पहली महिला कुलपति ने संभाला पदभार... जयपुर. छात्र अपने सिलेबस को यदि ठीक ढंग से यूनिवर्सिटी कैंपस में ही पढ़े और कंपटीशन एग्जाम को क्रैक करने के लिए एडिशनल स्टडी का माहौल यूनिवर्सिटी में ही मिल जाए, तो छात्रों को कोचिंग जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. क्योंकि यहां कोचिंग इंस्टिट्यूट से बहुत बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और टीचर हैं. ये कहना है राजस्थान विश्वविद्यालय की नवनियुक्त कुलपति प्रो अल्पना कटेजा का. मंगलवार को 76 साल में पहली बार स्थाई महिला कुलपति के तौर पर प्रो कटेजा ने पदभार ग्रहण किया. इस दौरान उन्होंने यूनिवर्सिटी में रेगुलर क्लासेस, नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत सेमेस्टर सिस्टम का सिलेबस और यूनिवर्सिटी की खोई हुई गुणवत्ता को दोबारा स्थापित करने को अपनी प्राथमिकता बताया.
महारानी कॉलेज में प्राचार्या रह चुकी प्रो अल्पना कटेजा का मंगलवार को महिला प्रोफेसर्स ने कुलपति सचिवालय में गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. इस दौरान प्रो अल्पना कटेजा ने कहा कि राजस्थान विश्वविद्यालय प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी अपनी पहचान रखता था, लेकिन पिछले कुछ समय से विश्वविद्यालय ने अपनी गुणवत्ता को काफी तेजी से खोया है. ऐसे में यहां के एकेडमिक एनवायरमेंट को इंप्रूव करना प्राथमिकता रहेगी.
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इसको मद्देनजर रखते हुए नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को सक्सेसफुल तरीके से इंप्लीमेंट किया जाएगा. जो सेमेस्टर सिस्टम अंडर ग्रेजुएशन में लागू किए गए हैं, उसे रेगुलराइज करेंगे. इसके साथ उन्होंने कहा कि यदि एग्जाम समय पर नहीं होंगे, तो उससे छात्रों को काफी नुकसान होता है, इस डिले को खत्म करना है, साथ ही सिलेबस को भी रिवाइज करना पहली प्राथमिकता होगी.
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वहीं छात्रों को कोचिंग तक जाने की जरूरत ही ना पड़े इस सवाल पर प्रो कल्पना कटेजा ने कहा कि राजस्थान विश्वविद्यालय में जो छात्र प्रवेश लेते हैं, वो सिलेबस को पढ़ने के लिए आते हैं. लेकिन हर एग्जाम के बाद में जॉब के लिए कंपटीशन एग्जाम देने पड़ते हैं. इसके लिए छात्र कोचिंग भी करता है. ऐसे में छात्र का जो भी सिलेबस है, उसे यदि ठीक ढंग से यूनिवर्सिटी कैंपस में ही पढ़े और कंपटीशन एग्जाम को क्रैक करने के लिए एडिशनल स्टडी करने का माहौल यूनिवर्सिटी कैंपस में ही मिल जाए, तो कोचिंग इंस्टिट्यूट से बहुत बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और टीचर यूनिवर्सिटी के पास है.
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जहां तक यूनिवर्सिटी और संघटक कॉलेजों में छात्रों की सुरक्षा का विषय है, तो समय-समय पर इस संबंध में विभिन्न कदम उठाए गए हैं. फिर चाहे सीसीटीवी कैमरे की बात हो या उनकी मॉनिटरिंग की. लेकिन इसके साथ-साथ छात्राओं में भी अवेयरनेस होनी चाहिए कि उन्हें क्या-क्या सावधानी बरतनी है. वो कहां अप्रोच कर सकते हैं, जो भी सेंसटाइजेशन सेल है, वहां अपनी छोटी से छोटी प्रॉब्लम को बताएं, डरे नहीं. यदि उस समस्या को वहीं एड्रेस कर लेंगे तो समस्या बढ़ेगी नहीं. अब पहले की तरह नहीं बल्कि धरातल पर काम होंगे. जो भी पूर्व में कमेटी बनी हुई है, उनकी रिकमेंडेशन को देखकर जल्द से जल्द इंप्लीमेंट किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि अभी जो सिलेबस तैयार हुए हैं, वो सिर्फ फर्स्ट ईयर के तैयार हुए हैं. यदि हॉलिस्टिक व्यू चाहिए तो सिलेबस तीनों सालों के तैयार कर लेने चाहिए. उसके अनुसार जो ऑथर होंगे, वो रीडिंग मैटेरियल तैयार करेंगे. साथ ही यदि क्लासेस रेगुलर नहीं होगी, सिलेबस टाइम पर पूरे नहीं होंगे, तो एग्जाम टाइम पर कैसे करेंगे. चूंकि इस बार सिलेबस लेट बना है, ऐसे में क्लासेस डिले हुई है, उनको रेगुलर किया जाएगा और आने वाला समय बताएगा कि इस कुलपति सचिवालय के बाहर कुलपति के खिलाफ नारे लगाते हैं, या जयकारे लगेंगे.