गणेश मंदिरों में लगा भक्तों का तांता जयपुर. स्वाति नक्षत्र, अंगारक योग और विभिन्न संयोगों के बीच मंगलवार को देश भर में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है. ऐसे में जयपुर के सभी प्रमुख गणेश मंदिरों में श्रद्धालुओं का सुबह से तांता लगा रहा. जयपुर के निगेहबान गढ़ गणेश मंदिर हो या प्रसिद्ध मोती डूंगरी गणेश मंदिर और प्राचीन नहर की गणेश मंदिर सभी जगह बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने के लिए पहुंचे.
वहीं, सुबह 11:08 पर जयपुर वासियों ने अपने घरों के दरवाजों पर विराजमान भगवान गणेश की पूजा-आराधना की गई. गणेश मंदिरों में भगवान का पंचामृत अभिषेक कर, सिंदूर का चोला चढ़ाकर, पोशाक और जनेऊ धारण कराई गई. दूर्वा, पाटा अर्पित किया गया. भगवान के समक्ष डांडिया बजाए गए और फिर गुड़धानी, मोतीचूर के लड्डू, चूरमा का भोग लगाया गया.
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जयपुर के मंदिरों में सुबह 4:00 बजे से ही भक्तों का तांता लगा रहा. मोती डूंगरी की तलहटी में विराजमान भगवान गणेश को हीरे जड़े, स्वर्ण मुकुट और नौलखा हार धारण कराया गया और चांदी के सिंहासन पर विराजमान कराया गया. भगवान के दर्शन करने के लिए जेएलएन रोड से ही भक्तों की कतार लगी रही. यहां बेरिकेडिंग की व्यवस्था की गई, ताकि श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन करने में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े.
इसी तरह की व्यवस्था प्राचीन नहर के गणेश मंदिर में की गई, जहां माउंट रोड पर बैरिकेडिंग करते हुए भक्तों को मंदिर परिसर में प्रवेश किया गया. यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर भगवान के दर्शन किए और भोग अर्पित किया. दक्षिणावर्ती सूंड और दक्षिणाभिमुख भगवान गणपति को राजशाही पोशाक धारण कराई गई. विशेष रूप से तैयार स्वर्ण मुकुट और स्वर्ण कर्ण भी प्रथम पूज्य को धारण कराए गए.
गणपति बप्पा मोरया के जयकारों से गूंजी छोटी काशी उधर, जयपुर की नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर विराजमान गढ़ गणेश मंदिर में लोग 365 सीढ़ियां चढ़ते हुए बाल स्वरूप भगवान विनायक के दर्शन करने के लिए पहुंचे. साथ ही यहां से जयपुर के विहंगम दृश्य को अपने कमरे में भी कैद करते दिखे. इस दौरान मंदिर प्रशासन की ओर से तैयार कराए गए विशेष चूरमा प्रसाद भक्तों को वितरित किया गया.