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'चुनाव में हलफनामा गलत मिला तो रिटर्निंग अधिकारी और प्रस्तावक पर भी होगी कानूनी कार्रवाई'

राजस्थान में चुनावी नामांकन में गलत तथ्यों के साथ हलफनामा दाखिल करने की मिल रही शिकायतों को लेकर आयोग (Rajasthan Election Commission) सख्त हो गया है. अब चुनाव में हलफनामा गलत मिला तो उम्मीदवार के साथ रिटर्निंग अधिकारी और प्रस्तावक पर भी कानूनी कार्रवाई होगी.

Rajasthan Election Commission
राजस्थान निर्वाचन आयोग

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Published : Nov 17, 2022, 10:55 AM IST

जयपुर. चुनावी नामांकन में लगातार गलत तथ्यों के साथ हलफनामा दाखिल करने की मिल रही शिकायतों के बीच अब राज्य निर्वाचन आयोग (Rajasthan Election Commission) ने सख्ती दिखाई है. आयोग ने अब निर्देश जारी किए हैं कि अगर चुनावी प्रक्रिया में कोई भी अभ्यर्थी गलत तथ्य पेश कर चुनाव लड़ लेता है तो उसमें दोषी अब अभ्यर्थी ही नहीं बल्कि रिटर्निंग अधिकारी और प्रस्तावक भी होंगे. इन दोनों के खिलाफ भी आयोग की ओर से कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

गलत तथ्य पर होगी कार्रवाई- राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त मधुकर गुप्ता ने कहा कि नगर निकाय पंचायत चुनाव में कई बार यह शिकायतें आई हैं कि उम्मीदवार गलत शपथ पत्र पेश करके चुनाव लड़ लेता है और जीत भी जाता है. बाद में जब शिकायत मिलती है और जांच होती है तब तक 5 साल का वक्त लगभग गुजर जाता है. ऐसे में जो दूसरे उम्मीदवार हैं उनके अधिकारों का हनन होता है. ऐसे में आयोग ने निर्देश जारी किए हैं.

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आयोग ने निर्देश जारी किया कि जब भी कोई प्रत्याशी अपना शपथ पत्र पेश करेगा उसमें संतान को लेकर नियमानुसार पूरी जानकारी देगा. इसके साथ अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में भी पूरी जानकारी देगा और संपत्ति को लेकर अपना विवरण दर्ज कराएगा. अब जो तथ्य अभ्यर्थी ने दिए हैं वह सही है या नहीं इसकी जिम्मेदारी संबंधित रिटर्निंग अधिकारी और प्रस्तावक की होगी. अगर इन तथ्यों में किसी तरह की कोई कमी या झूठा पाया जाता है तो संबंधित अभ्यर्थी के साथ रिटर्निंग अधिकारी और प्रस्ताव के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई होगी. रिटर्निंग अधिकारी को कमी या संदेह को लेकर आयोग के समक्ष और पुलिस में शिकायत कर सकता है.

ज्यादा शिकायत संतान संबधी जानकारी-बता दें कि पंचायती राज और स्थानीय निकाय चुनाव में सबसे ज्यादा झूठे शपथ पत्र संतान संबंधी जानकारी के लिए जाते हैं. आयोग के पास सबसे शिकायतें झूठे शपथ पत्र में संतान संबंधी है और इसी को लेकर कई पंचायत समिति और नगर निगम वार्ड पंच के चुनाव को कोर्ट में भी चुनौती दी गई है. दरअसल, पिछली वसुंधरा राजे सरकार ने एक कानून लाकर दो से अधिक संतान होने पर स्थानीय निकाय एवं पंचायतीराज संस्थाओं में चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी. पिछली सरकार ने राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम-1994 की धारा-19 में संशोधन कर दो से अधिक संतान होने पर पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्यता संबंधी प्रावधान किया था. इसके तहत 1995 से पहले जिनके दो या दो अधिक बच्चे हैं, उन्हें 1995 के पश्चात एक और बच्चा होने की स्थिति में चुनाव लड़ने अयोग्य घोषित किया जाता है.

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