गोविंद के दरबार में फागोत्सव की धूम जयपुर: शहर के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर प्रांगण में सोमवार से होलिकोत्सव को लेकर दरबार सजा. यहां कलाकारों ने कथक, घूमर और शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति देते हुए पांडाल में मौजूद हर एक को मंत्रमुग्ध कर दिया. कलाकारों ने भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी का रूप धर कर प्रस्तुतियां दी. वहीं कलाकारों ने द्रोपदी चीरहरण के दौरान भगवान श्री कृष्ण की लीला को कथक के जरिए जीवंत किया.
प्रस्तुत हुए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम: शास्त्रीय संगीत के साथ कान्हा रंग ना डालो गीत हो या 45 साल के सवा 2 फुट के मूंगाराम की नैना नीचा करले... गीत पर दी गई प्रस्तुति गोविंद देव जी मंदिर प्रांगण में पहुंचने वाले हर एक दर्शक और श्रोता के लिए खास अनुभूति कराने वाली थी. चार दिन तक चलने वाले होलिकोत्सव के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सोमवार को आगाज हुआ. मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी और व्यवस्थापक मानस गोस्वामी ने सत्संग भवन में ठाकुर जी का पूजन कर इसका शुभारंभ किया.
कलाकारों ने लोकगीत एवं लोकनृत्य प्रस्तुत किये: पं. जगदीश शर्मा ने होलिकोत्सव की शुरूआत होली खेलत गणपत गणेश वंदना कर उत्सव के निर्विघ्न संपन्न होने की प्रार्थना की. इसके बाद कुंज बिहारी जाजू ने ढूंढ़ाड़ी भाषा में अरजी म्हारी जी होली खेलण की मरजी थारी जी फाल्गुनी रचनाओं की तान छेड़ी. पं. जगदीश शर्मा ने पहले गणेश वंदना की उसके बाद कवि युगल की रचना पाछा सें मटकी फोड़ी या काईं की होरी सुनाई. वहीं वरिष्ठ कथक नृत्य गुरु शशि सांखला के दल के कलाकारों ने नृत्य से लोगों की तालियां बटोरी. इन प्रस्तुतियों पर गायक मुन्नालाल भाट ने गायन प्रस्तुत किया. कथक नृत्यांगना मनीषा गुलियानी ने नृत्य की हाजिरी दी.
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द्रौपदी चीरहरण आधारित नृत्य प्रस्तुत हुये :कथक नृत्यांगना स्वाति गर्ग और उनके दल ने- ए री आज होरी मैं खेलूंगी डट के पद पर कथक नृत्य की प्रस्तुति दी. इसके बाद लखनऊ से आई डॉ शालिनी गुप्ता ने मैं कैसे होरी खेलूं री सांवरिया के संग गीत की प्रस्तुति दी. इनके साथ रामशरण सैनी और अंकुश जैदिया ने गायन प्रस्तुती दी . इसके अलावा मूंगाराम छैला और उनके दल के कलाकारों ने लोकनृत्य की प्रस्तुति दी. अदिति सोमानी और उनकी शिष्याओं ने द्रौपदी चीरहरण पर आधारित नृत्य प्रस्तुतियां दी.