसदी, एसबीसी में 89.60 फीसदी और ईडब्ल्यूएस वर्ग की कटऑफ 86.20 फीसदी रही थी.

इसी तरह महाराजा कॉलेज में बीएससी पास कोर्स की 720 सीट हैं. यहां सामान्य वर्ग की बायो में कटऑफ 90.80 और मैथ्स में 94.80 फीसदी रही थी. मैथ्स में ओबीसी की कटऑफ 93 फीसदी, एससी की 90.20, एसटी में 90.80, एसबीसी की 91.20 और ईडब्ल्यूएस की कटऑफ 91.60 फीसदी रही है. इसी तरह महारानी कॉलेज में बीएससी, बीकॉम और बीए की पहली कटऑफ 95 फीसदी से अधिक रही थी. ऐसे में इस बार चारों संघटक कॉलेजों में कटऑफ पहले की तुलना में कहीं ज्यादा रहने की संभावना जताई जा रही है.

महारानी कॉलेज की वाईस प्रिंसिपल डॉ. अलका शर्मा का कहना है कि इस बार कक्षा 12 के परिणाम में कई बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें आंतरिक मूल्यांकन में अच्छे अंक मिलने से अंतिम परिणाम में बहुत अच्छे अंक मिले हैं. राजस्थान विवि के संघटक कॉलेजों में अमूमन कटऑफ ज्यादा ही रहती है. पिछले साल भी कोरोना संकट के चलते मेरिट के आधार पर एडमिशन हुआ था और कटऑफ बहुत ज्यादा रही थी. ऐसे में इस साल जिस तरह से बाहरवीं कक्षा का परिणाम आया है. कटऑफ बहुत ज्यादा रहने की उम्मीद है.

उनका कहना है कि कुछ बच्चे ऐसे भी हैं. जो लगातार अच्छा प्रदर्शन करते हुए टॉप करते आ रहे हैं. लेकिन हमारे यहां एक चलन आमतौर पर देखने को मिलता है कि बाहरवीं की पढ़ाई के साथ ही बच्चे नीट या इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी करते हैं. ऐसे बच्चे स्कूल की बजाए कम्पीटिशन एग्जाम पर ज्यादा फोकस करते हैं. कई बच्चे स्कूल की पढ़ाई और आंतरिक मूल्यांकन पर कम ही फोकस कर पाते हैं. ऐसे बच्चों को स्वाभाविक रूप से अपेक्षाकृत कम अंक मिले हैं. ऐसे बच्चों के लिए कॉलेज में प्रवेश लेना संभव नहीं हो पाएगा. डॉ अलका का यह भी कहना है कि यह केवल अंकों के नुकसान और प्रवेश का ही नुकसान नहीं हुआ है. बल्कि इसका उनके व्यक्तित्व पर भी गहरा असर होगा और इसके दूरगामी परिणाम होंगे.


मेरिट के बजाए प्रवेश का कोई दूसरा विकल्प क्या हो सकता है. इस सवाल पर अलका शर्मा का कहना है कि- ऐसे में इस बार मेरिट के आधार पर प्रवेश के बजाए प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश की व्यवस्था लागू की जा सकती है. दसवीं बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट, इस साल बाहरवीं के अंक और प्रवेश परीक्षा के अंकों के आधार पर प्रवेश की व्यवस्था की जाए तो तो असंतुलन दूर हो सकता है. जिस तरह से हम स्नातकोत्तर स्तर पर प्रवेश देते हैं, ठीक उसी तरह से हम स्नातक स्तर पर भी प्रवेश की व्यवस्था कर सकते हैं. उनका यह भी मानना है कि प्रवेश परीक्षा भी ऑनलाइन मोड पर आयोजित करवाई जा सकती है क्योंकि कोरोना संकट के दौर में हम डिजिटल प्लेटफार्म पर काफी मजबूती के साथ उभरे हैं.


एनएसयूआई (NSUI) के प्रदेश प्रवक्ता रमेश भाटी का कहना है कि इस बार जिस तरह से 12वीं का परिणाम जारी किया गया है उसमें शहरी क्षेत्र और निजी स्कूलों के विद्यार्थियों को ज्यादा अच्छे अंक मिले हैं. इसकी तुलना में ग्रामीण परिवेश और सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को कम अंक मिले हैं. ऐसी परिस्थिति में ग्रामीण छात्रों को पांच फीसदी अंकों की छूट दी जानी चाहिए.

Last Updated : Aug 4, 2021, 10:33 AM IST

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