सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर).कंवरसेन लिफ्ट नहर की आरडी 0 से 37 तक सिंचाई का पानी रेगुलेशन के अनुसार देने की मांग को लेकर बुधवार को किसानों ने बिरधवाल हेड पर धरना दिया. किसानों की मांग है कि 6 मोघों के सैकड़ों किसानों को उनके हिस्से का पूरा पानी मिले. इसके बाद किसानों व प्रशासन के बीच वार्ता में सहमति बनने पर किसानों ने शाम को धरना समाप्त कर दिया.
किसान पूर्व विधायक राजेंद्र भादू के नेतृत्व में अपनी मांगों को लेकर सुबह बिरधवाल हेड पहुंच धरना लगा दिया. किसानों का कहना है कि कंवरसेन लिफ्ट परियोजना से जुड़े गांवों के किसानों को उनके हक का पूरा पानी नहीं मिल रहा है. पूर्व विधायक भादू ने कहा कि नहर के रेगुलेशन से जुड़े अधिकारियों ने किसानों को उनके हक के पानी से वंचित कर रखा है. किसान केवल अपने हक का पानी मांग रहे हैं. इससे एक बूंद भी ज्यादा पानी किसानों को नहीं चाहिए. सिंचाई विभाग किसानों की समस्या का समाधान नहीं करता है तो किसान गुरुवार को बिरधवाल हेड की ओर कूच करेंगे.
पढ़ें-जयपुर: सुलभ कॉम्प्लेक्स में लावारिस मिली नवजात बच्ची
उन्होंने बताया कि पूर्व में किसानों ने सिंचाई पानी रेगुलेशन के हिसाब से देने की मांग को लेकर एसडीएम के समक्ष प्रदर्शन कर समस्या से अवगत करवाया था, लेकिन किसानों की समस्या का समाधान नहीं हुआ. धरने की सूचना मिलने पर एसडीएम मनोज कुमार मीणा, डीएसपी विद्याप्रकाश, सदर एसएचओ पवन कुमार, राजियासर एसएचओ सुरेश कुमार व जैतसर एसएचओ दिगपाल सिंह जाप्ते के साथ मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों से समझाइश की, लेकिन किसान मांग पूरी न होने तक धरनर देने पर अड़े रहे.
2 दौर की वार्ता में बनी सहमति, लिखित आश्वासन पर धरना किया समाप्त
मांगों को लेकर किसानों की इंदिरा गांधी नहर परियोजना के एक्सईएन व एईएन के साथ समझौता वार्ता हुई. इसमें किसान लिखित में मांगे पूरी करने पर अड़े रहे. ऐसे में पहले दौर की वार्ता असफल रही. इसके बाद एसडीएम की अध्यक्षता में शाम सवा 3 बजे एक घंटे तक दूसरे दौर की वार्ता हुई. पूर्व विधायक भादू ने कहा कि किसानों के लिए रूल रेगुलेशन लिखित में जारी करने के साथ टेल फीड करना, मीरचंद माइनर के साथ डायरेक्ट कैनाल के 76 से 227 के मोघे खोलना, फुलेजी माइनर की टेल की पानी की मात्रा की जांच, नहरों की सिल्ट निकालना व झाड़ झंखाड़ साफ के टेंडर सितंबर तक निकालने की मांग की. प्रशासन ने 15 दिन का शेड्यूल जारी कर अन्य मांगे जल्द पूरी करने का लिखित में आश्वासन के बाद किसानों ने धरना समाप्त कर दिया.