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Holika Dahan 2023 Muhurat : होलिका दहन के मुहूर्त को लेकर क्यों है असमंजस, जानिए क्या कहते हैं विद्वान

हर बार की तरह इस बार भी ​होलिका दहन के मुहूर्त को लेकर असमंजस है. कुछ विद्वान 6 मार्च शाम तो कुछ 7 मार्च सुबह का समय बता रहे हैं. आइए जानते हैं क्या रहेगा होलिका दहन का सही मुहूर्त....

Holika Dahan 2023 Muhurat March 6 or 7, Know here
होलिका दहन के मुहूर्त को लेकर क्यों है असमंजस, जानिए

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Published : Mar 6, 2023, 3:59 PM IST

Updated : Mar 6, 2023, 10:00 PM IST

किसने क्या कहा, सुनिए...

जयपुर. देश में विभिन्न पर्वों की तारीखों को लेकर मतभेद होते रहते हैं. इस बार होली पर भी इसी तरह कि असमंजस की स्थिति देखने को मिल रही है. इसे लेकर ज्योतिषाचार्यों के भी अलग-अलग मत हैं. हालांकि उन्होंने ये स्पष्ट कर दिया है कि धुलण्डी का कोई मुहूर्त नहीं होता. ये विरोधाभास केवल होलिका दहन को लेकर है.

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य डॉ मनोज गुप्ता का कहना है कि इस बार होली को लेकर असमंजस की स्थिति है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन गोधूलि बेला यानी प्रदोष काल का होलिका दहन का मुहूर्त है. इस बार 6 मार्च को भद्रा रहेगी. लेकिन ये भद्रा रात्रि के बाद आगे तक जा रही है. इसलिए प्रदोष काल में होलिका दहन किया जा सकता है. आधी रात के बाद ब्रह्म मुहूर्त में भी होलिका दहन का मुहूर्त रहेगा. लेकिन उस वक्त ना तो प्रदोष काल होगा और ना ही गोधूलि बेला होगी. इसलिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 6 मार्च को शाम के समय ही है. जो शास्त्र सम्मत है.

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6 मार्च को शाम को या 7 मार्च को सुबह के समय ही होलिका दहन का मुहूर्त है. ऐसे में धुलण्डी का पर्व 7 मार्च को ही मनाया जाना उचित है. इसमें 24 घंटे का अंतराल तार्किक नहीं है. कुछ लोगों ने अपने मत के अनुसार रात को 12 बजे तारीख बदलने की बात कही है. इसलिए उन्होंने 7 मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त दिया है. लेकिन उन्होंने ये नहीं देखा कि 7 मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त में है.

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सूर्य उदय के आधार पर 7 मार्च को होलिका दहन:ज्योतिषाचार्य डॉ अमित व्यास ने बताया कि कुछ लोग इस बार 6 मार्च को तो कुछ 7 मार्च को होलिका दहन करने वाले हैं. दोनों के पीछे हिंदू शास्त्रों के अनुसार तार्किक तर्क हैं. शास्त्रों में लिखा है कि जब प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा होती है, तो उस समय होलिका दहन करना चाहिए. ऐसी स्थिति में 6 मार्च को 4:18 से पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी और 6:17 से 6:39 का समय होलिका दहन कर सकेंगे और 7 मार्च को रंगों का त्योहार धुलण्डी के रूप में मनाया जाएगा. वहीं 7 मार्च को होलिका दहन करने के पीछे तर्क है कि सूर्य उदय के दौरान जो तिथि होती है, उसे आधार बनाकर होलिका का दहन किया जाएगा.

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सूर्य उदय के अनुसार हो रही गणना:ज्योतिषाचार्य डॉ गिरिजा शंकर शास्त्री ने बताया कि शास्त्रोक्त फैसला ये है कि होलिका दहन 6 मार्च और 7 मार्च दोनों दिन है. प्रत्येक पर्व और तिथि की गणना सूर्य उदय और सूर्य अस्त से की जाती है. जहां सूर्य 6:09 के बाद सूर्य उदय हो रहा है, वहां होलिका दहन 6 मार्च को है. जहां इससे पहले सूर्य उदय हो रहा है, वहां 7 मार्च को होलिका दहन होगा. पूर्वी राजस्थान, पूर्वी मध्य प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, असम, बिहार, झारखंड में 7 मार्च को होलिका दहन होगा और पश्चिमी राज्यों में 6 मार्च को शाम 6:30 बजे सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त पर होलिका दहन होगा.

Last Updated : Mar 6, 2023, 10:00 PM IST

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