दूदू (जयपुर). प्रदेश में हुए पंचायतीराज चुनाव में अधिकांश पंचायतों में महिला सरपंचों ने चुनावी मैदान में ताल ठोकी ओर जीतकर पंचायत की मुखिया बन गईं. लेकिन अब चुनी गई महिला सरपंचों की जगह उनके पति और ससुर या पुत्र पंचायत समिति की बैठक में हिस्सा लेकर प्रतिनिधि की भूमिका निभाने का कार्य कर रहे हैं. ऐसे में सरकार द्वारा महिलाओं को आरक्षण देकर आगे बढ़ाने की योजना पर पलीता लग रहा है. क्योंकि गांव का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलने के बावजूद वह घर की चौखट तक ही सीमित रह गई हैं. कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला राजधानी की मौजमाबाद पंचायत समिति सरपंच संघ की बैठक में.
जयपुर: मौजमाबाद पंचायत समिति की बैठक, महिला सरपंचों की जगह पहुंचे उनके पति और पुत्र - female sarpanch in rajasthan
जयपुर की मौजमाबाद पंचायत समिति की बैठक में केवल एक महिला सरपंच को छोड़कर बाकी नदारद रहीं. महिला सरपंचों की जगह उनके पति या पुत्र शामिल हुए. सरकार की लगातार कोशिश के बाद भी स्थिति में कोई बदलाव होता नजर नहीं आ रहा है.
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9 महीने गुजर जाने के बाद मौजमाबाद पंचायती समिति सरपंच संघ की बैठक आयोजित हुई. जहां पर 12 सरपंच महिलाओं में से मात्र एक झरना सरपंच नीतू जांगिड़ मौजूद रहीं. वहीं दूसरी महिला सरपंच मीटिंग से नदारद रहीं. महिला सरपंच के स्थान पर उनके पति या पुत्र आए हुए थे. मीटिंग में कई सरपंच नो मास्क नो एंट्री अभियान की धज्जियां उड़ाते नजर आए.
अभी तक नहीं मिला विकास कार्यों के लिए फंड
बैठक में सरपंचों ने अध्यक्ष और विकास अधिकारी के सामने 9 महीने गुजर जाने के बाद भी पंचायत में विकास कार्यों के लिए एक भी पैसा नहीं मिलने की बात कही. मौखमपुरा सरपंच रामजीलाल निठारवाल ने कहा कि 9 महीने गुजर गए लेकिन आज तक एक पैसे का भी पंचायत में काम नहीं हुआ है. सरपंच संघ की बैठक में सभी सरपंचों ने पंचायत में होने वाली टेण्डर प्रक्रिया का विरोध किया. सरपंच संघ अध्यक्ष ने कहा कि राज्य सरकार और अधिकारी ऐसे कानून बना रहे हैं जिससे सरपंचों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है. सामग्री टेंडर प्रक्रिया में सरपंचों को पूछा नहीं गया और ऑनलाइन टेंडर 40- 44 फीसदी ब्लो रेट में लिए गए.