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लापरवाही की हद : शिक्षा विभाग ने मृत प्रधानाचार्य का ही कर दिया तबादला

निदेशालय माध्यमिक शिक्षा बीकानेर की ओर से किए गए तबादलों में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. दरअसल, शिक्षा विभाग की ओर से एक मृत प्रधानाचार्य का भी तबादला कर देने का मामला सामने आया है. इससे स्पष्ट है कि शिक्षा विभाग की ओर से तबादला करने में गंभीर लापरवाही बरती गई है.

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Published : Oct 7, 2019, 8:21 AM IST

Updated : Oct 7, 2019, 5:42 PM IST

जयपुर.निदेशालय माध्यमिक शिक्षा बीकानेर की ओर से हड़बड़ी में तबादले कर दिए गए. तबादला सूची को लेकर शायद जल्दबाजी इतनी रही कि निदेशालय के आला अधिकारी और कर्मचारी शिक्षकों का रिकॉर्ड खंगालना भी भूल बैठे हैं. यही कारण है कि निदेशालय की ओर से एक मृत प्रधानाचार्य का तबादला भी कर दिया गया.

निदेशालय माध्यमिक शिक्षा बीकानेर की बड़ी लापरवाही आई सामने

बता दें कि अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ (अरस्तू) के प्रदेश अध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल ने बताया कि निदेशालय की तबादलों की कवायद ने शाला दर्पण को खंगालना ही जरूरी नहीं समझा. वहीं 5 अक्टूबर को जारी 29 सितंबर तिथि अंकित के आदेश में क्रम संख्या 4 पर जयपुर के नांगल पुरोहितान के रा.उ.मा.वि के प्रधानाचार्य राजेश कुमार कारीगर का तबादला कर दिया गया है. प्रधानाचार्य का तबादला राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सीमारा करौली में किया गया. जबकि प्रधानाचार्य राजेश कुमार कारीगर का करीब 2 माह पूर्व ही निधन हो चुका है. विभाग की वेबसाइट शाला दर्पण में यह उल्लेखित भी है.

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वहीं अरस्तु संघ की ओर से निदेशक नथमल डिडेल से इस संबंध में दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गई है. संघ की मांग है कि प्रकरण में जिम्मेदारी निर्धारित कर संस्थापन अनुभाग अधिकारी को तत्काल निलंबित किया जाए. साथ ही उनका कहना रहा कि बैक डेट में जारी होने वाले आदेशों को जारी करने से पहले शाला दर्पण को अनिवार्य रूप से खंगाल लिया जाए. साथ ही उसका अवलोकन कर लिया जाए. ताकि भविष्य में निदेशालय, माध्यमिक शिक्षा से इस तरह की गलतियां ना हो.

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राजस्थान शिक्षक संघ (सियाराम) ने भी तबादलों पर आक्रोश जताया है. संघ की प्रवक्ता प्रभा शर्मा ने शनिवार को कहा कि शिक्षामंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा की नजर में प्रदेश के सभी शिक्षक किसी न किसी राजनीतिक पार्टी के सदस्य हैं. लेकिन संघ इस बयान का विरोध करता है. क्योंकि, प्रदेश का शिक्षक समाज सेवा से प्रेरित होकर इस पेशे को अपनाता है. वह किसी भी राजनीतिक पार्टी का सदस्य नहीं होता है.

वहीं प्रवक्ता प्रभा ने बताया कि शिक्षक न तो भाजपा के है और न हीं कांग्रेस के. शिक्षक केवल राज्य सरकार के कर्मचारी हैं. साथ ही शिक्षा मंत्री भी शपथ के बाद पार्टी के न होकर प्रदेश के हो जाते हैं. वह सभी जनता का प्रतिनिधित्व करता है. लेकिन इस बार कांग्रेस सरकार में शिक्षा मंत्री स्वयं को कांग्रेस का मानकर शिक्षकों के स्थानान्तरण दूर-दराज के क्षेत्रों में कर रहे हैं, जो न्यायोचित नहीं है.

Last Updated : Oct 7, 2019, 5:42 PM IST

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