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सदस्यता अभियान से वसुंधरा राजे क्यों हुई दूर ?

भाजपा के संगठन महापर्व के दौरान शुरू हुए पार्टी के सदस्यता अभियान में प्रदेश के प्रमुख नेता इन दिनों दूर है. खास तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जो अबतक प्रदेश भाजपा संगठन के लगभग हर महत्वपूर्ण अभियान में सबसे अहम भूमिका निभाती थी. वह अब सदस्यता अभियान से पूरी तरह गायब है.

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Published : Jul 13, 2019, 7:53 AM IST

सदस्यता अभियान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे

जयपुर. 6 महीने पहले तक जो नेता प्रदेश भाजपा के हर संगठनात्मक कार्यों में अग्रिम पंक्ति में नजर आते थे अब वह पार्टी के मुख्य अभियानों से भी दूर हो चले हैं. भाजपा के सदस्यता अभियान में ऐसी ही कुछ स्थिति पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की दिख रही है. सदस्यता अभियान के लिए शुरू हुए नेताओं के प्रवास कार्यक्रम में राजे पूरी तरह गायब दिख रही है.

बीजेपी के सदस्या अभियान से क्यों दूर हुई वसुंधरा

तो वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और जयपुर ग्रामीण से मौजूदा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को उनके ही संसदीय क्षेत्र में महज 2 विधानसभा क्षेत्र विराटनगर और बानसूर की ही जिम्मेदारी मिली है.सदस्यता अभियान के शुभारंभ से लेकर नेताओं के प्रवास कार्यक्रम तक में वसुंधरा राजे पूरी तरह दूर है.

बताया जा रहा है पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी निजी विदेश यात्रा पर है ,इसके चलते सदस्यता अभियान के शुभारंभ में भी वह शामिल नहीं हुई, जबकि पार्टी की ओर से जारी वरिष्ठ नेताओं के प्रवास कार्यक्रम में भी राजे का नाम पार्टी ने गायब कर दिया.

नेताओं के प्रवास कार्यक्रम से पूर्व केंद्रीय मंत्री और जयपुर ग्रामीण से भाजपा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ दूर तो नहीं दिख रहे है, लेकिन उन्हें अभियान के प्रवास हेतु उनके ही लोकसभा क्षेत्र के महज 2 विधानसभा बानसूर और विराट नगर की जिम्मेदारी दी गई है.यह स्थिति तब है जब प्रवास कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री सी आर चौधरी को भी अजमेर शहर और जोधपुर देहात जिले की जिम्मेदारी दी गई है.

वहीं राज्यसभा सांसद नारायण पंचारिया और रामकुमार वर्मा सहित केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और गजेंद्र सिंह शेखावत व कैलाश चौधरी को भी किसी ना किसी जिले में प्रवास की जिम्मेदारी दी गई है. भाजपा नेताओं के बीच चर्चा का विषय भी बना हुआ है.

हालांकि इन नेताओं की व्यस्तता इसका प्रमुख कारण है या पार्टी की अनदेखी के चलते ये नेता अभियान से दूर है, यह पार्टी का आंतरिक विषय है लेकिन संगठनात्मक कार्यक्रमों से वसुंधरा राजे की दूरी प्रदेश भाजपा की बदलती सियासत की ओर इशारा करती है.

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