जयपुर.राजधानी जयपुर के सांभर कस्बे को सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी कहा जाता है. बताया जाता है कि अपने शासन का चौहान ने यहीं से विस्तार किया था. इसके पहले भी यहां एक विकसित सभ्यता रही है और इसके प्रमाण भी लगातार मिलते रहे हैं. बताया जाता है कि ब्रिटिश राज के दौरान साल 1884 में पहली बार यहां एतिहासिक सभ्यता के प्रमाण मिले थे. जिसके बाद साल 1936 में आर्कियोलॉजिकल विभाग द्वारा यहां पर खुदाई करवाई गई थी.
आर्कियोलॉजिकल विभाग के मुताबिक करीब आधा किलोमीटर हिस्से में खुदाई के दौरान मिले भवननुमा निर्माण यहां एक मजबूत स्थापत्य कला की दूसरी शताब्दी के मध्य में अस्तित्व में रहने का पुख्ता प्रमाण है.
सांभर के नजदीक नलियासर नाम की झील के किनारे सभ्यता मिलने के कारण इसे ASI ने यहां को नलियासर साइट का नाम दिया है. यहां मिले भवनों से धातु के बर्तन मिले थे, जिनमें तांबे, पीतल और लौह का उपयोग किया जाता था. इसी तरह तब रेशम यानि सिल्क और टेराकोटा के कपड़े के इस्तेमाल से जुड़े प्रमाण भी इस साइट से खुदाई के दौरान प्राप्त हुए हैं.