चौमू (जयपुर). देश में किसी शहीद की शहादत को भुलाया नहीं जा सकता. लेकिन, राजधानी के चौमू कस्बे में शहीद प्रहलाद सिंह की शहादत को भुलाने की कोशिश की जा रही है. गुड़लिया ग्राम पंचायत के छोटा गुढ़ा के रहने वाले प्रहलाद सिंह 1962 में भारत-पाक युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे.
चौमू के शहीद की शहादत को भूली सरकार अपने शहीद ताऊ के शहीद स्मारक के लिए विकलांग शक्ति सिंह हर दफ्तर में जाकर फरियाद कर चुके हैं. लेकिन, 55 साल बीत जाने के बावजूद अब तक शहीद स्मारक नहीं बन पाया और ना ही शहीद के नाम पर स्कूल का नाम हुआ.
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शहीद स्मारक और स्कूल के नामकरण को लेकर शक्ति सिंह ने पहले जिला कलेक्टर से सितंबर 2019 को फरियाद की और कलेक्टर ने एसडीएम के नाम पत्र लिखकर आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए. लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं होती नजर आई तो उसके बाद शक्ति सिंह फिर एसडीएम कार्यालय पहुंचे. यहां एसडीएम हिम्मत सिंह को ज्ञापन सौंपा और शहीद स्मारक के लिए जगह आवंटन करने की मांग की. लेकिन, शक्ति सिंह के साथ 55 साल से जो होता आ रहा था, वही फिर हुआ.
शहीद के परिजन शक्ति सिंह बताते हैं कि वो कई अधिकारियों और मंत्रियों के चक्कर काट चुके हैं. शहीद स्मारक और स्कूल का नामकरण शहीद के नाम पर करवाने की मांग को लेकर ज्ञापन दे चुके हैं. शिकायत पोर्टल पर शिकायत करके थक चुके हैं. लेकिन, सिर्फ कागजों में कार्रवाई होती है. जमीन पर अब तक कोई काम नहीं हुआ.
बता दें कि ना शहीद के स्मारक के लिए जमीन का आवंटन हुआ और ना ही शहीद स्मारक बना. हालांकि शहीद की मूर्ति एक छोटी सी जगह पर लगाई गई है. इस पूरे मामले को लेकर जब हमने एसडीएम हिम्मत सिंह से बात करनी चाही तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.
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इस पूरे मामले को लेकर विधायक रामलाल शर्मा ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि एक तरफ कांग्रेस की सरकार कहती है कि हम शहीदों की शहादत के पर पूरा सम्मान देने का काम करेंगे. अनुकंपा नियुक्ति तत्काल देने की बात की है.और उसकी सहायता राशि को बढ़ाने का काम किया जाएगा. सिर्फ सरकार बड़ी-बड़ी घोषणा करती है. धरातल पर कुछ नहीं होता. शहीद प्रहलाद सिंह के परिवार को आज तक कोई सहायता नहीं मिली.
जरूरत शहीदों के सम्मान की है. लेकिन, ऐसा होता नहीं नजर आ रहा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार शहीद की शहादत को भूल गई या फिर लापरवाह अधिकारी सरकार की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे है.