जयपुर.सीएम गहलोत ने प्राकृतिक आपदा के दौरान मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है. राज्य सरकार की इस घोषणा का लाभ प्रभावितों को चुनाव आयोग की अनुमति के बाद ही मिल पाएगा. वहीं मुख्मंत्री गहलोत ने कहा है कि ऐसे मामलों में चुनाव आयोग को आचार संहिता के नियमों का रिव्यू करके राज्य सरकारों को छूट देनी चाहिए.
दरअसल प्रदेश में मंगलवार शाम को प्राकृतिक आपदा से 24 लोगों की मौत हो गई थी. जिसमें झालावाड़ में 4, उदयपुर में 4, राजसमंद में 2, बारां में एक, जयपुर में 4, बूंदी में 2, हनुमानगढ़ में एक, भीलवाड़ा में एक, अलवर में एक, पाली में एक, प्रतापगढ़ में एक, जालोर में दो लोगों की मौत की पुष्टि प्राकृतिक आपदा विभाग के अधिकारियों ने कर दी है. वहीं आकाशीय बिजली और मकान गिरने से 105 पशुओं की मौत हो चुकी है. अलवर में शादी का से एक टेंट गिरने दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए हैं.
दरअसल, मंगलवार को राजस्थान समेत पांच राज्यों तूफान और बारिश से किसानों को भारी नुकसान हुआ है. केंद्र सरकार ने इस प्राकृतिक आपदा के दौरान मृतक के परिवारों को दो- दो लाख रुपए देने की घोषणा की है. वहीं राजस्थान में गहलोत सरकार ने मृतक परिवारों को 4-4 लाख रुपए देने की घोषणा कर दी है.
प्रदेश में आंधी तूफान और बारिश और ओलावृष्टि से मची तबाही में जिन लोगों की मौत हुई है. उनके लिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने बुधवार को 4 लाख की आर्थिक मदद का ऐलान किया है. लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हम चुनाव आयोग को चुनाव आचार संहिता का सम्मान करते हैं. ऐसे में यह घोषणा चुनाव आयोग के निर्णय पर निर्भर करेगी. साथ ही गहलोत ने चुनाव आयोग को आदर्श आचार संहिता के नियमों में रिव्यू कर ऐसी आपदाओं के वक्त सरकार को आर्थिक मदद देने के निर्णय की छूट देने की मांग भी रखी है.
सीएम गहलोत ने कहा है कि उन्होंने कल ही मुख्य सचिव को निर्देश दे दिए हैं. जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है. अब यह चुनाव आचार संहिता के दायरे में आएगा या नहीं यह नहीं पता. वहीं राज्य सरकार जो मदद कर सकती है उसका प्रयास किया जाएगा. राज्य सरकार अपनी ओर से निर्वाचन आयोग को भी पत्र लिखेगी. गहलोत ने कहा की चुनाव आचार संहिता लगने के चलते देश के कई प्रदेशों में ऐसा होता है. राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव के ठीक बाद लोकसभा चुनाव आ जाते हैं. फिर पंचायत चुनाव और फिर नगर निगम चुनाव और इन चुनाव में आचार संहिता लागू हो जाती है. ऐसे में आम लोगों के काम नहीं हो पाते हैं. इसे देखते हुए चुनाव आयोग को चाहिए कि वह आदर्श आचार संहिता के नियमों में रिव्यू करते हुए सरकार को उसके काम करने की अनुमति दे.