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एससी-एसटी अत्याचार प्रकरणों पर सीएम गहलोत सख्त, कहा- पुलिस संवेदनशीलता से जांच कर पीड़ित को न्याय दिलाए

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Published : Aug 8, 2023, 6:38 PM IST

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मंगलवार को एससी-एसटी अत्याचार प्रकरणों के तहत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता और मॉनिटरिंग समिति की बैठक हुई. बैठक के दौरान गहलोत ने पुलिस को एससी-एसटी प्रकरणों में संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई कर पीड़ित को समय पर न्याय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.

CM Gehlot Meeting in Jaipur
मीटिंग के दौरान सीएम गहलोत

जयपुर. एसी-एसटी अत्याचार प्रकरणों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सख्ती दिखाई है. सीएम गहलोत ने निर्देश दिए हैं कि ससी-एसटी अत्याचार प्रकरणों में संवेदनशीलता के जल्द जांच कर पीड़ितों को न्याय दें. इसके साथ गहलोत ने कहा कि नए जिलों में एससी-एसटी एक्ट की जांच के लिए डिप्टी एसपी की अध्यक्षता में सैल बनेगी. गहलोत ने कहा कि एससी-एसटी अत्याचार के मामलों में पुलिस की ओर से पूरी संवेदनशीलता के साथ बिना किसी दबाव और भयमुक्त होकर त्वरित अनुसंधान कर उन्हें न्याय दिलाना सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने कहा कि पुलिस पर आम जनता की सुरक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है.

रिव्यू का दायरा बढ़ाया जाए : मुख्यमंत्री ने कहा कि एससी-एसटी के प्रकरणों में एफआर के बाद भी पुलिस की ओर से प्रकरणों के रिव्यू का दायरा और बढ़ाया जाए. उन्होंने एससी-एसटी के लम्बित प्रकरणों में जांच कम से कम समय में पूरी करने, पुलिस में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने, महिलाओं के विरुद्ध अपराधों को रोकने केे लिए सामाजिक जनजागृति के लिए भी निर्देश दिए.

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उन्होंने कहा कि थानों में निर्बाध पंजीकरण के फैसले से संख्या में जरूर वृद्धि हुई है, लेकिन पूरे देश में सराहना भी हो रही है. इससे परिवादियों में पुलिस के प्रति सकारात्मक संदेश पहुंचा है. बैठक में पुलिस अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार की नीतियों के कारण एससी-एसटी अपराधों में कन्विक्शन रेट 12 प्रतिशत बढ़ी है. राजस्थान में एससी के प्रकरणों में कन्विक्शन रेट 42 प्रतिशत जबकि समस्त भारत का औसत 36 प्रतिशत, एसटी के प्रकरणों में कन्विक्शन रेट 45 प्रतिशत जबकि समस्त भारत का औसत 28 प्रतिशत है. यह देश में सर्वाधिक है.

बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय :

  1. नए जिलों में एससी-एसटी एक्ट की जांच के लिए डिप्टी एसपी की अध्यक्षता में सेल बनेगी.
  2. महिलाओं एवं बाल अपराधों के लिए एडिशनल एसपी की अध्यक्षता में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट फॉर क्राइम एगेंस्ट वूमेन (सिकाउ) यूनिट बनेगी.
  3. एससी-एसटी एक्ट के प्रकरणों के निस्तारण का समय वर्ष 2017 में 197 दिन था. अब यह समय 64 दिन रह गया है. इसे 60 दिन से भी कम करने के प्रयास किए जाएंगे.
  4. एससी-एसटी एक्ट के मामलों में पीडि़त प्रतिकर सहायता का भुगतान समयबद्ध तरीके से हो. केंद्र सरकार से मिलने वाला राशि में विलम्ब होने पर केंद्र सरकार से पत्राचार किया जाएगा.
  5. एससी-एसटी एक्ट की एफआईआर के साथ ही पीड़ित को पीड़ित प्रतिकर योजना का लाभ देने के लिए जरूरी जानकारियां भी पुलिस की ओर से तत्समय सुनिश्चित किया जाए.
  6. साथ ही 2 अप्रैल 2018 को हुए आंदोलन में एससी-एसटी वर्ग के विरुद्ध दर्ज अधिकांश मुकदमों को सरकार द्वारा निस्तारण किया जा चुका है. शेष मुकदमों को शीघ्रता से निस्तारण किया जाएगा.
  7. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अंतर्गत संचालित छात्रावासों की संख्या को चरणबद्ध रूप से बढ़ाकर क्षमता 50 हजार से दोगुनी कर 1 लाख की जाएगी. इसमें बालिकाओं की संख्या को वर्तमान की 15 हजार से बढ़ाकर 50 हजार एवं बालकों की संख्या को वर्तमान में 35 हजार से 50 हजार किया जाएगा.
  8. ब्लॉक स्तर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के कार्यालय शुरू करने की सैद्धांतिक सहमति प्रदान की गई है.
  9. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के छात्रावासों में अध्ययनरत बालिकाओं एवं बालकों से मुख्यमंत्री का संवाद कार्यक्रम किया जाएगा.

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