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इस बार रक्षाबंधन पर कोरोना का साया, बाजारों में रौनक कम

रक्षाबंधन पर इस साल बाजार की त्योहारी रौनक कोरोना की भेंट चढ़ गई है. भाई-बहन के पवित्र रिश्ते के इस त्योहार के आने से पहले ही बाजार रंग-बिरंगी राखियों से सज जाता था, लेकिन अब कोरोना काल में वो पहली वाली रौनक गायब है. हालांकि बाजार में राखियां बिक रही हैं, लेकिन खरीदारों में अब पहले जैसा उत्साह नहीं है.

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रक्षाबंधन पर कोरोना का साया

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Published : Aug 2, 2020, 4:48 PM IST

रेनवाल (जयपुर). कोरोना महामारी के चलते राखी की दुकानें सूनी नजर आ रही है. राखी के पर्व में महज एक दिन शेष है, लेकिन बाजार में रौनक अब भी नहीं दिखाई दे रही है. आमतौर पर रक्षा बंधन से लगभग 15 दिन पहले ही कस्बे में तकरीबन 150 छोटी-बड़ी दुकानें राखियों से सजती-संवराती दिखती थी. लेकिन इस बार कुछ नाम मात्र की दुकानें ही राखियों से सजी है, पर वहां पर भी कोरोना के कारण नाम मात्र के ही ग्राहक देखे जा सकते है.

बाजारों में रक्षाबंधन की रौनक कम

वहीं चीन के साथ चल रहे तनाव का असर भी राखियों के बाजार पर पड़ा है. पहले जब चाइनीज सामानों के आयात पर कोई बंदिश नहीं थी तो तरह-तरह की राखियां आकर्षण का केंद्र हुआ करती थी, लेकिन इस बार उनकी भी आवक नहीं हुई है. जिसके चलते राखियों की वैरायटी सीमित रह गई है. पहले बहने एक साथ कई तरह की राखियां भाई की कलाई पर सजाती थी, लेकिन इस बार तो इक्का दुक्का ही राखियां बिक रही हैं.

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राखी व्यापारियों का कहना है कि गत वर्ष राखी के त्योहार पर अच्छा व्यापार हुआ था, लेकिन इस बार व्यापार पूरी तरह से ठप पड़ा है. यहीं स्थिति कपड़ों की दुकानों पर भी देखी जा सकती है. इस समय साड़ी सहित अन्य कपड़ों की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ हुआ करती थी लेकिन अब दिनभर में इक्का-दुक्का ग्राहक ही दुकान पर आ रहे है. इस संबंध में एक साड़ी विक्रेता का कहना है कि कोरोना के चलते बसे और जीप बंद है, जिससे आसपास के गांवों के लोग खरीदारी करने नहीं आ रहे है. साथ में लोगों के मन कोरोना का भी डर है, जिस वजह से गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 30 प्रतिशत भी ग्राहक नहीं है. जिससे स्टाफ का खर्चा निकालना मुश्किल हो रहा है.

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