जयपुर. इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के नजदीकी रहे पूर्व सांसद सुभाष महरिया ने कांग्रेस छोड़ते हुए बीजेपी का फिर से दामन थाम लिया. मेहरिया की करीब 5 साल बाद घर वापसी हुई है, लेकिन बड़ी बात यह है कि महरिया ने उसी मुद्दे के बीच कांग्रेस छोड़ने की बात कही जिस मुद्दे पर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. महरिया ने कहा बेरोजगारों के साथ हुए अन्याय से इस कदर आहत हुआ कि बंद कमरे की पॉलिटिक्स को छोड़ कर आ गया.
सीएम गहलोत चिकिनी चुपड़ी बातें करते हैंः भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करने के बाद सुभाष महरिया ने कहा कि मुझसे सवाल किया जा रहा है कि ज्वाइन करने के पीछे क्या कारण है? . महरिया ने कहा कि 1993 से भारतीय जनता पार्टी के साथ कार्यकर्ता के रूप में काम किया , 5 बार लोकसभा चुनाव लड़ा , लेकिन कुछ परिस्थितियों से पार्टी से बाहर जाना पड़ा, हालांकि इस दौरान भी मेरा भारतीय जनता पार्टी के सीकर जिले और सीकर लोकसभा क्षेत्र के लोगों से लगातार संपर्क में रहा. कांग्रेस में रहते हुए मुझे लगा कि साढ़े 4 साल पहले बीजेपी को छोड़ना गलती थी, कांग्रेस की कथनी और करनी में बहुत ज्यादा अंतर है. कांग्रेस ने जो घोषणा पत्र जारी किया, उस घोषणापत्र में जिन जिन बातों का वादा किया गया , उस पर सरकार बनने के साथ कोई अमल नही किया. जनता से वादों को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री को बार-बार आग्रह भी किया , लेकिन सीएम गहलोत ने चिकिनी चुपड़ी बातों के अलावा कुछ नहीं कहा गया. इस सरकार में भ्रष्टाचार 20 से 40 फीसदी तक पहुंच गया. बार-बार कहने के बावजूद किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई , उसके बाद कांग्रेस में आकर लगा कि बुरे फंस गए.
युवाओं का दर्द नहीं देखा गयाःमहरिया ने कांग्रेस छोड़ने के मूल कारण पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश में रीट पेपर लीक की घटना हुई , जिसमे हजारों परिवारों की बर्बादी हुई है. बेरोजगारों के साथ अन्याय हुआ उसके बारे में तथ्य पेश किए , लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. आज पेपर लीक के चलते बेरोजगार भटकने को मजबूर हैं, इस तरह की कांग्रेस पॉलिटिक्स ने आहत किया. महरिया ने कहा कि भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है , वह छोटे से छोटे कार्यकर्ता की बात सुनने के लिए दरवाजे खुले रखती है. कांग्रेस में सिर्फ बंद कमरे में बात होती है , अब बंद कमरे की पॉलिटिक्स का जमाना जा चुका है , बंद कमरे की पॉलिटिक्स वाली पार्टी को छोड़ कर आ गया.
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