जयपुर.भाद्रपद की द्वादशी पर बछ बारस या गोवत्स द्वादशी व्रत (Govatsa Dwadashi 2022) पुत्र की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. इस बार बछ बारस दो दिन मनाई जा रही है. हालांकि ज्योतिषाचार्यों की मानें तो पुष्य नक्षत्र होने के चलते बुधवार के दिन बछ बारस ज्यादा फलदाई है. इस दिन गौमाता की बछड़े सहित पूजा की जाती है. वहीं, माताएं अपने पुत्र की मंगल कामना के लिए व्रत रखती है और पूजा करती हैं.
बछ बारस (Bach Baras) पर गौ माता और बछड़े की पूजा की जाती है. ये त्योहार संतान की कामना और उसकी सुरक्षा के लिए किया जाता है. इसमें गाय-बछड़ा और बाघ-बाघिन की मूर्तियां बना कर उनकी पूजा की जाती है. व्रत के दिन बछड़े वाली गाय की पूजा कर कथा सुनी जाती है फिर प्रसाद ग्रहण किया जाता है. ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस दिन गेंहू से बने हुए पकवान और चाकू से कटी हुई सब्जी नहीं खाए जाते हैं. बाजरे या ज्वार का सोगरा और अंकुरित अनाज की कढ़ी, सूखी सब्जी बनाई जाती है. वहीं महिलाओं की ओर से सुबह गौमाता की विधिवत पूजा-अर्चना कर बछबारस की कहानी सुनी जाती है. इसे गोवत्स द्वादशी भी कहते हैं.
दरअसल, भगवान कृष्ण को गाय और बछड़ों से बड़ा प्रेम था. ऐसा माना जाता है कि बछ बारस के दिन गाय और बछड़ों की पूजा करने से भगवान कृष्ण सहित गाय में निवास करने वाले देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है. जिससे घर में खुशहाली और सम्पन्नता आती है. बछ बारस का पर्व (Bach Baras in Pushya Nakshatra) राजस्थानी महिलाओं में ज्यादा लोकप्रिय है.