नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया जयपुर.करीब 5 दशक से राजस्थान की राजनीति में सक्रिय और 1977 से लगातार विधानसभा के लिए चुने जाने वाले गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाया गया है. राज्यपाल की जिम्मेदारी मिलने के बाद कटारिया ने कहा कि उनका कोई पारिवारिक सियासी बैकग्राउंड नहीं रहा और न ही वो बहुत पैसे वाले हैं, न उद्योगपति हैं. बावजूद इसके एक साधारण कार्यकर्ता पर उनकी पार्टी ने हमेशा विश्वास बनाए रखा. उनके जैसे एक साधारण कार्यकर्ता को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी, जिसका कर्ज चुकाने का वो जीवनभर प्रयास करेंगे.
संघ से सियासत -राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाए जाने से प्रदेश में खुशी का माहौल है. कटारिया के चुनाव क्षेत्र उदयपुर समेत प्रदेश भर के उनके समर्थकों ने उन्हें इस नियुक्ति पर बधाई दी. कटारिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जरिए राजनीति में आए थे. वो बचपन से ही आरएसएस से जुड़े रहे. जनसंघ से राजनीति शुरू करने वाले कटारिया भाजपा के शुरुआती नेताओं में से एक हैं.
कई पदों पर रहे कटारिया - वो 1977 में पहली बार विधानसभा का चुनाव जीते थे. अब तक वो आठ बार विधायक रहे चुके हैं. 1989 से 1991 तक नौवीं लोकसभा के भी सदस्य रहे. वे उदयपुर से लोकसभा का चुनाव जीते. उन्हें 27 मई 1999 को राजस्थान भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया था और वो इस पद पर 19 जून, 2000 तक रहे. इसके अलावा वो 1977 से 1980 तक राजस्थान में भारतीय जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष व महासचिव भी रहे. वो 1980 से 1986 तक प्रदेश भाजपा के सचिव रहे. उन्हें प्रमोशन देकर 1986 में प्रदेश भाजपा का महासचिव बनाया गया था और वो इस पद पर साल 1993 तक बने रहे.
मैं तो आज भी कार्यकर्ता ही हूं -अब राज्यपाल चुने जाने पर कटारिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में एक साधारण और छोटे से कार्यकर्ताओं को पार्टी ने जो भी जिम्मेदारी दी, उसे वो बखूबी बेहतर तरीके से निभाने की कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा कि वो कभी पद नहीं मांगे, यह पार्टी का बड़प्पन है कि वो जो उचित समझते हैं वह जिम्मेदारी देते हैं. देश के प्रधानमंत्री और पार्टी के हाईकमान ने इस जिम्मेदारी के योग्य समझा है. उनकी आशाओं पर खरा उतरने के लिए जो भी प्रयत्न हो सकता है, वो करेंगे. उन्होंने कहा कि जो काम उन्हें दिया गया है पहले उन्हें मेवाड़ क्षेत्र में घूमकर पार्टी को खड़ा करना था, वह काम किया. प्रदेश में जिम्मेदारी दी, उस जिम्मेदारी को निभाया. आज भी वह खुद को कार्यकर्ता ही मानते हैं.
किसी व्यक्ति नहीं, देश के लिए करता हूं काम -कटारिया ने कहा कि हाईकमान और देश के प्रधानमंत्री ने उन्हें इस लायक समझा कि वह राज्यपाल का काम करें तो पूरी मेहनत और ईमानदारी से उस काम को अच्छे से अच्छे ढंग से करने का प्रयास करेंगे. उन्होंने कहा कि असम के आसपास जो भी चलता हो, लेकिन उनके दिमाग में सिर्फ देश रहता है. वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से आए हैं. जिसने हमेशा देश के लिए काम करना सिखाया है, न कि किसी व्यक्ति के लिए. वही संस्कार अब तक उनमें जिंदा है, उसी आधार पर अपने काम को करने का प्रयास करेंगे. जहां तक विरासत संभालने का प्रश्न है तो भाजपा हजारों कार्यकर्ताओं के आधार पर बनी पार्टी है, यह एक नेता के आधार पर बनी हुई पार्टी नहीं है.
कटारिया ने की स्पीकर की तारीफ - कटारिया ने आगे कहा कि वह हमेशा जनता के आशीर्वाद से मेवाड़ में जीतते आए हैं. उनका कोई पारिवारिक बैकग्राउंड नहीं रहा और न वह बहुत पैसे वाले हैं या कोई उद्योगपति है. एक साधारण कार्यकर्ता है, लेकिन पार्टी ने उन पर विश्वास किया और उन्हें एक साधारण कार्यकर्ता से इतना बड़ा कार्यकर्ता बनाया. जिसका कर्ज चुकाने का जीवनभर प्रयास करेंगे. उनके मन को भी अहसास कराएंगे कि उन्होंने जिनको पाल पोस कर बड़ा किया है, उसने हमेशा उनके मान और सम्मान को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है. इस दौरान उन्होंने विधानसभा में हुए कार्यक्रमों को स्पीकर के इनोवेशन बताते हुए उनकी जमकर तारीफ की.
कटारिया से मिली राजे -वहीं, गुलाबचंद कटारिया से मुलाकात करने पहुंची पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि पीएम ने राजस्थान से इतना अनुभवी और संजीदा व्यक्ति राज्यपाल के पद को सुशोभित करने के लिए चुना. कटारिया एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने कार्यकाल में पूरे राजस्थान को नापा है और उदयपुर डिवीजन को बहुत प्यार से संभाला है. इतना अनुभवी नेता राजस्थान में शायद ही कोई हो. साथ ही साथ जिस तरह से उन्होंने विधानसभा के अंदर भारतीय जनता पार्टी का पक्ष पुरजोर तरीके से रखा है, ऐसे में प्रदेश भाजपा और सभी लोग उन्हें बहुत मिस करेंगे.
पीएम ने बढ़ाया राजस्थान का सम्मान -वहीं, प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि लगभग 5 दशक तक राजस्थान की राजनीति में गुलाबचंद कटारिया ने काम किया और लाखों कार्यकर्ताओं तैयार किए. गुलाबचंद कटारिया इतने साल मंत्री भी रहे और उनपर आज तक एक भी आरोप नहीं लगे. सभी लोग उन्हें स्नेह करते हैं. प्रधानमंत्री का अभिनंदन करते हुए उन्होंने कहा कि आज गुलाबचंद कटारिया को गवर्नर के रूप में नामित करने का काम किया है. यह राजस्थान के लिए बहुत बड़ी सौगात है. राजस्थान के सभी लोग बहुत खुश हैं. उन्होंने कहा कि अब नेता प्रतिपक्ष का पद खाली होगा. लेकिन अगला नेता प्रतिपक्ष कौन होगा ये पार्टी पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करेगा.
काम से पाया सम्मान -वहीं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का एक उत्कृष्ट चरित्र है. सभी कार्यकर्ताओं की योग्यता और क्षमता के आधार पर उनको मान-सम्मान भी देती है और दायित्व-जिम्मेदारियां सौंपी जाती है. भैरोंसिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने, इससे पहले सुंदर सिंह भंडारी के राज्यपाल बनने के बाद राजस्थान को ये मुबारक मौका आज नसीब हुआ है. गुलाबचंद कटारिया उन तपस्वी राजनेताओं में से एक हैं, जिन्होंने उत्कृष्ट स्वयंसेवक के रूप में अपनी यात्रा शुरू की. उन्होंने कहा कि कटारिया शुरुआती दिनों में मोटरसाइकिल पर घूमकर पूरे मेवाड़ में पार्टी को मजबूत किए. उसके बाद वह लोकसभा के सदस्य भी चुने गए, लेकिन विधानसभा में सबसे लंबे कालखंड तक विधायक के रूप में चुने जाने वाले, विधानसभा के सदन में अपनी परफॉर्मेंस देने वाले राजनेताओं में से एक हैं.
सियासत में सादगी की प्रतिमूर्ति - वहीं, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि गुलाबचंद कटारिया अलग-अलग पदों पर रहे और हर पद पर उन्होंने सादगी, ईमानदारी, सुचिता, कर्मठता की छाप छोड़ी है. राजस्थान की राजनीति में गुलाब कटारिया को लोग आदर्श राजनीतिज्ञ के रूप में मानते हैं. उनका राजस्थान की सक्रिय राजनीति से निकलकर असम के महामहिम राज्यपाल बनना, राजस्थान और विशेषकर मेवाड़ के अंदर जो कटारिया का राजनीतिक वर्चस्व था, निश्चित तौर पर वहां के कार्यकर्ताओं को उनकी कमी खलेगी. लेकिन ये कह सकते हैं कि राज्यपाल का पद गुलाबचंद कटारिया के पद ग्रहण से सम्मानित होगा.
आपको बता दें कि पांच बेटियों के पिता गुलाबचंद कटारिया ने प्राइवेट स्कूल में अध्यापन से अपने करियर की शुरुआत की. स्कूली पढ़ाई के दौरान ही आरएसएस से जुड़े और आदिवासी इलाकों में जाकर प्रचार-प्रसार करते रहे. उनके स्कूल में अध्यापन के दौरान ही 1975 में आपातकाल लगा. इस दौरान उन्होंने भूमिगत रहते हुए संगठन का काम किया. उन्हें जेल भी जाना पड़ा. कटारिया पहली बार 1977 में विधायक चुने गए. उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय से एमए बीएड और एलएलबी की शिक्षा लेने वाले कटारिया अपने संसदीय जीवन में कई सरकारों में मंत्री भी रहे हैं. उन्होंने शिक्षा, पीडब्लूडी और गृह विभाग के मंत्री का पद संभाला है.