अखंड सुहाग के लिए सुहागिनों ने पूजी गणगौर जयपुर. शाही लवाजमे के साथ शुक्रवार को पारंपरिक गणगौर माता की सवारी जयपुर के त्रिपोलिया गेट से निकलेगी. इससे पहले अखंड सुहाग की कामना करते हुए सुहागिनों ने ईसर-गणगौर की विधि विधान से पूजा की. ढोल-बैंड के साथ महिलाएं सोलह शृंगार कर पारंपरिक परिधान पहनकर घरों से निकली. साथ ही बाग बगीचों से हरी दूब-फूल पत्तियां चुनकर ताजा पानी भरा लोटा सजाकर उसे सिर पर रखकर गणगौर के गीत गाते हुए घर पहुंची. फिर घरों पर विराजित ईसर-गणगौर के समक्ष 'गोर गोर गोमती ईसर पूजे पार्वती' गीत गाते हुए सुहागिनों ने अखंड सुहाग और युवतियों ने अच्छे वर की कामना करते हुए पूजन किया.
अखंड सुहाग के लिए सुहागिनों ने पूजी गणगौर धुलण्डी से शुरू हुई माता गणगौर की पूजा आराधना चैत्र शुक्ल तृतीया पर अपने परवान पर चढ़ी. राजस्थान के इस लोक पर्व पर महिलाओं ने सोलह शृंगार कर भगवान शिव और माता पार्वती के प्रतीक ईसर गणगौर की पूजा आराधना की. महिलाएं पूजा के लिए ताजा पानी भरने के लिए आसपास के कुएं और आधुनिक वाटर सोर्स बोरिंग तक पहुंच लोटे में पानी भरकर हरी दूब और फूल पत्तियों इसे सजाया. फिर ढोल की तान पर नाचते और गणगौर के गीतों को गाते हुए अपने घरों को पहुंची.
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ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गणगौर के पर्व पर सर्वार्थसिद्धि योग है. जिसमें महिलाओं ने गणगौर माता का पूजन करते हुए सुख समृद्धि पति की दीर्घायु और अखंड सुहाग की कामना की. साथ ही गणगौर माता को गुणा-सकरपारा का भोग लगाया. वहीं गणगौर का उद्यापन करने वाली महिलाओं ने 16 सुहागिन महिलाओं को भोजन कराकर उपहार भेंट करते हुए उनका आशीर्वाद लेते हुए परंपरा का निर्वहन किया.
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वहीं, शाम को 5 बजकर 45 मिनट पर ऊंट-घोड़े और पचरंगा ध्वज लिए हाथी, बैंड के साथ पारंपरिक गणगौर माता की सवारी त्रिपोलिया गेट से निकलेगी. 24 और 25 मार्च को पर्यटन विभाग की ओर से निकाले जाने वाली इस सवारी में 150 से ज्यादा लोक कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देते हुए गणगौर माता की सवारी के साथ चलेंगे. इस दौरान पर्यटन विभाग ने देशी- विदेशी पर्यटकों के लिए गणगौर की सवारी के दर्शन करने और लोक नृत्य का लुत्फ लेने के लिए त्रिपोलिया गेट से गणगौरी बाजार तक बेरिकेडिंग और बैठने की व्यवस्था भी की गई है. ये सवारी त्रिपोलिया गेट से छोटी चौपड़ होते हुए तालकटोरा पहुंचेगी.