जयपुर.संतोषी माता भगवान गणेश की पुत्री हैं. इस बारे में अलग-अलग विद्वानों का अलग-अलग मत है. दरअसल इसका कारण है, 'हमारे पौराणिक ग्रंथों में इस बात को स्पष्ट नहीं किया गया है. भगवान गणेश की दो पत्नी रिद्धि-सिद्धी हैं. साथ ही दो पुत्र शुभ और लाभ हैं. भगवान गणेश यानी बुद्धि, बल, विद्या के देवता हैं. यह तीनों अगर आपके पास हैं तो संभव है. आप पर रिद्धी-सिद्धी की कृपा बनी रहेगी. रिद्धी की कृपा हो तो हम कुशल बनते हैं. सिद्धी की कृपा हो तो हम सुरक्षित रहते हैं.
बाप्पा के दो पुत्र शुभ और लाभ कुशलता को दर्शाते हैं. अगर यह सभी कुछ जीवन में मिल जाए, तो हम संतोष पूर्वक ज़िंदगी यापन कर सकते हैं. संतोष यानी संतोषी माता. यही कारण है कि गणेशजी की पुत्री संतोषी माता मानीं गई हैं. इसलिए हमें किसी भी कार्य को करने से पहले गणेशजी के बाद माता संतोषी माता की अराधना की जाती है. ताकि हर कार्य बिना बाधाओं के संपन्न हो सकें.
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एक अन्य कथा के अनुसार एक बार भगवान गणेश की बहन मनसा देवी रक्षा बंधन पर गणेश को राखी बांधने आई. उस समय गणेश के दो पुत्र शुभ और लाभ थे. पिता के हाथों में राखी बधते देख शुभ और लाभ ने गणेश जी से एक बहन की कामना की थी. फिर गणेश ने एक पुत्री को उत्पन्न किया. जिन्हें हम संतोषी मां के नाम से जानते हैं.