जयपुर. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के शासनकाल के दौरान 5 अक्टूबर 2018 को आचार संहिता से ठीक 1 दिन पहले लिए गए सभी फैसलों की मौजूदा गहलोत सरकार समीक्षा करेगी. सरकार के आखिरी 6 महीने के कामकाज की समीक्षा के लिए बनाई गई मंत्रिमंडल सब कमेटी ने 5 अक्टूबर को लिए गए सभी मामलों पर संदेह जताते हुए अधिकारियों से पूरी रिपोर्ट तलब की है. .
वसुंधरा सरकार के सभी फैसलों की समीक्षा करेगी गहलोत सरकार
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने शासनकाल के आखिरी दौर में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए. खासकर कर 5 अक्टूबर आचार संहिता लगने से 1 दिन पहले सरकार की तरफ से महत्वपूर्ण निर्णय पर अंतिम मोहर लगाई गई है. लेकिन यह सभी निर्णय प्रदेश की गहलोत सरकार को संदेह पैदा करने वाले लग रहे हैं यही वजह की पूर्ववर्ती सरकार के कामकाज की समीक्षा के लिए बनाई गई मंत्रिमंडल सब कमेटी ने 5 अक्टूबर 2018 को लिए गए सभी फैसलों की रिपोर्ट अधिकारी से तलब की.
मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि सरकार ने 5 अक्टूबर को आचार संहिता लगने से पूर्व कई फैसले लिए. लेकिन एक ही दिन में इतने फैसले लेना संदेह पैदा करते हैं ऐसे में इन सभी फैसलों की समीक्षा होना जरूरी है. इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि अगली बैठक से पूर्व इसकी पूरी पत्रावली तैयार करके सब कमेटी के सामने रखें. धारीवाल ने कहा कि कुछ मामलों को देखने पर लगता है कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि पूर्ववर्ती सरकार ने आचार संहिता लगने के बाद इन फैसलों का निर्णय किया हो और उसके आदेश बैक डेट में निकाले गए हों.
धारीवाल ने कहा कि प्रथम दृष्टया देखने पर ऐसा लगता है कि सरकार ने अपने चहेतों को लाभ देने के लिए यह ताबड़तोड़ निर्णय लिए गए. अब सब कमेटी इन सभी निर्णयों की समीक्षा करेगी और देखेगी इनमें से किन फैसलों पर संशोधन किया जा सकता है. मंत्रिमंडल समिति की तरफ से मंगलवार को भी बैठक मे शिक्षा विभाग इंडस्ट्री और गर्म विभाग के फैसलों की समीक्षा करी गई.
बैठक में मंत्री रमेश मीणा भी मौजूद रहे हालांकि मंत्रिमंडल कमिटी के सदस्य मंत्री बीडी कल्ला जयपुर से बाहर होने के कारण इस बैठक में शामिल नहीं हुए बैठक में मंत्र रमेश मिलाना गृह विभाग के मामले उठाए जिनमें रमेश मीणा ने इस बात पर जोर दिया कि पूर्वर्ती सरकार ने कई राजनेताओं पर लगे कदमों में तत्कालीन सरकार द्वारा बिन जांच किये ही एफआर लगा दी गई. और कई मामलों में राजनीति लाभ के चलते मुकदमे वापस भी ले लिए गए . ऐसे करीब 2 दर्जन से अधिक मामले है जिन की सरकार समीक्षा कर रही हैं.