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नवरात्रि का चौथा दिन: भक्तों के सभी दुखों को हरती हैं मां कूष्मांडा - दुखों को हरती हैं मां कूष्मांडा

नवरात्र के चौथे दिन शक्ति की देवी मां दुर्गा के चौथे स्‍वरूप मां कूष्‍मांडा की पूजा की जाती है. हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार जब इस संसार में सिर्फ अंधकार था. तब देवी कूष्‍मांडा ने अपने ईश्‍वरीय हास्‍य से ब्रह्मांड की रचना की थी. इसी के चलते इन्‍हें 'आदिस्‍वरूपा' या 'आदिशक्ति' कहा जाता है.

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Published : Oct 2, 2019, 8:25 AM IST

जयपुर.नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्‍मांडा के पूजन का विशेष महत्‍व है. पारंपरिक मान्‍यताओं के अनुसार जो भी भक्‍त सच्‍चे मन से नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्‍मांडा की पूजा करता है उसे आयु, यश और बल की प्राप्‍ति होती है. कु' का अर्थ है 'कुछ', 'ऊष्‍मा' का अर्थ है 'ताप' और 'अंडा' का अर्थ है 'ब्रह्मांड'. शास्‍त्रों के अुनसार मां कूष्‍मांडा ने अपनी दिव्‍य मुस्‍कान से संसार में फैले अंधकार को दूर किया था.

नवरात्रि के चौथे दिन मां कू्ष्मांडा की करें पूजा

मां कूष्‍मांडा को सभी दुखों को हरने वाली मां कहा जाता है. इनका निवास स्थान सूर्य है. यही कारण है कि मां कूष्‍मांडा के पीछे सूर्य का तेज दर्शाया जाता है. मां दुर्गा का यह इकलौता ऐसा रूप है जिन्हें सूर्यलोक में रहने की शक्ति प्राप्त है. मां की आठ भुजाएं हैं. इसलिए इन्‍हें अष्‍टभुजा भी कहा जाता है. इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, कलश, चक्र और गदा होता है. आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला होती है. देवी के हाथ में जो अमृत कलश है उससे वह अपने भक्‍तों को दीर्घायु और उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य का वरदान देती हैं. मां कूष्‍मांडा सिंह की सवारी करती हैं जो धर्म का प्रतीक है.

मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं

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इस प्रकार करें मां को प्रसन्न

  • नवरात्रि के चौथे दिन सुबह-सवेरे उठकर स्‍नान कर हरे रंग के वस्‍त्र धारण करें.
  • मां की फोटो या मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाकर उनका तिलक करें.
  • इसके बाद देवी को हरी इलायची, सौंफ और कुम्‍हड़े का भोग लगाएं.
  • ‘ऊं कूष्‍मांडा देव्‍यै नम:' मंत्र का 108 बार जाप करें.
  • मां कूष्‍मांडा की आरती उतारें और क‍िसी ब्राह्मण को दान अवश्य करें.
  • इसके बाद स्‍वयं भी प्रसाद ग्रहण करें.

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मां कुष्मांडा के लिए इस मंत्र का जाप करें-

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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