वाराणसी/जयपुर. शारदीय नवरात्र पर माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों के दर्शन, पूजन का क्रम जारी है और आज नवरात्र का तीसरा दिन है. तीसरे दिन नवरात्रि के पावन पर्व पर माता चंद्रघंटा के पूजन का विधान है. चंद्रघंटा जैसा की नाम से प्रतीत हो रहा है. सिर पर चंद्र और हाथों में घंटा लिए देवी के स्वरूप का पूजन करने से जीवन में जो सबसे बड़े शत्रु माने जाते हैं. अहंकार, क्रोध, काम इन सभी से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा माता चंद्रघंटा सभी कष्टों का निवारण भी करती हैं. तो कैसे करें नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा का पूजन और किन मंत्रों से करें मां को प्रसन्न आप भी जानिए.
पढ़ें- दुनिया का एक ऐसा अनोखा मंदिर, जहां माता रानी करती हैं अग्नि स्नान
मां चंद्रघंटा का पूजन
माता चंद्रघंटा के दर्शन, पूजन का सही विधान और उनके दर्शन से होने वाले लाभ के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी बताते हैं कि माता का यह स्वरूप बड़ा ही अद्भुत है. माता चंद्रघंटा की उत्पत्ति राक्षसों का नाश करने के लिए हुई थी. अब तक लोगों ने भगवान शिव की जटाओं में सिर्फ चंद्रमा का होना सुना होगा, लेकिन माता चंद्रघंटा के सिर पर चंद्रमा विराजमान हैं और हाथों में वह घंटा लिए हुई हैं. घंटा का हिंदू धर्म शास्त्र में विशेष महत्व माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि घंटा ध्वनि से घर और आसपास मौजूद अशुद्ध आबोहवा दूर होती है और वातावरण शुद्ध होता है. इसलिए माता को प्रसन्न करने के लिए एक हाथ में गंगाजल और दूसरे में घंटा लेकर पूरे घर में गंगा जल का छिड़काव करते हुए घंटे को बजाते हुए माता चंद्रघंटा का आवाहन करना चाहिए.
पढ़ें- कोटा नगर निगम में दशहरा मेले का शुभारंभ...
ऐसा है मां का स्वरूप
मां चंद्रघंटा का स्वरूप बेहद तेज से भरा हुआ है. मां का शरीर सोने के समान चमकीला है और माथे पर अर्धचंद्राकार रूप में चंद्रमा विराजमान हैं. 10 भुजा धारी माता चंद्रघंटा के हाथों में घंटा, कमल, धनुष बाण, कमंडल, तलवार त्रिशूल, गदा व अन्य अस्त्र-शस्त्र सुशोभित हैं.
सफेद पुष्प चढ़ाए और मां को खीर का लगाए भोग