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पूर्व मेयर साैम्या काे नहीं मिली राहत, वार्ड उपचुनाव पर हाईकोर्ट का अंतरिम राेक से इनकार

जयपुर ग्रेटर नगर निगम के उप चुनाव पर अंतरिम रोक से होईकोर्ट ने इनकार किया (Court denies stay on Greater Nigam by election) है. कोर्ट ने यह आदेश पूर्व ग्रेटर नगर निगम की मेयर सौम्या गुर्जर की याचिका पर गुरुवार को दिए. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर को तय की है.

High Court denies stay on Greater Nigam by election in hearing of former mayor Somya Gurjar
पूर्व मेयर साैम्या काे नहीं मिली राहत, वार्ड उपचुनाव पर हाईकोर्ट का अंतरिम राेक से इनकार

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Published : Nov 3, 2022, 6:26 PM IST

जयपुर. नगर निगम ग्रेटर की पूर्व मेयर सौम्या गुर्जर को मेयर पद से हटाने, 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य करने और वार्ड में उपचुनाव करवाए जाने के मामले में हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल पाई है. हाईकोर्ट ने सौम्या के वार्ड में होने उपचुनाव पर अंतरिम रोक लगाने से भी इनकार कर दिया (Court denies stay on Greater Nigam by election) है. वहीं अदालत ने सौम्या के अधिवक्ता से ही इस बिन्दू पर जवाब मांगा है कि जब मामले के गवाहों ने उनके पक्ष में ही बयान दिए थे तो फिर वो कैसे कह सके हैं कि राज्य सरकार की इन्हें बयान देने से रोकने की मंशा थी. अदालत ने मामले की सुनवाई 7 नवंबर को तय की है. जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश सौम्या गुर्जर की याचिका पर गुरूवार को दिया.

सौम्या की ओर से कहा कि इसी समान मामले में अदालत ने तीन पूर्व पार्षदों को अंतरिम राहत दी है. इसलिए उनके वार्ड में भी उपचुनाव पर रोक लगाई जाए. जिस पर अदालत ने कहा कि वह अंतरिम आदेश था और अंतरिम आदेश नजीर नहीं होती. वहीं सौम्या की ओर से कहा कि निगम के तत्कालीन आयुक्त ने डीएलबी में जो शिकायत भेजी थी, उसमें उसका नाम नहीं था और केवल पार्षदों पर ही कार्रवाई का आग्रह किया था. इस पर अदालत ने कहा कि शिकायत में याचिकाकर्ता पर दुर्व्यवहार का आरोप है.

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सौम्या की ओर से न्यायिक जांच कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सही नहीं हुई है, उनके गवाहों के बयान रिकार्ड पर दर्ज नहीं हुए हैं. राज्य सरकार ने एक सहायक प्रशासनिक अफसर का ट्रांसफर बांसवाड़ा कर दिया और दो-तीन होमगार्ड को दोबारा नहीं लगाया है. अदालत ने पूछा कि इन पर कार्रवाई कब हुई, जवाब में कहा कि जब घटना हुई उसके तुरंत बाद हो गई थी.

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जिस पर अदालत ने पूछा कि जब घटना के बाद कार्रवाई हुई थी तो राज्य सरकार को यह कैसे पता था कि यह आपके पक्ष में बयान देंगे. जहां तक दबाव की बात है तो गवाहों का ट्रांसफर पहले किया है और बयान बाद में दिए हैं, जो भी प्रार्थिया के पक्ष में हैं. ऐसे में प्रार्थिया यह कैसे दावा कर सकती है कि राज्य सरकार ने उन पर दबाव के लिए कार्रवाई की है. जिस पर सौम्या के वकील ने इन बिन्दुओं का जवाब देने के लिए अदालत से समय मांगा.

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गौरतलब है कि ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर व तत्कालीन आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के बीच हुए विवाद के बाद सौम्या सहित तीनों पार्षद अजय सिंह चौहान, शंकर शर्मा और पारस जैन को राज्य सरकार ने बर्खास्त कर दिया था.

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