जयपुर.संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनओ) ने साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की है. इस घोषणा के तहत कृषि विपणन विभाग की ओर से राजस्थान मिलेट्स कॉन्क्लेव का आयोजन राजधानी के दुर्गापुरा कृषि प्रबंधन संस्थान में 13 और 14 मार्च को होगा. कॉन्क्लेव की शुरुआत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 13 मार्च को करेंगे, जिसमें 100 से ज्यादा मिलेट्स मिलेट्स (मोटा अनाज) स्टार्टअप और कृषि प्रसंस्करण के स्टाल लगाए जाएंगे ताकि लोगों को मिलेट्स को लेकर ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जाए.
मिलेट्स के फास्ट फूड भी प्रदेश में बनते दिखेंगे:कार्यक्रम की जानकारी देते हुए मंत्री मुरारी लाल मीणा ने मीलेट्स के कम इस्तेमाल में सरकारों की कमजोरी को भी माना. उन्होंने कहा कि एक समय था जब राजस्थान में मिलेट्स यानी मोटा अनाज भोजन की थाली का अहम हिस्सा हुआ करता था. लेकिन धीरे-धीरे लोग फास्ट फूड और अन्य तरीके के भोजन पदार्थों को इस्तेमाल करने लगे.
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उन्होंने कहा कि राजस्थान अपने सबसे ज्यादा प्रयोग में आने वाले खाद्य पदार्थों को ही फास्ट फूड में शामिल नहीं कर सका. यह उन सब की कमजोरी रही. ऐसे में आने वाले समय में अब मिलेट्स के फास्ट फूड भी प्रदेश में बनते दिखेंगे. मीना ने कहा कि मिलेट्स को लेकर प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए सरकार अब 70% अनुदान दे रही है. इसके तहत प्रदेश में अब तक 900 से 950 प्रोसेसिंग यूनिट भी लगी हैं. इसमें करीब 300 करोड़ रुपए का अनुदान भी सरकार की ओर से दिया गया है.
मिड डे मील और आंगनबाड़ी पोषाहार में शामिल होगा मिलेट: दरअसल राजस्थान में अच्छी खासी मात्रा में उत्पादन होने और जलवायु के मिलेट्स के अनुकूल होने के बावजूद भी दिन-ब-दिन मिलेटस से आम लोगों की दूरी एक चिंता का सबब बना हुआ है. इसके पीछे एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि मिलेट्स के उत्पादक को न तो अपने सामान बेचने का बाजार मिलता है और ना ही पूरी कीमत. यही कारण है कि किसानों ने मोटा अनाज उत्पादन करने में बेरुखी दिखानी शुरू कर दी है. ऐसे में अब राज्य सरकार की ओर से यह निर्णय लिया गया है कि जल्द ही मिड डे मील और पोषाहार जैसी योजनाओं में दिया जाने वाला खाना मिलेटस आधारित होगा. वैसे भी राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है कि 20% मिलेट्स पोषाहार और मिड डे मील में इस्तेमाल किया जाएगा. जिससे कि उत्पाद की खपत हो सके और उन्हें अपनी फसल की कीमत भी मिल जाए.
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यूएनओ की ओर से इस साल को मिलेट्स को समर्पित करने से सबसे ज्यादा फायदा राजस्थान को होगा, क्योंकि राजस्थान ज्वार और बाजरा जैसे मोटे अनाज की खेती के लिए सबसे अनुकूल जलवायु रखता है. देश में बाजरा उत्पादन में राजस्थान नंबर एक पर है. क्योंकि गेहूं और चावल की तुलना में बाजरा, ज्वार, रागी और सावां जैसे मीलेट्स में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन बी कॉन्प्लेक्स और खनिज भरपूर होने के कारण इन्हें सेहत के लिए बेहतरीन माना जाता है. ऐसे में राजधानी में होने वाले इस दो दिवसीय मिलेट्स कॉन्क्लेव को खासा महत्वपूर्ण माना जा रहा है.