जयपुर.पूरे देश में इन दिनों पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती साइबर क्राइम से निपटना है. साइबर क्राइम के लगातार बढ़ते प्रकरणों को देखते हुए मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स (Ministry of Home Affairs) ने लोगों की सुविधा के लिए एक हेल्प लाइन नंबर- 155260 की भी शुरुआत की. इस नंबर पर पीड़ित जिसके साथ किसी भी तरह का साइबर क्राइम हुआ है वह अपनी रिपोर्ट दर्ज करा सकता है.
मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के इस प्रोजेक्ट के तहत राजस्थान में भी 1 अप्रैल से 155260 हेल्पलाइन नंबर शुरू किया गया है. इसके लिए बकायदा जयपुर पुलिस कमिश्नरेट (Jaipur Police Commissionerate) के कंट्रोल रूम अभय कमांड सेंटर में एक विशेष यूनिट का गठन किया गया है जो हेल्पलाइन नंबर (Helpline Number) पर आने वाली कॉल्स को अटेंड कर लोगों की शिकायत सुनने और उनका निस्तारण करने का काम करती है.
तीन महीने में मिली 5500 से ज्यादा शिकायतें-
डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया की जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में 1 अप्रैल को साइबर फाइनेंशियल क्राइम (Cyber Financial Crime) प्रीवेंशन यूनिट का गठन किया गया. पूरे प्रदेश से साइबर फाइनेंशियल क्राइम से संबंधित आने वाली शिकायतों को इस यूनिट द्वारा सुना जाता है. संबंधित थाने को या जिला विशेष साइबर टीम को उन शिकायतों का निस्तारण करने के लिए भेजा जाता है.
एक अप्रैल से इस विशेष यूनिट का गठन करने के बाद अब तक कुल 5 हजार 500 शिकायतें प्राप्त हो चुकी हैं. डीसीपी ने कहा- यूनिट का गठन होने के 3 महीने से भी कम समय के अंतराल में इतनी शिकायतें प्राप्त होना पुलिस के लिए भी चिंता का एक बड़ा विषय है.
इस यूनिट के गठन होने के बाद आमजन को एक बड़ा फायदा यह हुआ है कि अब साइबर फाइनेंशियल क्राइम का शिकार होने पर अगर पीड़ित यूनिट की हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर अपनी शिकायत दर्ज कराता है तो पुलिस उसे खुद ही FIR में दर्ज कर लेती है. पीड़ित को थाने जाकर अलग से FIR दर्ज कराने की जरूरत नहीं पड़ती है.
क्राइम प्रीवेंशन यूनिट तुरंत लेती है एक्शन-
डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने बाताया- साइबर फाइनेंशियल क्राइम प्रीवेंशन यूनिट (Crime Prevention Unit) की हेल्पलाइन नंबर पर आने वाली शिकायतों पर तुरंत पुलिस एक्शन लेती है. जैसे ही कोई पीड़ित उसके साथ हुई साइबर ठगी की जानकारी हेल्पलाइन नंबर पर देता है वैसे ही यूनिट संबंधित फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन के साथ कोर्डिनेट करती है.
इसके बाद ठगी गई राशि को तुरंत ब्लॉक किया जाता है. जल्द ही ठगी गई राशि फिर से पीड़ित के खाते में जमा करवा दी जाती है. 1 अप्रैल से लेकर अब तक कुल 11.61 करोड़ रुपए की ठगी के प्रकरण सामने आ चुके हैं जिसमें पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 67 लाख रुपए रिकवर कर फिर से पीड़ित के बैंक खातों में जमा करवा जा चुकी हैं. साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड से संबंधित शिकायत पुलिस को 155260 के अलावा डायल 100 और 112 नंबर पर भी दी जा सकती है.
साइबर आपराधियों से कैसे रिकवर की जाती है राशि-
दिगंत आनंद बताते हैं- साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड (Cyber Financial Fraud) के तहत ठगी गई राशि को रिकवर करने में पुलिस के सामने कई तरह की दिक्कतें आती हैं. इसमें सबसे प्रमुख दिक्कत यह है कि जिस व्यक्ति के साथ ठगी होती है वह इसकी शिकायत या तो अगले दिन पुलिस को देता है या फिर ठगी होने के कई घंटों बाद.
ऐसे प्रकरणों में साइबर ठग ठगी गई राशि को अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर देते हैं और फिर उन्हें विड्रॉ कर लिया जाता है. ऐसी परिस्थितियों में ठगी गई राशि को वापस प्राप्त करना नामुमकिन हो जाता है. इसके साथ ही बैंक के स्तर पर भी कई समस्याएं पुलिस के सामने खड़ी हो रही हैं.
जैसे की अवकाश वाले दिन साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड से संबंधित शिकायतों पर बैंक अथॉरिटी की तरफ से कोई भी रिस्पांस नहीं किया जाता है. ऐसे में ठगों को ठगी गई राशि को ठिकाने लगाने का काफी समय मिल जाता है.
फर्जी वेबसाइट बनाकर लोगों से ठगी-
ईटीवी भारत से बात करते हुए और भी कई महत्वपूर्ण जानकारी डीसीपी क्राइम दिगंत आनंद ने दी. उन्होंने बताया कि साइबर ठग अनगिनत तरीके अपना कर लोगों को रोजाना अपनी ठगी का शिकार बना रहे हैं. लोगों का पर्सनल डाटा चुरा कर उन्हें ठगी का शिकार बनाया जा रहा है.