जयपुर.राजधानी के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में सूर्य ग्रहण के पर्व काल में ठाकुर जी के पट खुले (Temple gate open during Surya Grahan) रहेंगे. इस दौरान हरि नाम संकीर्तन होगा. हालांकि मंगलवार को ग्वाल झांकी नहीं होगी और आरती के समय में भी बदलाव किया गया है. ग्रहण में भी गोविंद देव जी में भगवान के कपाट क्यों खुले रहते हैं. जानिए इस रिपोर्ट में...
मंगलवार सुबह 4:15 से सूर्य ग्रहण का सूतक लगा, जो शाम 7:30 बजे तक रहेगा. ऐसे में कई मंदिरों में देव प्रतिमाओं को कपड़े से ढका गया. आंशिक सूर्य ग्रहण होने के चलते प्रदेश के ज्यादातर मंदिर आज बंद हैं. सीकर में खाटू श्याम जी, चूरू में सालासर बालाजी, दौसा में मेहंदीपुर बालाजी, चित्तौड़गढ़ में सांवरिया सेठ, करौली में कैला देवी और मदन मोहन मंदिर आज बंद हैं. वहीं कुछ मंदिरों में श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर पा रहे हैं. हालांकि कई मंदिर ग्रहण पर सामान्य दिनों की तरह ही श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुले भी रहेंगे. इनमें जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर, बीकानेर का करणी माता मंदिर और सीकर का जीण माता मंदिर शामिल है.
यूं तो सूर्य ग्रहण को एक खगोलीय घटना के रूप में देखा जाता है. लेकिन हिंदू परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार सूर्य या चंद्र ग्रहण मानव जीवन पर भी दुष्प्रभाव डालते हैं. घर पर पूजा-अर्चना करने से इसके दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है. हालांकि सूर्य ग्रहण के दौरान मंदिर के पट खुले और बंद होने को लेकर अलग-अलग मान्यता है. ज्योतिषाचार्य मनोज गुप्ता ने बताया कि 15 दिन में दो ग्रहण पड़ रहे हैं. इस दौरान अधिकांश मंदिर बंद रहते हैं.
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इसके पीछे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि जिन मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा होती है, वहां पर सूर्य या चंद्र ग्रहण के कारण से मंदिर का औरा भी प्रभावित होता है. ऐसे में मूर्ति को स्पर्श नहीं किया जाता, लेकिन कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जैसे शक्तिपीठ, महाकालेश्वर, गोविंद देव जी के मंदिर वहां पर सूतक काल में भी दर्शन खुले रहते हैं. लेकिन पूजा निषेध रहती है. उन्होंने बताया कि इन मंदिरों में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा नहीं बल्कि उन्हें भगवान का साक्षात स्वरूप (विग्रह) माना गया है.