जयपुर.बीते 5 साल से इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा बोर्ड के गठन का इंतजार कर रहे चिकित्सकों के सब्र का बांध अब टूट गया है. साल 2018 में राज्य सरकार ने इस चिकित्सा पद्धति की जांच के बाद एक्ट तो लागू कर दिया, लेकिन इसे रेगुलेट करने के लिए अब तक बोर्ड नहीं बना पाई. जिसकी मांग को लेकर इलेक्ट्रोपैथी डॉक्टरों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला.
इलेक्ट्रोपैथी बोर्ड गठन करने, बोर्ड के रजिस्ट्रार की नियुक्ति दोबारा करने, सरकार की ओर से आवंटित बोर्ड कार्यालय का सुचारू संचालन करने और चिकित्सकों का पंजीयन शुरू करने जैसी मांगों को लेकर इलेक्ट्रोपैथी डॉक्टर्स आंदोलन की राह पर उतरे. साथ ही सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए चेतावनी दी कि यदि बोर्ड नहीं बनाया गया तो कांग्रेस सरकार को वोट नहीं दिया जाएगा. इस संबंध में इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष हेमंत सेठिया ने बताया कि 2018 में एक्ट बना. उससे पहले 15 वर्ष तक राजस्थान की सरकार ने इलेक्ट्रोपैथी की विभिन्न जांच की.
शिक्षा, मेडिसिन इफेक्ट, डॉक्टर्स क्लिनिक और शिक्षण केंद्र की जांच करते हुए सरकार की समिति ने रिपोर्ट बनाकर इस पद्धति को अप्रूवल दी. इसको ध्यान में रखते हुए 2018 में एक एक्ट बना था. लेकिन उसको रेगुलेट करने के लिए बोर्ड का गठन आज तक भी नहीं किया गया. इसी मांग को लेकर बीते 5 साल से लगातार हर स्तर पर अपनी बात रखी गई. अधिकारियों और मंत्री तक को ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. यही नहीं विधानसभा में भी विभिन्न राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों ने प्रश्न भी उठाए और सरकार का ध्यान भी आकर्षित कराया. फिर भी सरकार ने उदासीन रवैया अपनाया हुआ है. ऐसे में अब आंदोलन की राह पर उतरना पड़ा है. उन्होंने सवाल उठाया कि विभिन्न समाज के बोर्ड का गठन कर दिया, लेकिन जो सस्ती, सरल, हर्बल पद्धति लोगों के हित में है, उसका बोर्ड क्यों नहीं?