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जयपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वाइन फ्लू रोकथाम के अपर्याप्त इंतजाम, SMS के अलावा विकल्प नहीं

ईटीवी भारत की टीम ने जयपुर के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया है. इस दौरान सरकार की ओर से इस लाइलाज बीमार की रोकथाम को लेकर सरकार की ओर से किए जा रहे दावों को सच सामने आया है.

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Published : Aug 4, 2019, 7:38 PM IST

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जयपुर. स्वाइन फ्लू से जागरूकता को लेकर ईटीवी भारत की ओर से एक मुहिम चलाई जा रही है. जिसके तहत हमारी एक टीम ने जयपुर के चौमूं, जैतपुरा और रामपुरा क्षेत्रों का दौरा किया है. ग्रामीणों से बातचीत के दौरान इन क्षेत्रों में स्वाइन फ्लू को लेकर सरकार के प्रयास नाकाफी नजर आए.

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वाइन फ्लू के रोकथाम अपर्याप्त प्रबंध

ईटीवी भारत की ओर से मुहिम चलाई जा रही इस मुहिम का उद्देश्य समय रहते लोगों को इस बीमारी के लक्षण, इलाज की जानकारी और बचाव के लिए जागरूक करना है. साथ ही इस जानलेवा बीमारी के इलाज की समस्या से सरकार को अवगत कराना है. संस्थान की टीम ने जयपुर के ग्रामीण क्षेत्र चौमूं, जैतपुरा और रामपुरा के ग्रामीणों से मुलाकात की है. इस दौरान ग्रामीणों ने स्वाइन फ्लू को लेकर जो हकीकत बताई, वह वाकई चौंकाने वाली थी.

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ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि पहली बात तो यहां प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है. जहां पूर्ण रूप से इलाज की सुविधा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में अगर कोई स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीज आता भी है तो जांच की कोई व्यवस्था नहीं है. जिस तरह से स्वाइन फ्लू हर साल लगातार बढ़ रहा है तो सरकार को देखना चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वाइन फ्लू की जांच उपलब्ध हो और इलाज की समुचित व्यवस्था की जाए. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का कहना है कि छोटी मोटी बीमारी का इलाज तो इन स्वास्थ्य केंद्र पर हो जाता है, लेकिन बड़ी बीमारियों के इलाज के इलाज के लिए उन्हें शहर जाना पड़ता है.

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खासकर स्वाइन फ्लू जैसी बीमारी की जांच और इलाज की व्यवस्था सिर्फ शहर में ही है. स्वाइन फ्लू जैसी जानलेवा बीमारी लगातार हर जगह फैलती जा रही है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में उसकी जागरूकता को लेकर भी चिकित्सा विभाग की ओर से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के हालात की बात करें तो चिकित्सकों की कमी लगातार यहां बनी रहती है. ऐसे में शहर में स्थित एसएमएस हॉस्पिटल की ओर लोगों को रुख करना पड़ता है.

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