जयपुर.राजस्थान यूथ कांग्रेस में चुनाव के बाद हुई प्रदेश कार्यकारिणी की पहली बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने यह संकेत दिए कि राजस्थान में प्रत्याशियों को टिकट इस बार 2 महीने पहले दे दिया जाएगा. उन्होंने मंच पर मौजूद सह प्रभारी अमृता धवन को कहा कि हमने प्रभारी रंधावा से भी बात की है. हम प्रयास कर रहे हैं कि जो नेता चुनाव में टिकट लेना चाहता है, उसे 2 महीने पहले ही टिकट का इशारा कर दिया जाए, ताकि वह चुनाव में जुट सके. उन्होंने कहा कि जब टिकट की दौड़ लगती है तो दिल्ली में जिन्हें टिकट मिलता है, वह दौड़ दौड़ कर इतना थक जाते हैं कि चुनाव क्या लड़ेंगे.
आसाम का फॉर्मूला -गहलोत ने कहा कि जिस तरह से आसाम में प्रत्याशियों को 2 महीने पहले टिकट दे दिए गए थे, उसी तरह राजस्थान में भी 2 महीने पहले टिकट दिए जाएं. गहलोत ने कहा कि यह इसलिए भी जरूरी है कि भाजपा को छोड़ बाकी पॉलिटिकल पार्टियों को बहुत ज्यादा टाइट किया हुआ है, केवल भाजपा को छूट है. गहलोत ने कहा कि भले ही धन की कितनी भी बात हो, लेकिन चुनाव में दिल जीतना बड़ी बात होती है और जो दिल जीतता है वही चुनाव जीतता है.
सिर्फ जीतने वाले को देना चाहिए टिकट - यूथ कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी में अपनी बात रखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव में टिकट को लेकर जिताऊ कैंडिडेट की पैरवी की. उन्होंने कहा कि चुनाव में सिर्फ और सिर्फ जीत आधार होना चाहिए और जो नेता चुनाव जीत रहा है, उसे टिकट मिलना चाहिए. साफ है कि गहलोत चुनाव में टिकट के लिए किसी फार्मूले के पक्ष में न होकर जिताऊ को टिकट देने के पक्षधर हैं.
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गहलोत बोले मैं अति संतुष्ट पॉलीटिशियन - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बहाने टिकट मांग रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कहा कि वह अति संतुष्ट पॉलिटिशियन हैं. उन्होंने टिकट मांग रहे कार्यकर्ताओं को सलाह दी कि एक बात दिमाग में रखो कि जो जिंदगी में आगे बढ़ना चाहता है, उसे पार्टी आलाकमान के फैसले को मानना चाहिए. उन्होंने कहा कि कई बार इन फैसलों से दुख तो होता है कि मेरी इच्छा पूरी नहीं हुई, लेकिन उस समय दिल पर पत्थर रखकर राजनीति करनी होती है, जो ऐसी राजनीति करेगा वह कामयाब होगा. गहलोत ने अपनी बात रखते हुए खुद को अति संतुष्ट पॉलीटिशियन बताया.
यूथ कांग्रेस टिकट चाहती है तो दे दें अपने नाम - गहलोत ने कहा कि यूथ कांग्रेस हमेशा अपने लिए टिकट मांगता है. टिकट वितरण के लिए पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बैठते हैं, उसमें कई बार ऐसा होता है कि यूथ कांग्रेस ज्यादा नाम दे देते हैं और टिकट नहीं मिल पाते हैं. जो नेता टिकट के दावेदार हैं, उनके नाम यूथ कांग्रेस को पहले ही सर्वे करने वाली एजेंसी को दे देने चाहिए. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सामने खुलासा कर दिया कि एआईसीसी के लिए सुनील कोनुगोलु सर्वे कर रहे हैं. आपको बता दें कि सुनील कोनुगोलु के सर्वे और चुनावी रणनीति के आधार पर ही पार्टी ने कदम उठाए थे और कर्नाटक में जीत के बाद आईसीसी ने राजस्थान के लिए भी सुनील कोनुगोलू को नियुक्त किया है. उन्होंने कहा कि अगर लोकल लेवल पर पहले से वह नाम पहुंच जाएंगे, जिन्हें चुनाव लड़ना है तो फिर सर्वे में भी कार्यकर्ता उनका नाम लेते हैं.
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काम तो पहले भी किए लेकिन चुनाव नहीं जीत सके - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस बार राजस्थान के माहौल से लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी सरकार रिपीट करेगी. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जनता ही अंतिम फैसला करती है, क्योंकि काम तो उन्होंने पहले भी किए थे, लेकिन कभी मोदी की आंधी में और कभी किसी और कारण से हमारी सरकार रिपीट नहीं हो सकी. उन्होंने कहा कि तीन बार की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित भी मोदी की आंधी में चुनाव हार गई थी.
संजय गांधी के समय आ गई थी ऐसी फौज जो चुनाव हारते ही हुई गायब - गहलोत ने कहा कि जब कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और संजय गांधी ने यूथ कांग्रेस को संभाला, उस समय काफी अवसरवादी लोग कांग्रेस में आ गए, जो चुनाव हारते ही गायब हो गए. जो चुनाव हारने के बाद साथ रहे, वही कामयाब होते हैं. उन्होंने कहा कि 44 और 54 लोकसभा सीटों की हमने कभी उम्मीद नहीं की थी, लेकिन उस समय भी जो पार्टी के साथ रहा, वह सोने के रूप में उतरेगा. उन्होंने कहा कि अभी तो लोगों को लगता है कि कब लोकसभा में हमारी सरकार बनेगी, लेकिन जो पार्टी के साथ डटा रहेगा, वही कांग्रेस में सफल होगा. गहलोत ने कहा कि यूथ कांग्रेस कार्यकर्ता आप टिकट की मांग करेंगे और हो सकता है कि सीनियर अधिकार नहीं छोड़ना चाहे, लेकिन टिकट तब मिलेगा, जब आप कांग्रेस के लिए काम करोगे. एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस के बिना क्या कांग्रेस की कल्पना की जा सकती है. उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि जब इंदिरा गांधी चुनाव हारी तो कोई टिकट लेने को तैयार नहीं था, उस समय हम जैसे नेता आगे आए, जो आज मुख्यमंत्री बने.