नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया विधानसभा में बोले. जयपुर.15वीं विधानसभा के आठवें सत्र में गुरुवार को नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने राज्यपाल के अभिभाषण के वाद-विवाद पर अपनी बात रखते हुए न केवल गहलोत सरकार की खामियों को गिनाया बल्कि केंद्र की योजनाओं की प्रदेश की योजनाओं से तुलना की. कटारिया ने केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की तुलना करते हुए आरोप लगाया कि प्रदेश की सरकार जाती-धर्म देख कर काम करती है, जबकि केंद्र सरकार 'एक राष्ट्र एक राशन' पर काम कर रही है.
'आधे से ज्यादा भगवान के पास चले जायेंगे': इआरसीपी को लेकर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि जो नियमों में खामियां हैं, उन्हें तो पूरा नहीं कर रहे और हर दिन केंद्र सरकार को दोष दे रहे हैं. राज्य सरकार ने ERCP को लेकर प्लान बनाया है. इसके तहत योजना को पूरा होने का समय वर्ष 2051 का दिया है. इस योजना के पूरे होते-होते तो सदन में मौजूद आधे से ज्यादा सदस्य भगवान के पास चले जायेंगे. कटारिया ने कहा ये प्रिंटिंग मिस्टेक है या सही में 2051 तक योजना पूरी होगी, इसे चेक करने की जरूरत है.
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15800 किसानों की जमीन कुर्क: कटारिया ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले कहा था कि वह किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी करेगी, लेकिन कर्जमाफी नहीं हुई. किसान कांग्रेस के बयानों में आ गए, जिसकी वजह से 22200 किसानों को बैंकों से नोटिस मिला और 15800 किसानों की जमीन कुर्क हुई. कटारिया ने कहा कि किसानों की बिजली माफी की बात कही गई थी, लेकिन पूर्व सरकार की योजना को बंद कर 3 साल बाद उसे नए सिरे से लागू कर दिया गया. कटारिया ने खाद की किल्लत को लेकर सवाल उठाए हुए कहा कि केंद्र से डिमांड नहीं की. जिसकी वजह से किसानों को खाद के लिए परेशान होना पड़ा.
33 फीसदी से ज्यादा खाली पद:कटारिया ने प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में खाली पड़े पदों का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में 33 फीसदी से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. बच्चों का भविष्य बिना अध्यापकों के अंधकार में है. इंग्लिश मीडियम स्कूल खोलने की बात हुई, लेकिन 1700 विद्यालयों में एक भी पद स्वीकृत नहीं किया गया. हिंदी मीडियम स्कूल से अपने भाई-भतीजे को इंग्लिश मीडियम स्कूल में तैनात करके उन्हें सिर्फ लाभ देने का काम किया है. कटारिया ने संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण का मुद्दा भी उठाते हुए कहा कि वोट के वक्त तो उन्हें नियमित करने की जुमलेबाजी दिखाई, लेकिन बाद में अलग नियम बनाकर उनके साथ छलावा किया है.
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पेपर शिक्षा संकुल क्यों गया?: नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने पेपर लीक का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि रीट पेपर के लिए जब अलग-जगह डिसाइड की गई थी तो फिर शिक्षा संकुल में पेपर रखने के निर्देश किसने दिए. इसके साथ ही इसमें निजी स्कूल के स्टाफ को जिम्मेदारी क्यों दी गई? कटारिया ने कहा कि बोर्ड के अध्यक्ष को जब दोषी मानते हुए सस्पेंड किया तो फिर उनसे पूछताछ ओर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? कटारिया ने कहा कि डबल लॉक से पेपर निकलने की जांच सरकार ने क्यों नही की? कटारिया ने शहरी रोजगार योजना में सिर्फ सीएम के फोटो लगा कर धन की बर्बादी की गई.
चिरंजीवी में केंद्र की हेल्थ मिशन योजना का पैसा:कटारिया ने राज्य सरकार की ओर से चिरंजीवी योजना को लेकर वाह-वाही लूटने पर कहा कि इस योजना में केंद्र की हेल्थ मिशन योजना का पैसा लग रहा है. यह योजना नई नहीं है. इससे पहले पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने भामाशाह योजना शुरू की थी. उसी का नाम बदलकर इस नए तरीके से लागू किया है. कटारिया ने कहा कि जल जीवन मिशन योजना में भी जो केंद्र सरकार की ओर से लक्ष्य दिया गया है. उसे राज्य सरकार पूरा नहीं कर पाई है. पैसा होने के बावजूद भी योजना का पैसा खर्च नहीं हो रहा है.
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कानून-व्यवस्था राम भरोसे: कटारिया ने कहा कि बलात्कार और छेड़छाड़ जैसी घटनाओं में राजस्थान पहले पायदान पर है. देश में एफआईआर अनिवार्य रूप से दर्ज करने को लेकर सरकार वाह-वाही लूटने की बात करती है, लेकिन कभी लूट, हत्या, बलात्कार जैसे गंभीर मामलों में किसी की सरकार भी रही हो, लेकिन केस दर्ज करने के लिए कोई मना नहीं करता है. इस सरकार ने तो हद ही कर दी कि पॉक्सो एक्ट जैसे गंभीर अपराध में दर्ज मामलों में भी एफआर लगा दी. अगर इतने गंभीर मामलों पर किसी ने झूठा मुकदमा दर्ज कराया है तो सरकार ने उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की. कटारिया ने रिश्वत के मामले में पकड़े जाने वाले कर्मचारी अधिकारियों के लिए अभियोजन स्वीकृति नहीं देने पर भी सवाल उठाए.
केंद्र सरकार जाति-धर्म देख नहीं देखती:कटारिया ने कहा कि प्रदेश में पिछले दिनों कई ऐसी घटनाएं हुई जहां पर सरकार की ओर से तुष्टिकरण की नीति अपनाई गई. कटारिया ने कहा कि एक धर्म के त्योहार पर तो बिजली कटौती के आदेश और दूसरे धर्म के त्योहार पर बिजली निर्बाध रूप से जारी करने के निर्देश जारी किए. इस तरह की तुष्टिकरण की राजनीति कांग्रेस कर सकती है. प्रदेश में जिस तरह की घटनाएं हुई है उसने सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ा है. यह सरकार की नाकामी को दर्शाता है. कटारिया ने कहा कि केंद्र सरकार 'एक राष्ट्र एक राशन' के नाम पर काम कर रही है, जबकि प्रदेश की गहलोत सरकार जाति-धर्म के आधार पर लोगों को बांटने का काम कर रही है.