जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में दायर जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए राज्य सरकार को कहा है कि वह अस्पताल में उचित व्यवस्था बनाए रखे.
अदालत ने कहा कि मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकारिता आयोग की रिपोर्ट से पता चलता है कि अस्पताल में सभी सुविधाएं और संसाधन हैं. इसलिए इस जनहित याचिका में आगे निर्देश देने की जरूरत नहीं है. अदालत की राय में जनहित याचिका दायर करने का उद्देश्य भी पूरा हो गया है. सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश डॉ मिथिलेश कुमार गौतम की जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए दिए.
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सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय बाल अधिकारिता आयोग की ओर से कहा गया कि अस्पताल में दिसंबर, 2019 में 77 बच्चों की मौत को लेकर आयोग की सदस्य सचिव रुपाली सिंह, वरिष्ठ विशेषज्ञ शाइस्ता खान और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अविनाश बंसल का निरीक्षण टीम बनाई गई थी. टीम ने 28 मार्च, 2022 को अस्पताल का दौरा किया था. जिसमें पाया गया कि अस्पताल में पर्याप्त संसाधन और सुचारू व्यवस्थाएं हैं और सिर्फ नर्सिंग स्टाफ बढ़ाने की जरूरत है.
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वहीं राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सत्येन्द्र सिंह राघव ने कहा कि नर्सिंग स्टाफ बढ़ाने को लेकर उचित कदम उठाए जा रहे हैं. एनसीपीसीआर की रिपोर्ट को देखने के बाद अदालत ने अस्पताल में उचित व्यवस्थाएं बनाए रखने के निर्देश देते हुए जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया. जनहित याचिका में कहा गया था कि अस्पताल में सुचारू व्यवस्था नहीं होने के चलते दिसंबर, 2019 में बड़ी संख्या में नवजात की मौत हुई हैं.
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जनहित याचिका में कहा गया था कि अस्पताल में वेंटिलेटर और वार्मर खराब पड़े हैं और आईसीयू के शीशे टूटे होने के कारण बच्चों को सर्दी झेलनी पड़ी. वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि मरने वाले बच्चों में से अधिकांश का पूर्व में निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था और उन्हें अति गंभीर होने पर जेके लोन अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल में संसाधनों की कमी नहीं है, बल्कि बच्चों को अति गंभीर हालत में भर्ती कराने के कारण उन्हें दुर्भाग्य से बचाया नहीं जा सका.